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कानूनी रुप से विवाहित पत्नी न होने पर महिला नहीं लगा सकती दहेज उत्पीड़न का आरोप
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पहले पति से तलाक लिए बगैर दूसरी शादी करनेवाली महिला अपने दूसरे पति पर दहेज उत्पडीड़न(भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए) का आरोप नहीं लगा सकती है। निचली अदालत की ओर से दिए गए इस मत को कायम रखते हुए बांबे हाईकोर्ट दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामले में आरोपी पति व उसके रिश्तेदारों की रिहाई के आदेश बरकरार रखा है। निचली अदालत ने इस मामले में आरोपी पति इब्राहिम शेख व को बरी कर दिया था। क्योंकि शिकायतकर्ता(पत्नी) ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना ही शेख से दूसरा विवाह कर लिया था। इसलिए निचली अदालत ने शिकायतकर्ता को शेख की कानूनी रुप से विवाहित पत्नी से मानने से इंनकार कर दिया था। और स्पष्ट किया था कि चूंकि शिकायतकर्ता शेख के कानूनी रुप से विवाहित पत्नी नहीं है। लिहाजा इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए को लागू नहीं किया जा सकता है। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
न्यायमूर्ति सीवी भडंग के सामने अपील पर सुनवाई हुई। अपील पर गौर करने के बाद पाया कि शिकायतकर्ता ने अपने पति पर पैसे की मांग को न पूरा करने पर बूरा बर्ताव करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर पति व उसके रिश्तेदारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए,323, 504 व 34 के तहत मामला दर्ज किया था। मामले से जुड़े रिकार्ड पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि शिकायतकर्ता(पत्नी) ने कानूनी तरीके से तलाक लेने के बाद दूसरा विवाह किया है। इस लिहाजा से निचली अदालत का यह मत सही नजर आता है कि शिकायतकर्ता आरोपी(पती) की कानूनी रुप से विवाहित पत्नी नहीं है। इसलिए धारा 498ए नहीं लगाई जा सकती है। न्यायमूर्ति ने कहा कि हमे निचली अदालत के आदेश में खामी नजर नहीं आती है।इसलिए रिहाई के आदेश को कामय रखा जाता है और राज्य सरकार क अपील को खारिज किया जाता है।
Created On :   26 Nov 2021 8:12 PM IST