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श्रेयांश गिरी में मनाया गया भगवान पारसनाथ का मोक्ष कल्याणक
डिजिटल डेस्क, पन्ना। भारत गौरव राष्ट्र संत विराग सागर जी महाराज ३० साधुओं के विशाल संघ के साथ जैन तीर्थ स्थलीय श्रेयांश गिरी में चातुर्मास कर रहे है। श्रेयांश गिरी में विराग सागर जी महाराज के सानिध्य में भगवान पारसनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव उत्सव पूर्वक मनाया गया। श्रेयांश गिरी अतिशय क्षेत्र में गुफा में विराजमान चमत्कारी ८०० वर्ष पुरानी पारसनाथ की प्रतिमा के समक्ष निर्वाण लाडू चढाया गया। महाराज श्री को ३० किलो की बूंदी का निर्वाण लाडू तथा २१ अन्य लाडू जैन समाज द्वारा प्रभु के श्री चरणों में समर्पित किए गए। मुख्य लाडू चढाने का सौभाग्य अहमदाबाद के अरूण कोठारिया को, पादप्रक्षालन का सौभाग्य कोलकत्ता की मंजू जैन को शास्त्र भेट का सौभाग्य पवई के महेन्द्र जैन को प्राप्त हुआ। मोक्ष कल्याणक के अवसर पर विराग सागर जी महाराज द्वारा सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु पारसनाथ की असीम महिमा है।
आज का दिन बहुत पावन है प्रभु पारसनाथ का मोक्ष कल्याणक सभी मना रहे है। अपने कहा कि तीर्थकर तो २४ है किन्तु क्या कारण है कि २३वें तीर्थकंर प्रभु पारसनाथ की प्रतिमा सबसे अधिक प्रत्येक नगर एवं गांवो में प्रतिष्ठित है अन्य सभी तीर्थंकरों पर प्रभु पारसनाथ की तरह उपसर्ग नहीं हुये। अर्थात उन्होंने एक ही नहीं बल्कि 10 जन्मों तक कष्टों को सहन किया उनके ही भाई का जीव उन्हें कष्ट देता रहा और धन्य है प्रभु कि 10 भव तक वे समतापूर्वक उन सभी कष्टों को सहन करते रहे। ध्यान रखिए यह समता और सहनशीलता की ही महिमा है कि कमठ का जीव तो दुखमयी संसार में पढ़ा रह गया और प्रभु पारसनाथ समस्त दुखों से परे मोक्ष को प्राप्त कर गए। प्रभु की जीवन गाथा हमें शिक्षा प्रदान कर रही है कि जीवन में कितने भी कष्ट आए किंतु दुखी हुए बिना सहन करते जाना ही उन कष्टों से उबरने का सुगम उपाय है।
Created On :   25 Aug 2023 12:18 PM IST