डेंगू से महिला की मौत लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अब तक नहीं गई कोई जान

Woman dies of dengue but no life has been lost in official records so far
डेंगू से महिला की मौत लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अब तक नहीं गई कोई जान
अधिकारी कह रहे डेंगू की पुष्टि नहीं डेंगू से महिला की मौत लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अब तक नहीं गई कोई जान


डिजिटल डेस्क जबलपुर। डेंगू के बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग और निगम प्रशासन द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। प्रतिदिन मिल रहे मरीज इस बात की गवाही खुद दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में अब तक डेंगू से कोई मौत नहीं हुई है, लेकिन हकीकत कुछ और है। बुधवार को रांझी मानेगाँव निवासी 40 वर्षीय महिला ने डेंगू के चलते दम तोड़ दिया। महिला का इलाज शहर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, लेकिन अस्पताल ने स्वास्थ्य में सुधार न होता देख हाथ खड़े कर दिए। जिसके बाद परिजन उन्हें भोपाल एक अस्पताल ले गए, जहाँ उपचार शुरू तो हुआ लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। घटना से बेखबर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सर्वे और लार्वा विनष्टीकरण के नाम पर औपचारिकता पूरी करने में लगे हुए हैं।
घटकर 9 हजार हो गई प्लेटलेट्स
इंद्रा आवास कॉलोनी, मानेगाँव निवासी दिनेश मिश्रा ने बताया कि उनकी पत्नी श्रीमती ममता को बुखार की शिकायत होने के बाद एक स्थानीय लैब में जाँच कराई तो डेंगू होने की जानकारी मिली। इलाज के लिए 29 जुलाई को राइट टाउन स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहाँ सभी तरह की जाँचें की गईं। प्लेटलेट्स घटकर 9 हजार तक आ गई थी। इलाज शुरू होने के तीसरे दिन अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए और नागपुर ले जाने की सलाह दे डाली। इसके बाद भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ बुधवार की रात उनकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। श्री मिश्रा के अनुसार रांझी क्षेत्र में डेंगू नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रयास नाकाफी रहे हैं। क्षेत्र में बड़ी संख्या में डेंगू पीडि़त हैं।
250 के पार पहुँचा आँकड़ा
जिले में सरकारी आँकड़ों में 1 जनवरी से लेकर अब तक 252 डेंगू के मरीज मिले हैं। गुरुवार को भी 12 मरीजों के मिलने की पुष्टि हुई है। जबकि निजी अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में मरीज भर्ती हैं। कई मरीज अस्पतालों में भर्ती होने के लिए कतार में हैं, लेकिन बेड को लेकर हर तरफ मारामारी है।
एलाइजा टेस्ट नहीं हुआ
शहर के जिस अस्पताल में महिला का इलाज चल रहा था, वहाँ से जानकारी ली गई है। अस्पताल द्वारा एलाइजा टेस्ट के लिए जाँच किट नहीं भेजी गई, जिसके चलते डेंगू की पुष्टि नहीं की जा सकती। महिला को कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ भी थीं। एहतियातन संबंधित क्षेत्र में सर्वे कराया जाएगा।
-डॉ. आरके पहारिया, जिला मलेरिया अधिकारी
महीने भर में निजी अस्पतालों से आए 97 सैंपल, 26 पॉजिटिव
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि डेंगू के संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल एलाइजा टेस्ट के लिए भेजे जाएँ, जिसके बाद अगस्त माह में मात्र 97 सैंपल ही शहर के निजी अस्पतालों द्वारा भेजे गए हैं, इनमें से 26 में डेंगू होने की पुष्टि हुई है। शहर में 100 से भी अधिक निजी अस्पताल हैं, जिन्हें देखते हुए सैंपल भेजने का आँकड़ा बेहद कम नजर आता है। हालाँकि निजी अस्पतालों की यह शिकायत है कि सैंपल भेजने के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी जाती है, ऐसे में सैंपल भेजना औपचारिकता मात्र रह जाता है। जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा सैंपल पॉजिटिव मिलने के बाद अस्पताल की बजाय मरीज से संपर्क किया जाता है, ताकि प्रभावित क्षेत्र का सर्वे कराया जा सके।
गुरुवार को 1300 घरों का सर्वे
गुरुवार को जिला मलेरिया विभाग की टीम ने शहरी क्षेत्र के 1300 घरों का सर्वे किया। जिसमें से 6459 कंटेनरों में लार्वा की जाँच की गई। इनमें से 51 घरों के 66 कंटनरों में लार्वा मिले, जिसके बाद उन्हें नष्ट कराया गया। इसके अलावा 212 बुखार पीडि़तों की आरडी किट से जाँच की गई, जिसमें से कोई भी मलेरिया पॉजिटिव नहीं मिला। काँचघर में डीएमओ डॉ. पहारिया डेंगू पॉजिटिव के घर पहुँचे और फॉलोअप लिया। इसके अलावा टीम अमखेरा बस्ती भी पहुँची।

Created On :   2 Sept 2021 11:41 PM IST

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