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ठंड ने बनाया रिकार्ड - 58 साल में सबसे सर्द रहे दिसम्बर के रात और दिन
दो दिन से फिर मौसम रूठा, किसानों की बढ़ी धडकऩ, बिलहरी क्षेत्र में गिरे चना के आकार के ओले
डिजिटल डेस्क कटनी । 2019 नया रिकार्ड बना कर बीता है। दिसम्बर माह में पहली बार लोगों को कड़ाके की ठंड का अहसास हुआ। हालांकि नए साल का पहला दिन भी ठंडा रहा। जानकारों के अनुसार पिछले 50 सालों में दिसम्बर माह के दिन और रात सबसे सर्द रहे। इस साल दिसम्बर माह में अधिकतम तापमान 18 डिसे एवं न्यूनतम तापमान 4 डिसे दर्ज किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार दिसम्बर 1961 में औसत न्यूनतम तामपान 8 डिग्री सेंटीग्रेट रहा। दिसम्बर 2002 में औसत अधिकतम तापमान 22.3 डिग्री सेंटीग्रेट दर्ज किया गया था। 31 दिसम्बर को अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 8 डिसे दर्ज किया गया था। इसके पहले 28 दिसम्बर को कटनी का न्यूनतम तापमान 4 डिसे एवं अधिकतम तापमान 19 डिसे था।
सुबह रिमझिम,शाम को बरसे ओले
मंगलवार से फिर से बेमौसम बारिश का दौर शुरू हुआ। मंगलवार शाम को हल्की बारिश हुई थी लेकिन पूरी रात बादल छाए रहे। वहीं बुधवार सुबह कहीं-कहीं रिमझिम बारिश हुई तो शाम को कुछ स्थानों में तेज बौछारों के साथ चना के आकार के ओले भी गिरे। बिलहरी एवं आसपास के गांवों में बुधवार शाम पानी के साथ ओले गिरे। मौसम को लेकर किसानों की धडकऩें बढ़ गई हैं। खासकर ओलावृष्टि से किसानों में भय है।
फिर गड़बड़ाई धान की खरीदी
मौसम बिगड़ते ही धान की खरीदी पर एक बार फिर असर पड़ा है। बारिश से धान गीली हो जाने से प्रभारियों ने खरीदी पर ब्रेक लगा दिया है। वहीं परिवहन की रफ्तार धीमी पडऩे से जिले के केन्द्रों में लगभग पौने तीन लाख क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है। जानकारी के अनुसार जिले 61 केन्द्रों में अब तक 958913 क्विंटल धान की खरीदी की गई है। इसमें से 726384 क्विंटल का परिवहन किया जा चुका है और 274649 क्विंटल धान का परिवहन होना शेष है।
दलहन बचाने की चिंता
बेमौसम बारिश से किसानों में सबसे ज्यादा चिंता दलहन को लेकर है। चना, मसूर एवं अरहर को बारिश से नुकसान होने की आशंका से किसान परेशान हैं। वहीं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह बारिश गेहूं की फसल ेके लिए अमृत के समान है। कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम विज्ञानी संदीप चंद्रवंशी के अनुसार बारिश से फसलों को अभी कोई क्षति नहीं है लेकिन मौसम साफ होने पर दलहन एवं सब्जी की फसलों में पाला का खतरा हो सकता है। इसके लिए किसानों को उपाय करने होंगे।
Created On :   2 Jan 2020 3:19 PM IST