इस मंदिर में एक साथ होती है यम और महाकाल की पूजा, जानिए क्या है महत्व ?

Yama and Mahakal are worshiped together in this temple
इस मंदिर में एक साथ होती है यम और महाकाल की पूजा, जानिए क्या है महत्व ?
इस मंदिर में एक साथ होती है यम और महाकाल की पूजा, जानिए क्या है महत्व ?

डिजिटल डेस्क,गढ़चिरोली। किसी भी मंदिर में काल और देवों के देव महादेव की पूजा एक साथ नहीं होती है, लेकिन महाराष्ट्र से सटे दक्षिण भारत की काशी माने-जाने वाले तेलंगाना राज्य के महाकालेशवर मंदिर में इनकी पूजा एक साथ होती है। भारत वर्ष में ये एकमात्र ऐसा मंदिर होने के कारण यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गौरतलब है कि गढ़चिरोली के सिरोंचा तहसील से 12 किमी दूर स्थित इस मंदिर में काल और महादेव की पूजा अर्चना एक साथ की जाती है। यहां पर पुरातन काल से ही धर्मराज यानी यम (काल) और महादेव की पिंडियां स्थापित हैं। पूरे भारत वर्ष में किसी भी मंदिर में काल और महादेव को एक साथ नहीं पूजा जाता, लेकिन इस मंदिर में दोनों को एक साथ पूजने की सदियों से चल रही यह परंपरा आज भी जारी है। लोगों का कहना है कि काल के दर्शन के बाद महादेव की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
 
दोनों शिवलिंग स्वयंभू
दक्षिणी छोर पर गोदावरी नदी के साथ प्राणहिता और सरस्वती (अंतरवाहिनी) नदी का अदभुत संगम दिखाई देता है। इसी संगम पर महाकालेश्वर के मंदिर का निर्माण किया गया है। इ.स. 1140 से 1170 के मध्य में काकतिया के राजा वीरभद्र ने इस मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर में काल और महादेव के पिंड एक साथ होने के कारण इस मंदिर को अलग पहचान मिली है। पुराणों में लिखा है कि यह दोनों शिवलिंग स्वयंभू हैं।  

कालेश्वर-मुक्तेश्वर का विशेष आकर्षण
मंदिर में काल और महादेव की पिंड एक साथ होने के कारण श्रद्धालु इस मंदिर को कालेश्वर-मुक्तेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। हर साल महाशिवरात्रि के दौरान यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। इस अवसर पर मंदिर में मेले का आयोजन भी किया जाता है। महाशिवरात्रि के दौरान त्रिवेणी नदी के संगम में डुबकी का विशेष महत्व है। वहीं, सावन मास के दौरान भी यहां लोगों की संख्या बढ़ने लगती है। लोगों का मानना है कि यहां आने वाले भक्तों की झोली खाली नहीं रहती। 

महादेव से पहले काल की पूजा का राज?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार धर्मराज यम ने भगवान महादेव से कहा कि आपने तो सृष्टि का निर्माण किया है और मुझे जो काम सौंपा गया है, उसे मैं बड़ी ही निष्ठा से निभा रहा हूं, लेकिन भूलोकवासी हर बार मेरा तिरस्कार करते हैं। मैं तो विधिनुसार सौंपा गया कार्य कर रहा हूं। फिर मेरा तिरस्कार क्यों ? इसके बाद यम ने महादेव के लिए तपस्या आरंभ कर दी। उनकी तपस्या के दौरान समूचे पृथ्वीलोक में अंधकार छाने लगा। उनके तप से महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने यम को दर्शन दिए। महादेव के पूछने पर धर्मराज यम ने कहा कि पृथ्वीलोक के लिए निष्ठा से कार्य करने के बाद भी मुझे भगवान का दर्जा क्यों नहीं दिया गया? 

महादेव ने दिया वरदान
उनकी तपस्या से प्रसन्न महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में गोदावरी नदी के किनारे त्रिवेणी संगम पर कालेश्वर गांव में मंदिर की स्थापना होगी और इस मंदिर में सर्वप्रथम धर्मराज यम को पूजा जाएगा। भोलेनाथ ने यह भी कहा कि आपकी पूजा अर्चना के बाद ही मेरी पूजा होगी। यहां आने वाले श्रध्दालुओं को आपके दर्शन मात्र से मोक्ष प्राप्त होगा। तभी से महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रध्दालु सबसे पहले धर्मराज यम की पूजा अर्चना करते हैं, बाद में शिव की आराधना की जाती है। 
 

Created On :   4 Oct 2017 10:30 AM IST

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