इंजीनियरिंग छोड़ युवक ने चुनी खेती-किसानी की राह, अदरक की खेती से बदली किस्मत

Youth opted for farming and leaving engineering to change luck with ginger farming
इंजीनियरिंग छोड़ युवक ने चुनी खेती-किसानी की राह, अदरक की खेती से बदली किस्मत
इंजीनियरिंग छोड़ युवक ने चुनी खेती-किसानी की राह, अदरक की खेती से बदली किस्मत

 डिजिटल डेस्क, वर्धा । शहर से लगभग 22  कि.मी.  दूर तहसील के टाकली (चनाजी) गांव में एक इंंजीनियर युवा किसान ने पारंपरिक खेती करते हुए अदरक का बड़े पैमाने में उत्पादन किया, जिससे 20 लाख रुपए के मुनाफे का अनुमान बताया जा रहा है। बता दें कि कपास, तुअर, चना इन पारंपरिक फसलों के साथ राज्य के दूसरे छोर में की जानेवाली अदरक की खेती से जिले के अन्य किसानों को प्रेरणा मिलेगी। ऐसा विश्वास इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की डिग्री पूर्ण कर खेती में प्रयोग करने वाले सूरज कांबले (25 ) ने  जताया है। 

ज्ञात हो कि, विदर्भ आत्महत्या के लिए जाना जाता है। वैसे किसान आत्महत्या के आंकड़े देखें तो, जिले में लगभग 5 से 7 किसान प्रति माह आत्महत्या कर रहे हैं। इसका कारण यह भी है कि , वर्षों से चली आ रही पारंपरिक खेती, मौसम की बेरूखी,   सरकारी नीति लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो पारंपरिक खेती के साथ नए-नए प्रयोग कर पारंपरिक खेती को उन्नत बना रहे हैं।

ऐसे ही एक युवा इंजीनियर किसान सूरज कांबले हैं। वैसे तो जिले में अदरक  की चुनिंदा लोगों ने ही खेती की है, किंतु इंजीनियर की डिग्री पूर्ण कर किसानी में उतरे सूरज का यह पहला ही प्रयोग अन्य किसानों के ध्यानाकर्षण का केंद्र बना है। इसके चलते कांबले के खेत में किसान जानकीदेवी बजाज ग्रामीण विकास संस्था की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।  

सूरज के पिता केशव भानुदास कांबले के पास 9 एकड़ खेती है। जहां पर चना, तुअर, कपास, गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें ली जाती हैं।  शिक्षा पूरी होने के बाद नौकरी की  तलाश न करते हुए सूरज ने अपनी खेती में प्रयोग करने की ठानी। सोशल मीडिया द्वारा  जालना के सोमनाथ नागवे से मुलाकात हुई जिनसे पहली बार अदरक की खेती के बारे में जानकारी मिली। 9 माह में आनेवाली अदरक की फसल से 5 गुना मुनाफा मिलने की जानकारी सूरज ने दी है।  सूरज ने अपने 3 एकड़ खेत में अदरक लगाया, जिसे करीब 5 लाख रुपए खर्च आया। उचित नियोजन के चलते आज  फसल लहलहा रही है।

उचित मार्गदर्शन और  नियोजन से सब संभव
शुरुआत में 3 एकड़ में 12 ट्रॉली गोबर खाद डाली, जिसके बाद जमीन की मरम्मत कर माइक्रो न्यूट्रीशन तथा रासायनिक खाद से जमीन तैयार किया। अदरक की बुआई कर ड्रीप सिंचन से पानी का नियोजन किया। खाद की उचित मात्रा , करपा, बुरशी आदि रोग न हो इसलिए हर रोज पत्तियों की जांच की गई, जिसके बाद आज फसल खेत में लहलहा रही है। यह केवल उचित मार्गदर्शन और नियोजन से संभव हुआ है।  

Created On :   24 Dec 2019 1:49 PM IST

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