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महिला कमजोर वर्ग, इसलिए उसकी सुविधा का ख्याल रखना जरुरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि कानून महिला को समाज के कमजोर तबके से संबंधित मानता है। इसलिए महिला की असुविधा को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह बात वैवाहिक विवाद को एक स्थान से दूसरी जगह स्थनांतरित किए जाने की मांग को लेकर दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कही। इसमें से एक याचिका पत्नी ने दायर की थी। इस याचिका में पत्नी ने मांग की थी कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली को लेकर पुणे में दायर पति की याचिका को ठाणे में स्थनांतरित कर दिया जाए। जबकि पति ने कोर्ट से आग्रह किया था कि पत्नी की ओर से तलाक की मांग के संबंध में ठाणे में दायर याचिका को पुणे स्थनांतरित कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति श्रीराम मोडक के सामने इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा कि चूंकि इस मामले में बच्चों की कस्टडी पति के पास है। क्योंकि पति कें घर में मां व बहन बच्चों की देखरेख कर रहे हैं। इसलिए पति की ओर से वैवाहिक अधिकार की बहाली से जुड़ी याचिका को पुणे से ठाणे कोर्ट में स्थानांतरित किया जाता है। जहां पत्नी की ओर से तलाक की मांग लेकर दायर याचिका सुनवाई के लिए प्रलंबित है।
न्यायमूर्ति ने महिला की याचिका पर विचार करने के बाद कहा कि महिला को यात्रा करने में होनेवाली असुविधा को ज्यादा महत्व दिया जाना जरुरी है। क्योंकि कानून महिला को समाज के कमजोर तबके से संबंधित मानता है। जिसे ज्यादा सुरक्षा की जरुरत है। न्यायमूर्ति ने कहा कि महिला ने दावा किया है कि जब वह अपने पति के साथ थी तो उसके साथ काफी बुरा बर्ताव किया गया था। वह अपने जीवन की सुरक्षा को लेकर भी भयभीत है। इसलिए इस पहलू के मद्देनजर उसकी ओर से पति की तरफ से पुणे कोर्ट में दायर मामले को ठाणे में स्थानांतरित करने की मांग पर विचार किया जाना जरुरी है। इस तरह से न्यायमूर्ति ने महिला की ओर से की मांग को मंजूर कर लिया जबकि पति की याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   22 Aug 2022 8:04 PM IST