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पन्ना: नवधा भक्ति के द्वारा भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है: प्रभाशंकर जी महराज
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सफलता पाने के लिए हमेशा इंसान को संघर्ष एवं संग्राम करना पडता है लेकिन यह संघर्ष तथा संग्राम कर्मपथ तथा धर्मपथ आधारित होना चाहिए। भगवान को कपट तथा छल पंसद नही है भगवान की भक्ति स्वच्छ मन से करने पर भगवान हमेशा प्रसन्न रहते हैं। उक्ताशय के विचार श्री रामकथा के नौंवे दिन जिला अस्पताल परिसर में संचालित भोलेनाथ जी मंदिर में कथा वाचक प्रभाशंकर जी महराज ने व्यक्त किये। उन्होंने शबरी माता तथा भगवान श्री राम जी के संवाद को बडे ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया। जब सबरी माता ने भगवान से पूंछा कि मैं दरिद्र एवं लाचार हूं आपकी भक्ति कैसे करूं तो उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति 9 प्रकार से की जा सकती है।
पहला संतों की संगत भी भगवान की भक्ति है सिर्फ भगवान का नाम लेना भी भक्ति है। गुरू के चरणों की सेवा करना भी भक्ति भगवान का भजन करना, मंत्र जाप करना, छल कपट भाव छोडना आदि भी भगवान की सबसे बडी भक्ति है तत्पश्चात उन्होंने भगवान श्रीराम तथा सुग्रीव की मित्रता एवं बाली वध की कथा का वर्णन करते हुए कह रहे थे की संसार का प्राणी अंहकार के कारण परेशान रहता है। यदि मनुष्य अंहकार, मोह-माया छोड दे तो उसको कोई भी परेशानी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य माया में इतना अधिक लगा हुआ है कि जब उसको कष्ट होता है तो वह भगवान को याद करता है और उसे कष्ट दूर हो जाता है तो भगवान को भी भूल जाता है। बनावटी भक्ति को भगवान स्वीकार नहीं करते समाज की सच्ची सेवा करने वाले को भगवान भी सहायता करता है इस प्रकार उन्होने अनेक प्रकार से श्री राम की कथा का वर्णन किया है।
Created On :   11 Nov 2023 12:39 PM IST