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शुरू होने के पहले ही अटका वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शुरू होने के पहले ही वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अटक गया है। शहर में राज्य का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनने वाला है, लेकिन फंड नहीं मिलने से इसका कार्य शुरू नहीं हो पाया है। पिछले साल 16 जुलाई को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र राज्य का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का भूमिपूजन किया था। इस प्लांट को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
राशि नहीं मिलने से हुई देरी
नागपुर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (एनएसडब्ल्यूपीएमपीएल), एस्सेल इंफ्रा लिमिटेड द्वारा भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड के 10 एकड़ में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनाई जाने वाली है। इसे जुलाई 2020 तक बना कर तैयार करना है, लेकिन आठ माह बाद भी जमीनी स्तर पर कार्य शुरू नहीं हुआ है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए बैंक द्वारा फंडिंग की समस्या आ रही है। प्लांट के लिए 218 करोड़ का बजट तैयार किया गया था, जिसमें नागपुर महानगर पालिका द्वारा गेप फंडिंग के 70 करोड़ स्वच्छ भारत मिशन के तहत दिए गए हैं। शेष राशि एनएसडब्ल्यूपीएमपीएल को बैंक से नहीं मिली है। इसके कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
टेक्नोलॉजी और इक्विपमेंट बनाने का आर्डर दिया
प्रोजेक्ट के लिए 2 नवंबर को पॉवर फाइनेंस कार्पोरेशन से लोन पास हुआ है, जिसके बाद प्रोजेक्ट के टेक्नोलॉजी पार्टनर हिताची को टेक्नोलॉजी और इक्विपमेंट बनाने का कार्य दिया गया है। यह टेक्नोलॉजी 6 से 7 माह में तैयार होगी, जिसके बाद इसे इंस्टाल करने का कार्य शुरू किया जाएगा। फिलहाल भांडेवाड़ी में प्लांट के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है।
11.5 मेगावाट बिजली बनेगी
शहर से रोजाना 800 मीट्रिक टन सूखा कचरा निकलता है। इस कचरे को 900 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाता है, जिससे भाप बनती है। उस भाप से बिजली बनाई जाती है। इससे प्लांट से 11.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकेंगे।
समय पर पूरा कर लेंगे
इसके लिए 14 तरह की अलग-अलग अनुमति लेनी पड़ती है, तभी कार्य शुरू होता है। अब सभी तरह की अनुमति मिल गई है। हमें प्लांट को तैयार करने के लिए 24 माह का समय मिला था। हम इसे निश्चित समय में पूरा कर लेंगे। 2020 तक यह प्लांट बन कर तैयार हो जाएगा।
- जीवन सोनवने, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एस्सेल इंफ्रा लिमिटेड
सीएनजी गैस बनाने में फायदा
वेस्ट टू एनर्जी प्रक्रिया के दौरान कैंसर मानक डायोक्सिन और फ्यूरन गैस निकलती है, इसलिए इस विषय पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही गीले कचरे पर बायोमाइनिंग कर खाद बनाने की बजाय नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सीएनजी गैस बनानी चाहिए, वह फायदेमंद हैं। बायोमाइनिंग से 80 मीट्रिक टन खाद निकलेगी, जो बहुत ज्यादा है। इसे नाइट्रोजन फासफोरस और पोटैशियम मिलाकर ही उपयोग कर सकते हैं।
- कौस्तभ चटर्जी, पर्यावरणविद
Created On :   30 March 2019 3:58 PM IST