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अनुमति मिलने के बाद भी क्यों नहीं की गई झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई?-हाईकोर्ट ने जारी किए सरकार को नोटिस,
डिजिटल डेस्क जबलपुर । पात्रता न होने के बाद भी ऐलोपैथी दवाईयों से मरीजों का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अनुमति मिलने के बाद भी कार्रवाई न किए जाने को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को ई-मेल से नोटिस भेजने के निर्देश देकर अगली सुनवाई 26 जून को निर्धारित की है।
जबलपुर के पत्रकार ऋषिकेश सराफ की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के दौरान शहर में बड़ी संख्या में आयुर्वेद और होम्योपैथी की डिग्री वाले कुछ डॉक्टर गैरकानूनी तरीके से ऐलोपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनके द्वारा सर्दी व खांसी के मरीजों का जो गलत इलाज किया जा रहा, उसकी वजह से शहर में कोरोना का संक्रमण और फैलने का खतरा बढ़ गया है। आरोप यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग के अलावा कलेक्टर और कमिश्नर ने भी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी। उसके बाद शहर के 28 झोलाछाप डॉक्टरों में से सिर्फ 13 की ही जांच की गई। उनमें से मात्र 5 पर ही एफआईआर की गई। और तो और कुछ ही दिनों में यह कार्रवाई बिना किसी कारण के बंद भी कर दी गई। इस पर यह याचिका दायर की गई। मामले पर सोमवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पारितोष गुप्ता का पक्ष सुनने के बाद युगलपीठ ने नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
Created On :   23 Jun 2020 2:05 PM IST