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पन्ना: मोटे अनाज पर सरकार का जोर, पर किसान अभी भी खेती से अभी दूर
डिजिटल डेस्क, पन्ना। वर्ष २०२३ को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स या मोटा अनाज वर्ष के तौर पर घोषित किया गया है। भारतीय केन्द्र सरकार द्वारा मोटे अनाज को श्रीअन्न का नाम दिया गया है और इसके उत्पादन को बढ़ाने की बात की है। सरकारी स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार और उत्पादन बढ़ाने को लेकर जोर दिया जा रहा है। मोटे अनाज में ज्वार,बाजरा कोदो,कुटकी,रागी,रामदाना आदि शामिल किया गया है। मोटे अनाज की खपत से पोषण,खाद्य सुरक्षा और किसानों को कहा गया है सरकार जहां एक ओर मोटे अनाज के उत्पादन के प्रचार-प्रसार को जोर दे रही है किन्तु धरातल स्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन पर प्रोत्साहन की ठोस नीति कहीं भी नजर नही आ रही है। दो दशक पूर्व तक जिले में काफी मात्रा में मोटे अनाज ज्वार बाजरा के साथ ही कोदो कुटकी आदि का उत्पादन होता था परंतु मोटे अनाज के उत्पादन का रकवा अब न के बराबर हो गया है।
स्थिति यह है कि कोदो कुटकी ढूंढने पर नही मिल रही है। सरकार की नीतियां मैदानी स्तर पर नही पहँुचने से ऐसा हो रहा है पन्ना जिले में लगभग छोटे,मझोले, बड़े ०१ लाख ९८ हजार ४९९ किसान है किन्तु इन किसानों में ज्यादतर किसानों की स्थिति यह है कि जहां उन्हें पानी मिल रहा है वहां पर गेहँू और धान की फसल ही बोना चाहता है। किसान एक दूसरे की नकल करते है और उसके अनुरूप फसल बोते है। इसके चलते मोटा अनाज ही नही बल्कि दलहन एवं तिलहन का फसल का रकवा भी घटता जा रहा है जबकि मोटे अनाज तथा दलहन एवं तिलहन कीमतें काफी ऊंची है।
कम पानी में भी हो जाती है मोटे अनाज की फसलें
ग्राम पल्थरा निवासी ८० वर्षीय वृद्ध किसान जालम सिंह गौड़ बताते है कि पहले पानी ज्यादा गिरता था उस समय बिना पानी वाली फसलें जैसे ज्वार,बाजरा,कोदो,कुटकी काकुंद आदि की पर्याप्त मात्रा में किसान खेती करते थे लेकिन अब वह बारिश काफी कम हो रही है तब लोग मोटे अनाज की फसलों से दूर होकर अधिक पानी लगने वाली धान,गेहँू की फसलें अधिकांश किसान बो रहे है। गांव में कहीं भी जुंडी,कोदो नही बोई गई है जबकि पहले इसी क्षेत्र में काफी मात्रा में जुंडी, कोदो, कुटकी आदि का उत्पादन किया करते थे।
सभी प्रकार के अनाज उगाने की जरूरत
ग्राम पंचायत दिया के नेगवां के ७५ वर्षीय किसान बाबू राम तिवारी जिनके खेत में जुंडी की फसल खेत में लगी मिली बातचीत के दौरान उन्होंनें बताया कि हम पुराने लोग है। जुंडी लगात है रेट भी ०७ हजार क्वंटल मिल रहे है रोटी भी खाने को मिलती है लेकिन पूरे गांव कोई भी किसान जुंडी नही लगाता वजह है कि इसकी देखभाल दिनरात करनी पड़ती है। किसानों को सभी प्रकार की फसलें लगाना चाहिए जब किसान अलग-अलग फसलें लगायेंगें तो उससे फसलों की सुरक्षा का जो तंत्र वह भी मजबूत होगा और फायदें में भी रहेगें।
पंचायत स्तर पर फसल उत्पादन की कार्य योजना बने और प्रोत्साहन मिलें
ग्राम पंचायत दिया के सरपंच रामशिरोमणि सिगंरौल ने बताया कि बाजार में मोटे अनाज की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है किसानों को इससे फायदा भी है इसमें पानी भी कम लगता है। मोटे अनाज के उत्पादन में लागत भी कम है किन्तु प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रबंध नही होने की वजह से किसान इससे दूर हो गए है जरूरत इस बात की है स्थानीय स्तर पर फसल उत्पादन की कार्य योजना बनाई जायें और उसके अनुरूप किसानों को कृषि विभाग से आवश्यक मदद मिले सरकार से जमीनी स्तर पर प्रोत्साहन के साथ ही लाभ सुनिश्चित किया जाये।
Created On :   20 Nov 2023 11:01 AM IST