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किसान कब कर्जमुक्त होंगे, जो कहा वही कर दिखाएं मुख्यमंत्री ठाकरे - फडणवीस
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाविकास आघाड़ी सरकार को स्थगित सरकार ठहराते हुए विपक्ष ने कहा है कि इस सरकार ने राज्य को ठप कर दिया है। किसान संकट में हैं। सरकार गठन के बाद मंत्रिपरिषद के 6 बैठकें हो चुकी है,लेकिन किसानों को राहत के लिए निर्णय नहीं लिए गए है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जो कहा वही करके दिखाना चाहिए। उन्होंने किसानों को कर्जमुक्त करने का वादा किया था। किसान कब कर्जमुक्त होंगे, उनका सात बारा कब काेरा होगा, किस तरह राहत मिलेगी। इस संबंध में सरकार ने कम से कम कृति कार्यक्रम घोषित करना चाहिए।
सावरकर के मामले में विपक्ष के निशाने पर रहेगी शिवसेना
मित्र के बाद विरोधी बनी शिवसेना को घेरने के लिए भाजपा तैयारी कर रही है। विधानमंडल के अधिवेशन में सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा सबसे अधिक शिवसेना का विरोध करेगी। इस लिहाज से भाजपा तैयारी भी कर रही है। ऐसे में विनायक सावरकर के बारे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मत को लेकर शिवसेना को भी आड़े हाथ लिया जाएगा। हालांकि शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत ने राहुल गांधी के मत से असहमति जतायी है। राऊत ने लिखा है कि, सावरकर राज्य ही नहीं राष्ट्र के महापुरुष हैं। उनका अपमान नहीं किया जा सकता है। इस बीच यह भी चर्चा होने लगी है कि, सावरकर को लेकर शिवसेना व कांग्रेस के रिश्तों में जल्द ही दूरी तो नहीं बन जाएगी। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गिरीश व्यास के अनुसार शिवसेना स्वाभिमान व विचार पर कायम रहे तो अलग बात है। अन्यथा सत्ता का स्वार्थ उसे कांग्रेस के साथ ले डूबेगा। व्यास कहते हैं- कांग्रेस ने स्वतंत्रता आंदोलन के समय से सावरकर को विरोध किया है। सावरकर के नेतृत्व को दबाने का प्रयास कांग्रेस में होते रहा। मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेस नेता तो बार-बार सावरकर का अपमान करते रहे हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक के मामले में देखा गया है कि, शिवसेना कांग्रेस के दबाव में विचार से समझाैता करने लगी है। शिवसेना सावरकर का सम्मान करती है, तो उसे तत्काल कांग्रेस से नाता तोड़ लेना चाहिए। शिवसेना के लोकसभा सदस्य कृपाल तुमाने ने कहा है कि, सभी राजनीतिक दलों की विचारधारा समान होना आवश्यक नहीं है। शिवसेना अपनी विचारधारा पर कायम रहेगी। विचारधारा को लेकर महाविकास आघाड़ी में टकराव नहीं होगा। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे कहते हैं-महाविकास आघाड़ी न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत राज्य के विकास के लिए काम करेगी। संविधान के दायरे में रहकर सरकार चलेगी। कांग्रेस नेताओं ने समय-समय पर सावरकर के बारे में अपना मत रखा है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि, सावरकर के िवचार का समर्थन नहीं किया जा सकता है। राकांपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण कुंटे के अनुसार भाजपा विषयों पर भ्रम फैलाने की राजनीति भी करती है। कांग्रेस, राकांपा व शिवसेना ने विचारधारा के अाधार पर गठबंधन नहीं किया है, इसलिए यह उम्मीद ही नहीं की जा सकती है कि, ये दल किसी विषय पर समझौतावादी रहेंगे। वैचारिक मतभेद तो रहेगा ही, लेकिन सरकार चलाने के मामले में ये मतभेद बाधक नहीं बनेंगे।
विपक्ष में हलचल तेज, जीआर की कापी जलाई
राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार का भाजपा ने विरोध किया है। शहर में विकास कार्य रोकने के संबंध में सरकार के जीआर की कापी जलाई गई। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना था कि जनहित के सभी काम रोकने के संबंध में सरकार ने जीआर जारी करके सामान्य नागरिक को संकट में डाला है। नागरिकाें की मूलभूत सुविधा में बाधा लायी जा रही है। सरकार के विरोध में मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। शनिवार को वेरायटी चौंक पर प्रदर्शन में शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, महापौर संदीप जोशी सहित सभी प्रमुख नेता व विधायक शामिल थे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने शहर में विविध विकास काम के निर्णय लिए थे। उन कामों को रोककर नागपुर के साथ अन्याय किया जा रहा है। विकास कार्य रोकनेवाला जीआर रद्द नहीं किया गया तो तीव्र आंदोलन किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन में विधायक कृष्णा खोपड़े, विधानपरिषद सदस्य अनिल सोले, पूर्व विधायक सुधाकर