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पन्ना: पवित्र भाव से जिनेन्द्र प्रभु की आराधना उच्च फल की होती है प्राप्ति: विराग सागर जी महाराज
डिजिटल डेस्क, पन्ना। श्रेयांश गिरी में चातुर्मास कर रहे महा मुनिराज विराग जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य शरीर दुर्लभता से प्राप्त होता है उसमें भी बडे पुण्य से जैन कुल मिलता है। जैन धर्म भाव प्रधान धर्म है हम जितने पवित्र प्रभाव से जिनेन्द्र प्रभु की आराधना करते है उसका फल भी हमें उच्च मिलता है। एक व्यक्ति वे है जिन्हें पाषाण में प्रतिमा के दर्शन हो रहे है दूसरे वह हैं जिन्हें पाषाण ही दिखता है सच्चा धर्मात्मा में पाषाण में परमात्मा को पाकर उनकी धर्म आराधना का असीम पुण्य संचय कर लेता है।
श्री मजेन्द्र पंचाकल्याण प्रतिष्ठिता महोत्सव एवं भव्य गजरथ महोत्सव तथा विश्व शान्ति महायज्ञ के आगामी १८ नम्बर से २३ नवम्बर के होने वाले आयोजन पर मुनि श्री ने कहा कि पंचम काल में हम जितना भी धर्म और पुण्य के कार्य कर ले वह सब ही हमारे साथ जाने वाले है संसार के कार्य में तो लगे है और लगे रहेगे लेकिन उच्च प्रकार के समय को यँँू ही नही गंवाये। पंचकल्याण महोत्सव के लिए २८ अक्टूबर को भाग्यशाली का परीक्षा है यानि की पात्रो का चयन होगा। अतिशय क्षेत्र श्रेयांशगिरी की धरा पर आयोजित होने वाले इस अवसर को हम नही गंवायेंं। हजार नवीन मंदिर को बनवाने से ज्यादा एक प्राचीन मंदिर का जीर्णेद्धार करने में अत्याधिक पुण्य मिलता है। ध्यान रखे कि धर्म से धन मिलता है और धर्म से ही हमारे परिवार में सुख समृद्धि और शान्ति की प्राप्ति होती है।
Created On :   23 Oct 2023 12:49 PM IST