जगत के नाथ जगन्नाथ लू लगने से हुए बीमार

जगत के नाथ जगन्नाथ लू लगने से हुए बीमार

डिजिटल डेस्क, पन्ना। उडीसा राज्य के पुरी की तरह मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध पन्ना में भी रथयात्रा महोत्सव की परम्परा करीब डेढ सौ वर्ष से भी अधिक पुरानी है। परम्परानुसार पवित्र तीर्थों के सुगंधित जल से स्नान करने के कारण जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी लू लगने से रविवार को बीमार पड गये हैं। भगवान के ज्वर पीडित होने का यह धार्मिक आयोजन स्नान यात्रा के रूप में पन्ना के श्री जगन्नाथ स्वामी मन्दिर में सम्पन्न हुआ। आज के इस आयोजन में पन्ना राजपरिवार से महाराज छत्रशाल द्वितीय के अलावा मन्दिर समिति के लोग व पुजारी पंडित राकेश गोस्वामी, पंडित मनीष अवस्थी, पंडित दिनेश गोस्वामी, पंडित विनोद गोस्वामी, पंडित संजय मिश्रा, अरूण गंगेले, मुन्नु महाराज, श्री जुगल किशोर मंदिर के मुसद्दी संतोष तिवारी, विनोद तिवारी, आशीष तिवारी, दिनेश दुबे तथा बडी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे।

भगवान के बीमार पडने के साथ ही रथयात्रा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। उल्लेखनीय है कि राजशाही जमाने से चली आ रही धार्मिक आयोजन की यह परम्परा डेढ शताब्दी से भी अधिक पुरानी है। परम्परा के अनुसार आज सुबह 9 बजे बडा दीवाला स्थित श्री जगदीश स्वामी मंदिर में भगवान की स्नान यात्रा के कार्यक्रम की शुरूआत हुई। पन्ना महाराज छत्रशाल द्वितीय सहित मंदिर के पुजारियों तथा तथा खास लोगों द्वारा गर्भगृह में विराजमान भगवान श्री जगदीश स्वामी, उनके बडे भाई बलभद्र, बहिन देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को आसन में बैठाकर मंदिर प्रांगण स्थित लघु मंदिर में बारी-बारी से लाकर विराजमान कराया गया। भगवान की स्नान यात्रा में पहुंचने पर बैण्डबाजों व आतिशबाजी से उनका स्वागत किया गया। भगवान की स्नान यात्रा के दौरान मंदिर प्रांगण में श्रद्धालु जयकारे लगा रहे थे। मंदिर के पुजारियों तथा ब्राम्हणों द्वारा वेद मंत्रों के साथ भगवान की पूजा अर्चना की गई तथा हजार छिद्र वाले मिट्टी के घडे से भगवान को स्नान कराया गया।

स्नान के साथ ही मान्यता के अनुसार भगवान लू लग जाने की वजह से बीमार पड गये। जिन्हे सफेद पोशाक पहनाई गई और भव्य आरती की गई। भगवान के स्नान यात्रा के बाद चली आ रही परम्परा के अनुसार मिट्टी के घट श्रद्धालुओं को लुटाये जाने की परम्परा का निर्वहन हुआ। घट को श्रद्धालु खुशी के साथ सुरक्षित तरीके से अपने घर ले गये। वर्षभर खुशहाली की कामना के साथ अपने घर के पूजा स्थल में प्राप्त घट को रखकर उन्हें पूजा जायेगा। बीमार पडे भगवान को फिर से बारी-बारी करके आसन में बैठाते हुये मंदिर के गर्भगृह के अंदर ले जाकर विराजमान कराया गया और मंदिर के पट 15 दिन तक के लिये बंद हो गये।

भगवान के बीमार हो जाने के बाद अब श्रद्धालुओं को 15 दिन तक उनके दर्शन प्राप्त नहीं होंगे। मंदिर के पुजारी ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर बीमार हुए भगवान की पूजा अर्चना करेंगे। 15 दिन तक बीमार पडे भगवान सफेद वस्त्रों में ही रहेंगे। अमावस्या के दिन भगवान को पथ प्रसाद लगेगा और इसके बाद अगले दिन भगवान की धूप कपूर झांकी के रूप में जाली लगे पर्दे से श्रद्धालुओं को दर्शन प्राप्त होंगे तथा दोज तिथि से भगवान की रथयात्रा शुरू हो जायेगी।

Created On :   5 Jun 2023 11:19 AM IST

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