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क्या खत्म हो रहा एंटीबायोटिक दवाओं का असर रिसर्च से खुलासे होंगे, फिर बदलेगा डोज का पैटर्न
डिजिटल डेस्क जबलपुर । वर्षों पहले आप जिस दवाई की एक खुराक में दुरुस्त हो जाते क्या अब उसकी पूरी स्ट्रिप भी उतनी असरदार नहीं है? कुछ इस तरह के सवाल उठना लाजिमी है, क्योंकि पिछले कुछ सालों से महसूस किया जा रहा है कि एंटीबायोटिक दवाओं का अब उतना असर नही। इसकी और भी कई वजह हो सकती है। एम्स ने रिसर्च शुरू की है और जबलपुर के तीन अस्पताल इसमें अहम डाटा जुटाकर देंगे। प्रतिजैविक दवाओं के ज्यादा उपयोग से मरीजों के शरीर पर इनका असर कम हो रहा है। कुछ मरीजों पर इनका प्रभाव खत्म हो चुका है। जबकि कुछ ऐसी प्रतिजैविक दवाएँ हैं जो कम प्रचलन में होने के बाद भी ज्यादा प्रभावी हैं। कई बार बिना जरूरत रोग प्रतिजैविक दवा मरीज को दिए जाने पर उसका बैक्टीरिया पर प्रभाव कम हो रहा है। इन दवाओं के लगातार सेवन से साइड इफैक्ट्स भी सामने आ रहे हैं। यह बात कुछ वक्त पहले एम्स दिल्ली और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा कराए गए एक शोध में सामने आई थी। जिसके बाद यह प्रश्न सामने खड़ा हुआ कि क्या अत्यधिक उपयोग के चलते एंटीबायोटिक या प्रतिजैविक दवाओं का असर खत्म हो रहा है? अब एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग और प्रभाव को लेकर शहर के तीन निजी अस्पतालों में अध्ययन किया जा रहा है। यह अध्ययन भोपाल एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) द्वारा कराया जा रहा है। इस दौरान एम्स के चिकित्सक चिन्हित तीनों निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दी जा रही एंटीबायोटिक दवाओं का अध्ययन कर रहे हैं। दिल्ली एम्स द्वारा कराई गई रिसर्च के बाद प्रदेश में एंटीमाक्रोबॉयल रजिस्टेंस पर काम शुरू किया गया है, जो कि एनएचएम डायरेक्टर डॉ. पंकज शुक्ला और भोपाल एम्स के डॉ. सागर के निर्देशन में हो रहा है।
Created On :   6 Sept 2021 3:50 PM IST