सात जनवरी तक नितेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे

Will not take strict action against Nitesh till January 7
सात जनवरी तक नितेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे
हाईकोर्ट सात जनवरी तक नितेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य पुलिस ने बांबे हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह हत्या के प्रयास से जुड़े कथित मामले में आरोपी भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे के खिलाफ सात जनवरी 2022 तक कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगी। इसके बाद न्यायमूर्ति सीवी भडंग ने नितेश के जमानत आवेदन पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। और पुलिस को जमानत आवेदन पर जवाब देने का निर्देश दिया। इससे पहले सिंधुदुर्ग की कोर्ट ने नितेश को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था। लिहाजा अब नितेश ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया है। विशेष सरकारी वकील सुदीप पासबोला ने न्यायमूर्ति के सामने कहा कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस मामले में नितेश मास्टर माइंड है और जांच से बचने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने कहा कि पुलिस को इस मामले में जवाब देने के लिए समय दिया जाए। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नितिन प्रधान ने कहा कि पुलिस जब तक जवाब नहीं दे देती है तब तक उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की जाए। मेरे मुवक्किल को परेशान व अपमानित करने के लिए इस मामले में आरोपी बनाया गया है। मेरे मुवक्किल 24 दिसंबर 2021 को  पुलिस के सामने हाजिर हुए थे। उनका बयान भी दर्ज किया गया है।  फिर कुछ समय बाद मेरे मुवक्किल को गिरफ्तार करने की बात कही गई। इसके बाद मेरे मुवक्किल ने सिंधुदुर्ग कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया। इस पर सरकारी वकील पासबोला ने कहा कि आरोपी नितेश जब पुलिस के सामने हाजिर हुए थे। उस समय मामले कि जांच आरंभिक स्तर पर थी। 26 दिसंबर को आरोपी के एक सहयोगी को दिल्ली से पकड़ा गया था। जिसने इस मामले में नितेश की भूमिका का खुलासा किया है। पुलिस को जांच में पता चला है कि एक शिवसेना कार्यकर्ता पर हमले से जुड़े मामले में नितेश मास्टरमाइंड है। इस तरह दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि अब हम सात जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेंगे। इसके बाद सरकारी वकील ने न्यायमूर्ति को मौखिक आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक पुलिस आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगी। 

गर्भपात से जुड़े मामले को देखने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करे राज्य सरकार-हाईकोर्ट

गर्भपात की अनुमति के लिए बड़ी संख्या में दायर की जानेवाली याचिकाओं के मद्देजनर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित करने की दिशा में कदम उठाने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम (एमटीपी एक्ट) में संसोधन के बाद राज्य सरकार से अपेक्षित था कि वह मेडिकल बोर्ड का गठन करे। बोर्ड में स्त्रीरोग विशेषज्ञ,बालरोग विशेषज्ञ रेडियोलाजिस्ट के अलावा ऐसे सदस्यों को शामिल किया जाना जरुरी है जिन्हें केंद्र व राज्य सरकार अधिसूचित करे। लेकिन राज्य सरकार अब तक इस बोर्ड का गठन करने में विफल रही है। जिससे न सिर्फ महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। बल्कि कोर्ट में भी गर्भपात की अनुमति के लिए दायर की जानेवाली याचिकाओं की संख्या भी बढ रही है। इसलिए राज्य सरकार गर्भपात की अनुमति से जुड़े विषय को देखने के लिए मेडिकल बोर्ड का तत्काल गठन करे। ताकि गर्भपात की अनुमति के लिए महिलाओं को अपनी बात रखने के लिए एक विकल्प मिल सके। न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने एक महिला को 25 सप्ताह के भ्रूण की गर्भपात की अनुमति देते हुए राज्य सरकार को मेडिकल बोर्ड के गठन के लिए कदम उठाने को कहा। महिला ने याचिका में दावा किया था कि उसके भ्रूण में विसंगति है। इसलिए उसे गर्भपात की इजाजत दी जाए। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात कोर्ट की इजाजत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 31 दिसंबर को 2021 को सुनवाई के बाद दिए गए अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा कि एमटीपी कानून में संसोधन के बाद न सिर्फ गर्भपात की अवधि को बढाय गया है बल्कि मेडिकल बोर्ड के गठन का भी प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार से इस बोर्ड का गठन अपेक्षित था लेकिन सरकार अब तक इसमें विफल रही है। खंडपीठ ने फिलहाल अपने इस आदेश की प्रति राज्य के महाधिवक्ता को भेजने का निर्देश दिया है और इस विषय पर तत्काल कार्रवाई करने की बात कही है। 
 

Created On :   4 Jan 2022 9:23 PM IST

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