देशमुख, विधानपरिषद सदस्य गिरीश व्यास, विधायक मोहन मते, पूर्व विधायक मिलिंद माने, उपमहापौर मनीषा कोठे, भाजपा के िजलाध्यक्ष राजीव पोतदार, सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव, वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने संबोधित किया। विधायक विकास कुंभारे, विधायक समीर मेघे, पूर्व विधायक मलिकार्जुन रेड्डी, बाल्या बोरकर, रमेश सिंगारे, प्रदीप पोहाणे, किशोर पलांदूरकर, अरविंद गजभिए, संजय टेकाडे, अविनाश खडतकर, भोजराज डूंबे, किशोर रेवतकर, महेंद्र राऊत, किशन गावंडे, दिलीप गौर, रमेश भंडारी, बंडू राऊत, संजय ठाकरे, शिवानी दाणी, कीर्तिदा अजमेरा, धर्मपाल मेश्राम, चेतना टांक, जयप्रकाश गुप्ता, राजेश बागड़ी, गुड्डू त्रिवेदी, शेषराव वानखेडे, छोटू भोयर, चंदन गोस्वामी, शिवा जूनेजा, कौशल मिश्रा, रितेश चौरसिया आदि शामिल थे।
विपक्ष के निशाने पर शिवसेना,फड़णवीस ने दागा सवाल-कहा कब तक लाचार रहोगे
राज्य में महाविकास आघाड़ी का नेतृत्व कर रही शिवसेना विपक्ष के निशाने पर रहेगी। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस के तेवर देखकर यही लगता है। रविवार को विपक्ष की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में फडणवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व शिवसेना पर जमकर निशाना साधा। विनायक सावरकर को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मत का निषेध करते हुए फड़णवीस ने सीधे शिवसेना पर सवाल दागा। बकौल फडणवीस-शिवसेना तो सावरकर का गुणगान करती रही है। 5 साल तक उनके गुणगान में भाजपा सहभागी थी। अब कांग्रेस सावरकर का अपमान कर रही है तो शिवसेना समझौतावादी बात कर रही है। शिवसेना कांग्रेस से कह रही है कि हम महात्मा गांधी व जवाहरलाल नेहरु को मानते हैं तो तुम भी सावरकर को मानों। गांधी व नेहरु को मानने को लेकर यह कैसी सौदेबाजी है। सावरकर के सम्मान से कोई सौदेबाजी नहीं की जा सकती है। शिवसेना को जवाब देना होगा कि वह सत्ता के लिए कब तक लाचार रहेगी। राज्य की आर्थिक स्थिति के मामले पर फडणवीस ने कहा-किसानों को राहत देने का सरकार प्रयास ही नहीं कर रही है। निराधार खबर फैलायी जा रही है कि 5 साल में राज्य में आर्थिक भार काफी बढ़ गया है। फडणवीस ने कहा-पिछली सरकार में शिवसेना हमारे साथ थी। मंत्रिपरिषद की बैठक में िशवसेना के मंत्रियों की सहमति से ही निर्णय लिए जाते थे। तब अगर कुछ निर्णय गलत हो रहे थे तो शिवसेना ने विरोध क्यों नहीं किया। शिवसेना को यह नहीं भूलना चाहिए कि पहले की सरकार के जिस निर्णय पर वह सवाल उठायेगी उसमें जितनी जवाबदारी हमारी है उतनी ही शिवसेना की भी थी। जो सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पा रही है। जिसके मंत्रियों के विभाग नहीं बंटे है। मंत्री के विभाग बंटे भी तो स्थायी नहीं हैं। वरिष्ठ मंत्री ट्यूट कर कह रहे हैं कि उनका विभाग टेंपररी अर्थात अस्थायी है। ऐसे में सरकार से अधिक क्या उम्मीद की जा सकती है
फडणवीस ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अपने ही वादे को पूरे करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में राज्य में आर्थिक भार का बहाना बनाकर बचने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों के मामले में सरकार व मंत्री गंभीर नहीं है। फडणवीस ने कहा- अतिवृष्टि से राज्य में किसान संकट में है। हमने सरकार में रहते हुए किसानों के लिए 10 हजार करोड की निधि से सहायता का निर्णय लिया। निधि बढ़ाने के लिए अध्यादेश भी जारी किया था। राज्यपाल ने भी किसानों को मुआवजा की घोषणा की थी। लेकिन ठाकरे के नेतृत्व की सरकार ने किसानों के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है। उद्धव ठाकरे ही मांग कर रहे थे कि किसानों को प्रति हेक्टेयर कम से कम 25 हजार रुपए की सहायता दें। राज्य में 93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान हुआ है।
25 हजार रुपये के हिसाब से 23 हजार करोड की सहायता किसानों को दिलाकर मुख्यमंत्री ने अपना वादा पूरा करना चाहिए। विधानमंत्री में मुख्यमंत्री को उनका वादा याद दिलाया जाएगा। विकास योजनाओं व निविदाओं को रद्द करने से राज्य की छवि पर परिणाम होगा। निवेश प्रभावित होगा। सरकार ने लंबित कार्यों को तत्काल शुरु करने के लिए काम करना चाहिए। राष्ट्रीय पेयजल योजना को गर्मी के पहले शुरु कराने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति के बारे में सरकार भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही है। राज्य की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में अच्छी है। सरकार अब भी कर्ज लेकर किसानों को कर्जमुक्त कर सकती है।
Created On :   15 Dec 2019 5:13 PM IST