अधिक कमाई के चक्कर में आटो चालक ओवरलोड बैठा रहे हैं सवारी

अधिक कमाई के चक्कर में आटो चालक ओवरलोड बैठा रहे हैं सवारी

डिजिटल डेस्क, देवेन्द्रनगर नि.प्र.। एक ओर सडक़ सुरक्षा के लिए यातायात विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर अधिक कमाने के लिए आटो चालक खुलेआम मनमानी कर रहे है। कस्बा स्थित बस स्टैण्ड से लेकर ग्रामीण सडक़ मार्गाे में चलने वाले आटो में बैठाए जाने वाली सवारियों की संख्या को देखकर देखने वालो की रूह कांपने लगती है। चलाई जा रही आटो में बैठाए जाने वाली सवारियों की स्थिति यह है कि आटो के अंदर जहां इतनी सवारियां बैठायी जा रही है कि सांस लेने की सवार लोगो को तकलीफ होती होगी। अंदर जब सवारियों को बैठने के लिए एक इंच जगह बचती तो बची सवारियों को आटो के पीछे साइड के किनारों में लटकाकर यहां तक की बोनट में बैठाकर आटो चालक सवारियों को ढो रहे है। इस तरह की स्थिति के चलते जहां पल-पल दुर्घटना का खतरा बना हुआ है वहीं आटो चालको की मनमानी को लेकर जिम्मेदारो द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियां महज दिखावे तक सीमित है। यदाकदा ट्रैफिक चेैकिंग लगाकर जांच कार्यवाही के नाम पर चालानी कार्यवाही तक ही पूरा मामला सिमटा हुआ है।

मनमाने किराये की हो रही वसूली

देवेन्द्रनगर तथा ग्रामीण क्षेत्रो में चलने वाली आटो के किराये को लेकर भी मनमाने की जा रही है मार्गाे का किराया निर्धारित नही है जिसके चलते आटो चालक मनमाना किराया सवारियो से वसूल रहे है। सवारियों से किराये को लेकर भी आटो चालको का अटपटा रवैया देखने को मिल रहा है। साइड में लटकने पीछे लटकने वाले यात्रियों का किराया आटो के अंदर बैठने वाले यात्रियों की तुलना में कुछ कम करने का ऑफर दे रहे है। बोनट में बैठने वालो को आधी छूट तक ऑफर देते है। यात्रियों की मजबूरी है कि वाहनो की कमी के चलते वे जान हथेली में रखकर सफर कर रहे है।

जोखिम में जान, पुलिस खामोश

ऑटो चालक कानून को ताक पर रखकर चलते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। मजबूरी का फायदा ऑटो चालक खूब उठा रहे हैं। वे कानून को तो धत्ता बता ही रहे हैं। प्रतिदिन सैकड़ो लोगों की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। शहर में एक-एक थ्री,व्हीलर चालक 20 से 25 सवारियों को लेकर चलता नजर आता है। इन वाहनों में दैनिक यात्री के रूप में स्कूल में प्राथमिक कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चे सफर करते हैं। जिनको कम किराया देने वाले यात्रियों के रूप में थ्रीव्हीलर की छत पर बैठाया जाता है। महज आठ नौ साल की उम्र के बच्चे को थ्रीव्हीलर की छत पर बैठाकर चलना हादसे को खुला निमंत्रण देना है। कई हादसे भी हो चुके हैं। वहीं जिम्मेदारी का निर्वाह करने के बजाय ट्रैफिक पुलिस के संरक्षण में यह वाहन लगातार लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।

Created On :   10 Aug 2023 11:42 AM IST

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