श्रीमद् भागवत कथा: कथा में चौथे दिवस मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

कथा में चौथे दिवस मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
  • कथा में चौथे दिवस मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना के प्रसिद्ध श्री जुगल किशोर जी मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भव्यता के साथ मनाया गया। कथावाचक आचार्य सचिन शास्त्री ने भगवान विष्णु के सभी अवतारों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का परम लक्ष्य है अपने शाश्वत-अविनाशी स्वरूप का बोध होना एवं आत्म-विस्मृति ही हमारे दु:ख का मूल कारण है। सत्संग-स्वाध्याय आध्यात्मिक विचारों द्वारा यथार्थ बोध सहज सम्भव है स्वाध्याय मस्तिष्क के लिए शक्तिवर्धक रसायन के सदृश है। मनु ने स्वाध्याय को सर्वोत्तम तप माना है। स्वाध्याय पंच महायज्ञों में एक यज्ञ है। शतपथ ब्राह्मण में योग के आठ अंगों में स्वाध्याय भी एक उपांग है। श्रेष्ठ पुस्तकों के पास रहने से मित्रों की कमी नहीं खटकती। स्वाध्याय से विनम्रता आती है। पंचकोशों के रहस्य को समझने में यह सहायक है सच तो यह है कि विवेकपूर्ण जीवन जीने की कला स्वाध्याय से आती है। शान्ति पाने का एक अच्छा उपाय स्वाध्याय है। स्वाध्याय से विकसित चेतना नई दिशा पाती है।

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यह तथ्य सर्वविदित है कि शोक में डूबा व्यक्ति जीवन के आनन्द से वंचित हो जाता है। यही शोक जब अंतर्मन की गहराइयों में उतर जाता है तब व्यक्ति अवसाद अर्थात् डिप्रेशन में चला जाता है। मनुष्य रूप में मिले अमूल्य जीवन को इस तरह निरर्थक अन्त से बचाने के लिए ही भारतीय दर्शन परमसत्ता की अवधारणा प्रस्तुत करता है। सत्य के ग्रहण व असत्य के त्याग की भावना से सर्वमत-पन्थों का समन्वय ही मनुष्यों के सुखी जीवन एवं विश्व शांति का आधार बन सकता है। मन, बुद्धि और विचार को संयमित कर ही सच्चिदानन्द स्वरूप का बोध सम्भव है। हमें आत्म-दर्शन करना चाहिए जिसके साधन श्रवण और मनन हैं। आत्म दर्शन से तात्पर्य अपने अन्दर स्थित सत्य अविनाशी सच्चिदानन्द स्वरूप के ज्ञान से है। कथा में उपस्थित श्रोतागणों द्वारा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को बडे ही श्रृद्धा व भक्तिभाव के साथ मनाया।

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Created On :   9 May 2024 10:37 AM IST

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