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पन्ना: १३ लाख की आबादी, जिला अस्पताल में डॉक्टरों का अकाल
डिजिटल डेस्क, पन्ना। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी १० लाख १६ हजार ६२० थी और वर्तमान स्थिति में जिले की आबादी १३ लाख को पार कर जाने का अनुमान है। बदलते समय के साथ ही नई-नईं बीमारियां भी सामने आ रहीं हैं। जिसके चलते विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीडित मरीजों की संख्या भी बढती जा रही है इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाना आवश्यक है किंतु पन्ना जिले की स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में बेहतर होने के स्थान पर पहले से कमजोर होती जा रही है। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति जिले में बेहद ही खराब है ऐसे में जिलेभर के मरीजों की निर्भरता जिला मुख्यालय पन्ना स्थित एक मात्र जिला चिकित्सालय में हैं। जहां पर उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को चिकित्सकों की कमीं के चलते बीमारी के साथ उपचार के लिए संकट का सामना करना पड रहा है। जिला चिकित्सालय पन्ना में चिकित्सकों की भारी कमीं होने की वजह से स्वास्थ्य सेवायें चरमराईं हुईं हैं।
पन्ना जिला चिकित्सालय में लगभग आठ साल पूर्व मरीजों को आकस्मिक सेवायें मिल सकें इसके लिए ट्रामा यूनिट का भवन तैयार होने के बाद इसका भव्यता के साथ शुभारंभ किया गया था किंतु ट्रामा यूनिट के लिए स्वीकृत किए गए कुल १४ चिकित्सकों के पदों में से मात्र एक चिकित्सा अधिकारी का पद ही अब तक भरा गया है शेष सभी १५ पद खाली हैं। जिला चिकित्सालय पन्ना में चिकित्सकों का कितना संकट है इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि जिला चिकित्सालय पन्ना में चिकित्सकों के शासन द्वारा ६२ पद स्वीकृत हुए हैं जिसके विरूद्ध मात्र २४ चिकित्सक ही जिला चिकित्सालय पन्ना में वर्तमान समय में पदस्थ हैं। इसमें भी कई चिकित्सकों को चिकित्सीय सेवाओं के साथ अन्य दूसरे कार्यों की जिम्मेदारी सम्भालनी पड रही है। जिसके चलते जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि अस्पताल की व्यवस्थाओं से घबडाने के बाद मरीज अपना उपचार कराने के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं। जो मरीज आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हैं उनके जिला अस्पताल में उपचार की स्थिति भगवान भरोसे की स्थिति में बनीं हुई है।
आंखों का ऑपरेशन आठ साल से बंद
जिला चिकित्सालय पन्ना में स्थित नेत्र वार्ड की स्थिति गई गुजरी है। नेत्र वार्ड में मरीजों के लिए बिस्तर तो हैं परंतु नेत्र मरीजों को नेत्र वार्ड में भर्ती न करके अन्य दूसरे वार्डों में भर्ती किया जा रहा है। नेत्र संबधी बीमारियां जिसमें मोतियाबिंद के ऑपरेशन का कार्य पिछले करीब आठ सालों से बंद है। इसकी वजह यह है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थियेटर भी बनकर तैयार ही नहीं हुआ है। नेत्र वार्ड की काफी समय तक स्थिति यह भी रही कि नेत्र चिकित्सक ही जिला अस्पताल में नहीं थे। वर्तमान में जिला चिकित्सालय पन्ना में नेत्र रोग विशेषज्ञ के दो पद स्वीकृत हैं जिनमें से एक पद ही भरा हुआ है। नेत्र रोगियों को अपनी जांच कराने के लिए चिकित्सक की तलाश करनी पडती है। बताया जाता है कि अस्पताल में नेत्र रोगियों के ऑपरेशन की ओटी तैयार करने के लिए ४० लाख रूपए की राशि भी स्वीकृत है परंतु ओटी को तैयार करने का कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में नेत्र रोगियों को ऑपरेशन की सुविधायें कब मिलेगी यह कहा नहीं जा सकता है। बहरहाल पिछले कई सालों से स्थिति यह बनीं है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन तथा आंख से संबधित अन्य ऑपरेशन की स्थिति में मरीजों को बाहर जाना पड रहा है। जिले के ज्यादातर मरीज मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए चित्रकूट जाने को मजबूर हैं।
स्त्री रोग चिकित्सक की कमीं से प्रसूता महिलायें रहतीं हैं भयभीत
जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं इसके चलते ज्यादातर प्रसूति महिलायें पन्ना जिला चिकित्सालय पर निर्भर हैं। पन्ना जिला चिकित्सालय की स्थिति यह है कि स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. मीना नामदेव सहित दो अन्य स्त्री रोग चिकित्सकों डॉ. नीलम पटेल व डॉ. निकिता सिंह की जिला चिकित्सालय पन्ना में पदस्थापना है। डॉ. नीलम पटेल लंबी अवधि की ट्रेनिंग में चलीं गईं हैं। डॉ. निकिता अवकाश पर हैं ऐसे में जिला चिकित्सालय पन्ना में पहुंचने वाली प्रसूता महिलायें एक मात्र चिकित्सक डॉ. मीना नामदेव पर निर्भर हैं। एक मात्र चिकित्सक के भरोसे ही प्रसूता महिलाओं की जांच, उपचार, वार्ड में भर्ती महिलाओं की जांच की जिम्मेदारी है। इसके चलते प्रसूता महिलायें चिकित्सक के नहीं मिलने के चलते भयभीत देखी जा सकतीं हैं। प्रसूता महिलाओं की हालत बिगडने पर अस्पताल की स्थिति गई-गुजरी हो जाती है। प्रसूता महिलाओं को जांच आदि की समस्याओं का भी सामना करना पडता है। जिला चिकित्सालय में सोनोग्राफी मशीन तो है किंतु सोनोग्राफी मशीन से जांच करने के लिए चिकित्सक नहीं होने के चलते अस्पताल की सोनोग्राफी सेवा हमेशा बंद रहती है और प्रसूता महिलाओं के परिजनों को प्रायवेट तौर पर सोनोग्राफी करवाने के लिए मोटी फीस चुकानी पडती है जो कि गरीब परिवार की महिलाओं के लिए बडी समस्या बनीं हुई है। प्रसूति वार्ड में रात्रि की स्थिति और भी खराब हो जाती है प्रसव वेदना बढने पर महिलाओं को देखने वाली डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते हैं यहां तक की नर्सिंग स्टॉफ के पास जब प्रसूताओं के परिजन पहुंचते हैं तो उनकी न-नकुर का सामना उन्हें करना पडता है।
ट्रामा सेण्टर बना शोपीस, रेफर हो जाते हैं मरीज
करीब सात पहले जिला अस्पताल में ट्रामा सेण्टर का उद्घाटन किया गया था। ट्रामा सेण्टर में चिकित्सकों के कुल १४ पद स्वीकृत हैं जिनमें मेडिकल विशेषज्ञ, शल्य क्रिया विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ, अस्थि रोग विशेषज्ञ के दो-दो तथा चिकित्सा अधिकारी के ०६ पद स्वीकृत हैं। जिसके विरूद्ध ट्रामा सेण्टर में मात्र एक चिकित्सा अधिकारी की ही अब तक पदस्थापना की गई है। ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सकों की अतिरिक्त रूप से कागजी ड्यूटी लगाकर ट्रामा सेण्टर का औपचारिक रूप से ही संचालन हो रहा है और ट्रामा सेण्टर में भर्ती होने वाले ज्यादातर गंभीर मरीज मेडिकल कालेज के लिए रेफर किए जाते हैं। ट्रामा सेण्टर में पैरामेडिकल स्टॉफ तथा सपोर्टिंग स्टॉफ की भी भर्ती नहीं हुई है।
विशेषज्ञ चिकित्सक न होने की वजह से इमरजेंसी की व्यवस्थायें भी प्रभावित
जिला चिकित्सालय पन्ना में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमीं की वजह से इमरजेंसी में काम करने वाले ड्यूटी डॉक्टरों की समस्या बनीं हुई है। वर्तमान समय में स्थिति यह है कि इमरजेंसी का कार्य करने वाले पांच चिकित्सक ही हैं जिन्हें इमरजेंसी ड्यूटी दिवस पर १९ घण्टे तक का काम करना पडता है ऐसे में डॉक्टर अपने आपको असहज पाते हैं और कार्य भी प्रभावित होता है। अनेकों बार स्थिति यह होती है कि इमरजेंसी काल पर डॉक्टर समय पर नहीं पहुंच पाते हैं।
ट्रामा सेण्टर में चिकित्सकों की स्थिति
संवर्ग का नाम स्वीकृत पद रिक्त पद
मेडिकल विशेषज्ञ ०२ ०२
शल्य क्रिया विशेषज्ञ ०२ ०२
अस्थि रोग विशेषज्ञ ०२ ०२
निश्चेतना विशेषज्ञ ०२ ०२
चिकित्सा अधिकारी ०६ ०५
जिला अस्पताल में चिकित्सकों की स्थिति
संवर्ग का नाम स्वीकृत पद रिक्त पद
मेडिकल विशेषज्ञ ०३ ०१
शल्य क्रिया विशेषज्ञ ०२ ०२
स्त्री रोग विशेषज्ञ ०४ ०१
शिशु रोग विशेषज्ञ ०७ ०२
निश्चेतना विशेषज्ञ ०२ ००
नेत्र रोग विशेषज्ञ ०२ ०१
रेडियोलॉजी विशेषज्ञ ०२ ०२
पैथालाजी विशेषज्ञ ०२ ०२
अस्थि रोग विशेषज्ञ ०२ ००
ईएनटी विशेषज्ञ ०२ ०१
क्षय विशेषज्ञ ०१ ०१
दंत रोग विशेषज्ञ ०१ ०१
चिकित्सा अधिकारी १५ १०
दंत चिकित्सा अधिकारी ०२ ०२
इनका कहना है
जिला चिकित्सालय व ट्रामा सेंटर में चिकित्सकों की पदस्थापना हेतु शासन केा पत्र लिखा गया है। चिकित्सकों की कमीं के कारण समस्याओं का सामना करना पडता है। रात्रिकालीन ड्यूटी के लिए भी पर्याप्त चिकित्सक नहीं है।
डॉ. व्ही.एस. उपाध्याय
सीएमएचओ पन्ना
Created On :   17 Dec 2023 11:40 AM IST