- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- आदिवासियों को मिलेगी हक की जमीन
आदिवासियों को मिलेगी हक की जमीन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला महिला व बालविकास अधिकारी अर्पणा कोल्हे ने जिले में कोरोना से विधवा हुई 544 महिलाओं को संजय गांधी निराधार योजना का लाभ दिए जाने की जानकारी दी। योजना के तहत विधवा महिला को हर महीने एक हजार रुपए व संतान होने पर 1200 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। जिला कृति दल की बैठक में श्रीमती कोल्हे द्वारा यह जानकारी जिलाधीश विमला अार. को दी गई। कोरोना से एक पालक खो चुके बालकों की संख्या 1370 है आैर उसमें से 381 बच्चों की सामाजिक जांच रिपोर्ट पूरी हो चुकी है। शेष बच्चों के घर जल्द ही टीम जाएगी। कोरोना से जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हुई, उनकी संपत्ति की कोई बिक्री नहीं कर सकेगा। इस संबंध में सहनिबंधक कार्यालय को पत्र दिया जाएगा। शुल्क नहीं लेने संबंधी पत्र शिक्षा विभाग को दिया जाएगा। कोरोना से विधवा हुईं महिलाएं व अनाथ बच्चों की योजना के संदर्भ में हाल ही में विधान परिषद उपसभापति नीलम गोर्हे ने बैठक ली थी।
आदिवासियों को मिलेगी हक की जमीन
उधर विभागीय वन अधिकार समिति की अध्यक्ष विभागीय आयुक्त प्राजक्ता लवंगारे-वर्मा के समक्ष मंगलवार को आदिवासियों के 84 वन अधिकार दावों पर सुनवाई हुई। दावा करने वाले आदिवासियों से सीधे संवाद कर उनकी बातें सुनी गईं। विभागीय आयुक्तालय के सभागृह में समिति की अध्यक्ष विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई सुनवाई मेें विभागीय वन अधिकार समिति के सदस्य सचिव और आदिवासी विकास विभाग के अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र ठाकरे, समिति के सदस्य गड़चिरोली के मुख्य वनसंरक्षक डॉ. किशोर मानकर, अशासकीय सदस्य सुधाकर कुलमेथे, ज्ञानेश आत्राम, कुमारीबाई दसरु जामकटन, विभागीय वन अधिकार कक्ष के नोडल अधिकारी हरीश भामरे शामिल थे। जिलास्तरीय वन अधिकार समिति व उपविभागस्तरीय वन अधिकार समिति द्वारा तैयार किए गए वन अधिकार की मांगें व अभिलेखांे का निरीक्षण करके नियमानुसार जरूरी दस्तावेज देखकर अपिल पर अंतिम निर्णय लिया गया है। अनुसूचित जनजाति व अन्य पारंपरिक वन निवासी को निजी व सामूहिक वन अधिकार या इन दोनों के ही धारणाधिकार मिलने के अधिकार प्राप्त हुए हैं। खुद की आजीविका के लिए खेती, खेती के लिए वन जमीन प्राप्त करना आैर वहां रहना व वनोत्पादन संगृहीत करके उसके उपयोग का अधिकार मिला है। अन्न सुरक्षा व आजीविका इस दृष्टि से यह अधिकार काफी अहम है। आदिवासियों को उचित न्याय दिलाने के लिए तुरंत कार्यवाही करने के निर्देश विभागीय आयुक्त द्वारा दिए गए।
उपमहापौर ने फाइलें मंजूर कर परस्पर ठेकेदारों को दिए काम
इसके अलावा कोरोनाकाल के कारण मनपा मेें विकास कार्य रुके हैं। आगामी वर्ष चुनाव होने से नगरसेवकों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। ऐसे में नगरसेवक जहां-जहां से निधि उपलब्ध हो, उसका दरवाजा खटखटा रहे हैं। उपमहापौर को साल की 2 करोड़ की निधि मिलती है। जिस कारण अनेक नगरसेवकों ने उपमहापौर मनीषा धावड़े के पास अपने-अपने प्रभाग के छोटे काम के लिए प्रस्ताव दिए हैं। विशेष यह कि उपमहापौर को इन कामों को मंजूर कर फाइल नगरसेवकों को लौटानी चाहिए थी, ताकि नगरसेवक अपने प्रभाग में काम करवा सके। आरोप है कि उपमहापौर ने नगरसेवकों को फाइल देने के बजाय काम मंजूर कर उन कामों को परस्पर अपने ठेकेदारों को आवंटित कर दिया है। ऐसे में अपने ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस में इसमें अनियमितता होने का भी खुलासा किया है। कांग्रेस नेता व मनपा में प्रतिपक्ष नेता तानाजी वनवे ने इस संंबंध में मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. को पत्र लिखकर 3 लाख से कम वाले कामों को तुरंत रोककर इनकी जांच करने की मांग की है। आयुक्त द्वारा उचित कदम नहीं उठाने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। फिलहाल नगरसेवक चुनावी मोड में है। मतदाताओं के सामने जाने से पहले ज्यादा से ज्यादा काम कैसे हो सकते हैं, इसके लिए दिन-रात जद्दोजहद शुरू है। वे प्रत्येक फंड का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को अमली जामा पहनाना चाहते हैं। मनपा आयुक्त द्वारा विकास कार्यों की फाइलें मंजूर नहीं करने से अब नगरसेवक महापौर, उपमहापौर और स्थायी समिति सभापति से गुहार लगाकर फाइलें मंजूर करवा रहे हैं। इन पदाधिकारियों को सालाना विशेष फंड उपलब्ध होता है। महापौर को 5 करोड़ तो उपमहापौर को 2 करोड़ का फंड मिलता है। इस फंड का उपयोग सभी पार्टियों के नगरसेवकों के लिए किया जाता है। कांग्रेस नेता वनवे ने आरोप लगाया कि उपमहापौर सिर्फ भाजपा के नगरसेवकों को फंड उपलब्ध करा रही है। कांग्रेस को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। तानाजी वनवे के आरोपों पर उपमहापौर मनीषा धावड़े ने कहा कि उपमहापौर को 2 करोड़ की निधि मिलती है। जिसमें सभी नगरसेवकों को प्राथमिकता देनी होती है। कांग्रेस के 6 नगरसेवकों की फाइल मंजूर की है। पहली फाइल तानाजी वनवे की थी। 2 करोड़ का फंड था, जिसे सबको दिया गया। अब पैसा नहीं है। फिर भी प्रतिपक्ष नेता और एक फाइल मंजूर करने के लिए दबाव बना रहे थे। इसके लिए वे दूसरों की फाइल रद्द कर अपनी फाइलें मंजूर करने कह रहे थे। फाइल मंजूर नहीं करने पर आयुक्त से शिकायत करने की धमकी दे रहे थे। मैंने जिन्हें काम दिया, वह मेरे नहीं मनपा के ठेकेदार हैं। आयुक्त निष्पक्ष जांच करें और शंकाओं का समाधान करें। चुनाव करीब आने से तानाजी वनवे हताश है, प्रभाग की जनता उनसे नाराज है इसलिए वे हताशा निकाल रहे हैं।
Created On :   18 Aug 2021 3:16 PM IST