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माढ़ोताल में क्यों नहीं बनाते स्पोट्र्स सिटी? ;चरनोई मद की 320 एकड़ कीमती जमीन क्या दबंगों को गिफ्ट कर दी गई?
भास्कर पड़ताल - जो शासन-प्रशासन अपनी जमीन की देखभाल ठीक से नहीं कर सकता वह किसानों को कैसे राहत देगा
डुमना के आसपास 25 एकड़ में ग्रीन सिटी व स्पोर्ट मैदान बनाने की चर्चा शुरू हो गई। जबकि इस क्षेत्र में नगर निगम के नाम जमीन ही नहीं है। डुमना एयरपोर्ट जाने वाली सड़क की अड़ंगेबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पर्यावरण की दृष्टि से डुमना क्षेत्र सुरक्षित भी नहीं है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे कोई अन्य जमीन की भी तलाश करें और इस प्रोजेक्ट को गति दें। अभी भास्कर की प्रारंभिक पड़ताल में पता चला है कि शहर के मध्य आईएसबीटी के आसपास करीब 320 एकड़ चरनोई मद की जमीन है जिसमें दबंगों का कब्जा होता जा रहा है। चरनोई की इस जमीन पर किसी की नजर नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी चाहें तो इसे खाली कराकर स्पोर्ट ग्रीन सिटी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम आसानी से बनवा सकते हैं।
डिजिटल डेस्क जबलपुर । राष्ट्रीय स्तर का खेलकूद मैदान और स्पोर्ट सिटी की प्लानिंग डुमना के आसपास किए जाने की चर्चा है, जबकि डुमना ग्रीन कॉरिडोर को लेकर पहले से विवाद की स्थिति बनी हुई है। पर्यावरण की दृष्टि से डुमना के आसपास का क्षेत्र ग्रीन सिटी या फिर राष्ट्रीय खेलकूद के हिसाब से ठीक भी नहीं है। लिहाजा शहर के अंतर्राज्यीय बस टर्मिनस माढ़ोताल से लगी हुई करीब 320 एकड़ जमीन चरनोई मद की पड़ी है, जहाँ पर राष्ट्रीय खेलकूद की गतिविधियाँ, स्कूल-कॉलेज और ग्रीन सिटी जैसे प्रोजेक्ट्स आसानी से कराए जा सकते हैं। इस चरनोई मद की जमीन पर किसी का ध्यान ही नहीं है। जबकि विवादित डुमना नेचर पार्क के आसपास स्मार्ट सिटी ने 25 एकड़ भूमि पर क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, जेवलिन थ्रो, एथलीट ट्रैक और राष्ट्रीय स्तर का जिमनेशियम आदि बनाने के लिए 50 करोड़ के प्रोजेक्ट की प्लानिंग कर ली। जिस प्रोजेक्ट पर शुरू होने से पहले ही अड़ंगा लगाए जाने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है।
दबंगों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा अवैध कब्जा
भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि माढ़ोताल आईएसबीटी के आसपास लगभग 320 एकड़ चरनोई मद की जमीन है, जहाँ पर धड़ल्ले से दबंगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। कई लोगों ने तो उस जमीन को अपने नाम भी करा लिया है। प्रशासनिक अधिकारी चाहें तो इस जमीन का भी उपयोग इस प्रोजेक्ट को डेवलप करने में कर सकते हैं। क्योंकि चरनोई मद की जमीन शासकीय मद की जमीन ही होती है। अधिकारी चाहें तो सन् 1954-55 के रिकॉर्ड की जाँच पड़ताल कराकर वास्तविकता का पता लगा सकते हैं।
Created On :   3 Jun 2021 2:51 PM IST