- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- पन्ना
- /
- सूखी अमानगंज की मिढासन नदीं, जल...
सूखी अमानगंज की मिढासन नदीं, जल संकट की शुरू हुई आहट
- सूखी अमानगंज की मिढासन नदीं
- नदीं के संरक्षण को लेकर जिम्मेदारों द्वारा लगातार की जा रही है अनदेखी
डिजिटल डेस्क, अमानगंज नि.प्र.। मिढासन नदीं जिसे अमानगंज क्षेत्र की जीवन रेखा कहा जाता है संरक्षण को लेकर बरती जा रही उदासीनता की वजह से अस्तित्व खतरे में है। मिढासन नदीं सूख जाने से अमानगंज कस्बा सहित इसके किनारे के गांवो में जल संकट की आहट शुरू हो गई है और आगामी कुछ दिनों में पानी की भीषण संकट का सामना करना पड सकता है। जिले मुख्य नदियों में शामिल मिढासन नदी को लेकर कभी स्थिति यह है थी कि नदी में अपार जल राशि हमेशा मौजूद रही और इससे किसान न केवल अपने खेतों की सिचाई करते थे बल्कि तटवर्ती गांव में रहने वाले लोगों के लिए नदीं का मीठा पानी उनकी प्यास बुझाने का काम करता था साथ ही साथ पक्षियों व जंगली जानवरों की प्यास बुझाने वाली इस नदी क्षेत्र बडी संख्या में जंगली जानवर पक्षियों का बसेरा रहता था
परंतु नदी का संरक्षण नहीं करने नदीं तक पहँुचने वाले स्त्रोतों पर अतिक्रमण कर उन्हें नष्ट किये जाने की वजह से नदीं का अस्तित्व लगातार सिमटता जा रहा है और स्थिति यह हो गई है कि मानसून में ही कुछ माह तक नदी में पानी रहा जाता है और ठण्डी के बाद गर्मी के आते ही नदीं पूरी तरह से सूख जाती है। नदीं सूख जाने से समूचे क्षेत्र में पानी का संकट इंसानों ही नहीं, पशु-पक्षियों के लिए भी खडा हो गया है। नदीं से जो आसपास के क्षेत्र में जल स्तर हमेेशा बेहतर बना रहता था वह तेजी के साथ नीचे की ओर जा रहा है ऐसे में कुआं हेैण्डपम्प बोर आदि जलीय स्त्रोत भी जबाव देने लगे है। अमानगंज से लेकर खिरबा मेहदवां, तुन्ना, झिरघट, हिनौती, पंडवन तक नदी में कहीं भी इतना पानी नही है कि कोई भी व्यक्ति प्यास बुझा सके।
नदीं के पुर्नजीवन अभियान के लिए सीएम ने आकर किया था जल अभिषेक
जिले में मिढासन नदी के पुर्नजीवन एवं संरक्षण के लिए करोडों रूपए की योजना बनाई गई थी कार्याे के क्रियान्वयन के लिए बनाई गई योजना का शुभारंभ करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दशक पहले ककरहटी के समीप स्थित नदीं के किनारे के पास पूजन करने के लिए पहँुचे थे और उन्होंने नदीं को फिर उसके पुराने स्वरूप में लौटने का विश्वास लोगों को दिलाया था परंतु बनाई गई करोडों की योजना पर होने वाले कार्य हवा हवाई साबित हुए आरोप है कि नदीं के पुर्नजीवन के लिए जो करोडों रूपए की योजना बनाई गई थी उनसे होने वाले कार्य कागजों में पूरे होकर फाइलों में दफन हो गए। जिसकी अभी जांच करवाई जाये तो पूरे कार्यक्रम में एक बडा घोटाला निकलकर कर आयेगा।
नदीं के गहरीकरण का कार्य होना बेहद जरूरी
अमानगंज कस्बा क्षेत्रांतर्गत लगभग ५ किलोमीटर लंबाई क्षेत्र नदी के जीर्णाेद्धार की लंबे समय से क्षेत्रवासी मांग कर रहे है लोगों का कहना है कि नदीं के गहरीकरण का कार्य यदि उक्त लंबाई क्षेत्र तक करवा दिया जाये तो उसमे बडी जल राशि का संचय बना रहेगा और गर्मी से पहले जो नदी सूख जाती है तो इस क्षेत्र में पानीदार बनी रहेगी। इसके अलावा नदी के उद्गम स्थल से लेकर नदी जिस पूरे मार्ग में बहती है उसके पुराने जल स्त्रोतो को भी पुर्न जीवित करने का कार्यक्रम बनाने की जरूरत है।
अमानगंज स्थित घाटो में हो रही अवैध रूप से खुदाई
अमानगंज स्थित नदी के घाटों में अवैध रूप से हो रही खुदाई भी नदी के अस्तित्व के एक बडा खतरा बनी हुई है। चौकी और धोबी घाट, चक दही घाट में जेसीबी मशीन से नदी का चचरा निकलकार टै्रक्टरो से ढोया जा रहा है स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अवैध रूप से होने वाले उत्खन्न के मामले में शांत बैठे हुए है और चंद रूपए के लिए मुनाफाखोर नदी के घाटों को अवैध रूप से खोद कर उसके अस्तित्व जमींदोज करने पर आमादा है।
सौदर्यीकरण को तरसी नदीं
अमानगंज स्थित नदी के पानी का उपयोग लोग पीने के पानी तथा निस्तार के उपयोग मेंं करते रहे है किन्तु नदीं अब लगभग सूख चुकी है थोडा बहुत पानी यदि है तो वह बदबूदार हो चुका है नदीं के सौदर्यीकरण एवं नदी तक पहँुचने वाली गंदगी को रोकने के लिए स्थानीय नगर परिषद द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए है। ३५ वर्ष पूर्व अमानगंंज नगर परिषद के रूप में अस्तित्व में आ गया था परंतु तब से लेकर आज तक नदीं को संरक्षित करने एवं सौदर्यीकरण के लिए कार्य नहीं हुए है। एक दशक पहले तक नदीं के चक दही और दुलिया में अपार जल राशि उपलब्ध रहती थी परंतु अब इन घाटो में बूॅंदे ही शेष रह गई है।
नदीं को प्रदूषित कर रहा है अपशिष्ट
पुल घाट पर नाले के माध्यम से नदी तक पहुंचने वाला नदी को दूषित कर रहा है। मलमूत्र और गंदगी शहर के बीचोंबीच से गुजरने वाले नाले से नदी में पहँुच रही है और इससे पानी हानिकारक रहता है वर्तमान स्थिति यह है कि नदी में गंदगी ही गंदगी दिखाई देती है।
Created On :   5 May 2023 4:43 PM IST