पन्ना: नामांतरण-सीमांकन के लिए परेशान हो रहे लोग, जिले भर में हजारों प्रकरण लंबित

नामांतरण-सीमांकन के लिए परेशान हो रहे लोग, जिले भर में हजारों प्रकरण लंबित
  • 655 नामांतरण के मामले ही हो सके निराकृत
  • 2664 मामले अभी भी अटके
  • अफसरों के मोबाइल रिसीव नहीं हुए

डिजिटल डेस्क, पन्ना। आम लोगों से जुडे नामांतरण, सीमांकन, रिकार्ड सुधार, बंटवारा जैसे मामलों में अधिकारियों की अरूचि से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। जिलेभर में हजारों मामले पेंडिंग है जिसके चलते लोग तहसील न्यायालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। कई मामलों में तो 1 साल तक भी निराकरण नहीं होने से लोग खासे परेशान है। कमिशन सागर की अध्यक्षता में विगत दिनों हुई बैठक में इन विषयों पर चर्चा की गई। इस दौरान पता चला कि जिले में नामांतरण के 3915 मामले पंजीकृत हुए है जिनमें गत वर्ष में 655 ही निराकृत हो सके। कुल निराकरण के मामलों की संख्या 1251 रही। जिले की विभिन्न तहसील न्यायालयों में अभी भी 2664 मामले लंबित है। जिसमें 2291 मामले ऐसे हैं जो तीन माह से लंबित है। ऐसे में आम लोगों को अपने काम के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड रहा है।

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक जिले में नामांतरण के 257 मामले 6 माह एवं 110 मामले एक साल से लंबित बताए जा रहे हैं। जबकि राज्य सरकार द्वारा इन मामलों के त्वरित निराकरण के निर्देश दिए गए हैं। नामांतरण के अलावा सीमांकन के मामले में भी यही हाल है। जिले में सीमांकन के प्रकरण की बात करें तो कुल पंजीकृत 1636 मामले में महज 140 मामले की निराकृत हुए हैं। सीमांकन के 1496 मामले लंबित है जबकि 1457 मामलों में तीन माह से कोई निराकरण नहीं हुआ है। इसी क्रम में बटवारा के मामलों की बात करें तो यहां भी 864 पंजीकृत मामलों में महज 73 प्रकरणों का ही निराकरण हुआ है। 75 मामले तो 1 साल से लंबित हैं। रिकार्ड सुधार के मामलों में भी यही कहानी है। उपखण्ड अधिकारी कार्यालयों में कुल दर्ज 208 प्रकरणों में महज 15 मामलों में ही रिकार्ड सुधार हो सका है। अन्य लोग आज भी चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिससे आम लोगों में खासा रोष देखने को मिल रही है। बताया जाता है कि अधिकारी अन्य कार्यो की व्यस्तता के चलते राजस्व न्यायालय के इन सामान्य मामलों की अनदेखी कर देते है जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पडता है।

साइबर तहसीलों से राहत, 50 प्रतिशत से अधिक प्रकरण निराकृत

मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रशासन सुधार में साइबर तहसील व्यवस्था के माध्यम से नागरिकों के हित में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने की बात कही गई थी। प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ साइबर तहसील का शुभारंभ हुआ। इसके माध्यम से राजस्व प्रकरणों का निराकरण अत्यंत कम समय में हो सकेगा। भू-अभिलेखों एवं आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि संबंधित पक्षकार को मिल सकेगी। अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का तकनीकी सहायता से कम समय में गुणवत्तापूर्ण निराकरण करने साइबर तहसीलों को बनाया गया है। साइबर तहसीलों में औसत 15 से 17 दिनों का समय लग रहा है जो मैन्युअल प्रक्रिया में लगने वाले 60 दिनों की तुलना में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 15 दिन की समय सीमा, पेपरलेस और ऑनलाइन नामांतरण तथा भू अभिलेख अद्यतन करने के लिए साइबर तहसील स्थापित की गई है। इस प्रकार संपूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय से संबंधित नामांतरण प्रकरणों का निराकरण साइबर तहसीलों से किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रकरणों में त्वरित नामांतरण के अलावा भू-अभिलेख अपडेट होगा। जिले में 19 साइबर तहसीलें बनाई गई हैं जिसमें कुल पंजीकृत प्रकरण 548 है। जिसमें 283 प्रकरणों का निराकरण भी किया जा चुका है हालाकि यहां भी काम शत-प्रतिशत नहीं है लेकिन तहसील कार्यालयों से कमोवेश स्थिति बेहतर है। जब इस संबध में जिले के कलेक्टर व अपर कलेक्टर से उनका पक्ष जानने के लिए दूरभाष पर सम्पर्क कराना चाहा तो दोनों आला अफसरों के मोबाइल रिसीव नहीं हुए।

Created On :   1 Jun 2024 12:11 AM IST

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