शेयर मार्केट में लगाया कामगारों का पैसा, फिलहाल 26 फीसदी माइनस रिटर्न

Workers money invested in the stock market, currently 26 percent minus return
शेयर मार्केट में लगाया कामगारों का पैसा, फिलहाल 26 फीसदी माइनस रिटर्न
सरकार की नई नीति से संकट शेयर मार्केट में लगाया कामगारों का पैसा, फिलहाल 26 फीसदी माइनस रिटर्न

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2005 के बाद सरकारी सेवा में लगे कर्मचारियों को पेंशन नहीं है। कामगार संगठनों ने पेंशन बंद करने का विरोध किया, तो सरकार ने योगदान के आधार पर रिटायरमेंट के बाद हर महीने कुछ निधि देने का निर्णय लिया। कामगार का पैसा न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) मद में जमा हो रहा है, और सरकार ने इस मद का पैसा शेयर मार्केट में लगाया है। फिलहाल शेयर मार्केट के दिन ठीक नहीं हैं, इसलिए कामगारों को ऑनलाइन हिसाब-किताब में 26 फीसदी माइनस िरटर्न दिखाई दे रहा है। सरकार की इस नीति से कामगार संकट में आ गया है। वर्ष 2005 तक जो लोग सरकारी सेवा में लगे, उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है। 2005 के बाद से सेवा में लगे लोगों को पेंशन नहीं है। केंद्र सरकार ने योगदान के आधार पर रिटायरमेंट के बाद हर महीने निधि देने का निर्णय लिया। इसके लिए कामगार को हर महीने अपने वेतन से एनपीएस मद में राशि जमा करनी होती है। देश भर के लाखों कामगारों का करोड़ों रुपया हर महीने इस मद में जमा हो रहा है। सरकार यह पैसा शेयर मार्केट में लगा रही है। कामगारों की चिंता इसलिए बढ़ गई कि ऑनलाइन हिसाब-किताब में 26 फीसदी माइनस रिटर्न दिखाई दे रहा है। यानी 1000 रुपए लगाए तो रिटर्न ज्यादा मिलने की बजाय 26 फीसदी कटौती दिखाई दे रही है। कामगारों का पैसा शेयर मार्केट में लगाने का सरकार का खुद का फैसला है। कामगार गारंटीड रिटर्न चाहता है। वह जितनी राशि जमा हुई, उससे ज्यादा का रिटर्न चाहता है। एनपीएस के अलावा जीपीएफ में लगा पैसा भी शेयर मार्केट में लगाया गया है।

सरकार की यह नीति पूरी तरह कामगार विरोधी 

सरकार ने पहले पेंशन बंद की। पेंशन बंद करने का कामगार संगठनों ने विरोध किया था। सरकार कामगारों द्वारा जमा पैसा (पेंशन योगदान व जीपीएफ) शेयर मार्केट में लगा रही है। इसके लिए किसी तरह की इजाजत भी नहीं ली गई। शेयर मार्केट का हाल ठीक नहीं है। मार्केट माइनस में चल रहा है। कामगारों का नुकसान हो रहा है। सरकार की नीति कामगार विरोधी है। कामगारों को सड़क पर उतरकर सरकार का िवरोध करना चाहिए। लाभ के उद्योग बेचे जा रहे हैं। सरकारी कंपनियों का निजीकरण हो रहा है। 

-श्याम काले, प्रदेश महासचिव, आयटक

Created On :   9 May 2022 7:02 PM IST

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