नागपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हाल - वेंटिलेटर के इंतजार में आखिर थम गई वैष्णवी की सांसे

Vaishnavis breath stopped waiting for the ventilator
नागपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हाल - वेंटिलेटर के इंतजार में आखिर थम गई वैष्णवी की सांसे
एक दर्द यह भी नागपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हाल - वेंटिलेटर के इंतजार में आखिर थम गई वैष्णवी की सांसे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वेंटिलेटर के इंतजार में आखिरकार थम गई लड़की की सांसे। जिस संतरा नगरी को मेडिकल हब के रूप में भी देखा जाता है, पड़ोसी राज्यों के सैंकड़ों मरीज ट्रेन और रोड के माध्यम से हर रोज यहां बीमारियों का इलाज कराने पहुंचते हैं, दिनभर चौराहों पर सनसनाती एंबुलेंस की आवाजें सुनी जा सकती हैं, उसी उपराजधानी के सबसे बड़े मेडिकल अस्पताल से जुड़ी खबर जानकर दिल सिहर उठेगा, जहां वेंटिलेटर बेड के आभाव में 16 साल की किशोरी ने दम तोड़ दिया। अभी कल यानी गुरुवार की ही बात है, जब मां-बाप अपनी बीमार बच्ची की जान बचाने सरकारी अस्पताल लाए थे।

उसके माता-पिता एंबुबैग को पंपिंग करते रहे थे, लेकिन कितने समय में कितनी बार एंबुबैग की पंपिंग करनी थी, उन्हें यह तक पता नहीं था। उन्हें बैग की पंपिंग करने का तरीका मालूम नहीं था। देखते ही देखते शुक्रवार सुबह नजरों के सामने बिटिया ने दम तोड़ दिया। वे यहां आए तो थे इस चाह में की चंद सांसे उम्मीद की मिल जाती, तो शायद बिटिया संभल जाती और खुशी से घर लौट जाते, लेकिन होनी को मंजूर कुछ और ही था।

वैसे तो शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) की अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा आम होती है। मेडिकल के वार्ड क्रमांक 48 की यह घटना है। अस्पताल में 17 साल की वैष्णवी का इलाज चल रहा था। 40 घंटे बीत चुके थे, जैसे तैसे सांसे चल रही थीं, वक्त पर वेंटिलेटर बेड नहीं मिल सका। मां-बाप एंबुबैग को पंपिंग करते रहे।

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अव्यवस्था की खुली पोल 

कोरोनाकाल के दौरान सरकारी अस्पतालों को बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री कार्यालय से वेंटिलेटर दिए गए थे, लेकिन हाल यह है कि मरीजों को समय पर वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं होते हैं। वैष्णवी के माता-पिता मजदूरी करते हैं। निजी अस्पतालों में खर्च करना उनके बस में नहीं है। इसलिए वैष्णवी को उपचार के लिए मेडिकल लाया गया था। 

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मेडिकल के अतिदक्षता विभाग में 30 बेड हैं, लेकिन एक भी बेड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी सेवा फाउंडेशन के राज खंडारे ने दी थी। मेडिकल व ट्रामा में मिलाकर 221 वेंटिलेटर बेड हैं। इसमें से ट्रामा में 47 हैं। यहां के 35 वेंटिलेटर शुरू हैं। 12 वेंटिलेटर बंद हैं। वैसे ही मेडिकल में 191 वेंटिलेटर शुरू हैं और 18 बंद हैं। 

यह बात और है कि मेडिकल प्रशासन पर्याप्त वेंटिलेटर उपलब्ध होने का दम भरता है, लेकिन वैष्णवी की मौत ने सारे दावों की पोल खोलकर रख दी है। 

 

Created On :   16 Sept 2022 6:45 PM IST

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