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पत्नी की मांग - बार-बार विदेश जाता है पति इसलिए बढ़ाओं गुजारा भत्ता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पति के लगातार विदेश दौरों का हवाला देकर उसकी अच्छी माली हालत होने का दावा करनेवाली पत्नी के गुजारे भत्ते में बढ़ोतरी करने से इंकार कर दिया है। निचली अदालत ने पत्नी को गुजारे भत्ते के रुप में हर माह एक लाख 75 हजार रुपए जबकि बेटे को 50 हजार रुपए देने का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जबकि पत्नी ने गुजाराभत्ते में बढोत्तरी की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
याचिका में पत्नी ने दावा किया था कि उसका पति एक नामी कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर है। उसका मासिक वेतन 6 लाख 32 हजार रुपए है। इसके साथ ही उसने अपने पति के पासपोर्ट के आधार पर दावा किया कि उसके पति लगातार विदेश यात्राएं करते हैं। खासतौर से एम्सटर्डम (नीदरलैंड) जाते है। एम्सटर्डम रेव पार्टी के लिए मशहूर है। इससे यह पता चलता है उसके पति की माली हालत काफी अच्छी है। इसलिए उसके गुजारेभत्ते की रकम को कम करने की बजाय उसे बढाकर पांच लाख रुपए करने का निर्देश दिया जाए। और इसमें सालाना दस प्रतिशत की बढोत्तरी की जाए।
वहीं पति के वकील ने न्यायमूर्ति अजय गड़करी के सामने दावा किया कि निचली अदालत ने काफी ज्यादा गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया है। मेरे मुवक्किल गुजारा भत्ता के अलावा बच्चे की पढाई का पूरा खर्च वहन करते हैं। बच्चे की ट्यूशन की फीस भी भरते है। बच्चे के भविष्य के लिए ली गई पॉलिसी की किश्त भी भरते हैं। ऐसे में मेरे मुवक्किल के वेतन से इतनी राशि नहीं बचती है कि वे अपने निजी खर्च को पूरा कर सके। जहां तक बात विदेश यात्राओं की है तो मेरे मुवक्किल जिस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है उसका मुख्यालय सिंगापुर में है। जिसके चलते उन्हें कारोबार के सिलसिले में अक्सर विदेश यात्राएं करनी पड़ती है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि पति अक्सर विदेश यात्रा करता है सिर्फ इस आधार पर उसकी माली हालत का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। न्यायमूर्ति ने कहा कि पति विदेश यात्रा करता है इसका मतलब यह नहीं है वह सारी यात्रा का खर्च अपनी जेब से करता हो। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने पत्नी के गुजारा भत्ते की रकम को एक लाख 75 हजार से घटाकर एक लाख 25 हजार कर दिया और पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति ने गुजारेभत्ते के अलावा निचली अदालत के बाकी आदेश को कायम रखा है।
Created On :   31 Dec 2019 7:01 PM IST