नया चुनाव चिन्ह लेकर मातोश्री पहुंचे कार्यकर्ता, उद्धव बोले - गद्दारों को जला देगी यह मशाल

Workers reached Matoshree with new election symbol, Uddhav said - this torch will burn the traitors
नया चुनाव चिन्ह लेकर मातोश्री पहुंचे कार्यकर्ता, उद्धव बोले - गद्दारों को जला देगी यह मशाल
ललकार नया चुनाव चिन्ह लेकर मातोश्री पहुंचे कार्यकर्ता, उद्धव बोले - गद्दारों को जला देगी यह मशाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेना के दोनों गुटों के नए नाम और चुनाव निशान को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। उद्धव गुट को नया चुनाव चिन्ह मशाल मिलने के बाद मंगलवार को शिवसेना कार्यकर्ता मशाल लेकर उद्धव ठाकरे से मिलने उनके आवास मातोश्री पहुंचे। इस मौके पर उद्धव ने कहा कि यह मशाल गद्दारों और अन्याय को जला देगी।  शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के कार्यकर्ताओं ने जलती हुई मशाल लेकर मंगलवार को मुंबई में पार्टी संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के दादर स्थित स्मारक तक मार्च किया। एक दिन पहले निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के ठाकरे गुट को मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया था। पार्टी कार्यकर्ता अपने हाथों में जलती हुई मशाल लेकर बांद्रा में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री गए। ठाकरे ने कहा कि आप सभी के यहां आने पर धन्यवाद देता हूं। मशाल के महत्व, तेज और खतरे पर ध्यान दीजिए। मशाल हाथ में लेकर उत्साह में कोई गलती न होने दें। यह अन्याय और गद्दारी जलाने वाली मशाल है। चुनाव आयोग ने पिछले 8 अक्टूबर को शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सोमवार को चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना का नाम शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे और चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल दिया था। वहीं एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना का नाम बाला साहेब की शिवसेना और चुनाव चिन्ह ढाल-तलवार दिया गया है। 

पंचे की पकड़ वाली मशाल को स्वीकार नहीं करेगा महाराष्ट्रः बावनकुले

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने उद्धव गुट के नए चुनाव चिन्ह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस के पंचे की पकड़ वाली इस मशाल को महाराष्ट्र की जनता स्वीकार नहीं करेगी। बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए हिंदुत्व का विचार छोड़ दिया और कांग्रेस-राकांपा की विचारधारा स्वीकार कर ली है। लोगों ने देखा है कि उनका हिंदुत्व बनावटी है। उन्होंने मशाल ली है, लेकिन हकीकत में इसे "पंजा’ ने पकड़ा है। भंडारा में पत्रकारों से बातचीत में बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना केवल कांग्रेस और राकांरा के आश्रय की वजह से जीवित है। हिंदुत्व को त्यागने और कांग्रेस और राकांपा के विचार को स्वीकार करने वाले नेतृत्व ने अगर मशाल या कोई अन्य प्रतीक लिया, तो भी उन्हें राजनीतिक रूप से कोई फायदा नहीं होगा। 

 

Created On :   11 Oct 2022 9:06 PM IST

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