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UP Girl Education Story: प्रयागराज की ‘रिया’ की कहानी: जंगल में छोड़ी गई बच्ची आज बन रही है शिक्षा की मिसाल

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की 11 वर्षीय रिया (बदला हुआ नाम) की कहानी संघर्ष, त्याग और शिक्षा की शक्ति को दर्शाती है। जन्म के पहले ही दिन रिया को उसके माता-पिता ने जंगल में छोड़ दिया था। संयोगवश, नवरात्रि के आयोजन स्थल के पास से गुजर रहे ग्रामीणों ने नवजात को रोते हुए देखा और उसे बचाकर अस्पताल पहुँचाया।
रिया की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब संतानहीन लक्ष्मी (बदला हुआ नाम) ने उसे गोद लिया। सामाजिक आलोचनाओं के बावजूद, मजदूर पति के सहारे लक्ष्मी ने रिया का पालन-पोषण किया। पति की मृत्यु के बाद भी, लक्ष्मी ने रिया की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया।
शिक्षा के लिए संघर्ष और संस्था का हस्तक्षेप
आर्थिक तंगी के कारण रिया की पढ़ाई बीच में बाधित हो गई और वह अपनी माँ का हाथ बंटाने लगी। हालांकि, शिक्षा की ललक उसके मन में बनी रही। यह इच्छा तब पूरी हुई जब कोरोना महामारी के दौरान एजुकेट गर्ल्स संस्था ने गाँवों में “कैंप विद्या” शुरू किया। रिया की लगन देखकर संस्था की फील्ड कोऑर्डिनेटर और बालिका स्वयंसेवकों ने उसका कक्षा 4 में दोबारा नामांकन सुनिश्चित कराया। संस्था के सहयोग से रिया अब नियमित रूप से कक्षा 6 में पढ़ रही है और अपने सपनों को साकार करने में जुटी है।
यह कहानी साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर कोई भी बालिका अपने भविष्य को संवार सकती है।
उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा की चुनौतियाँ और समाधान
उत्तर प्रदेश में बालिकाओं के स्कूल छोड़ने के कई कारण हैं, जिनमें आर्थिक तंगी, घर में मदद की जिम्मेदारी, स्कूल की दूरी और अभिभावकों में जागरूकता की कमी प्रमुख हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक गंभीर है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी पहलें चला रही हैं, जिनके तहत परिवारों को आर्थिक सहायता और शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
एजुकेट गर्ल्स का व्यापक योगदान
सरकारी प्रयासों के साथ, गैर-सरकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स 2019 से उत्तर प्रदेश के 23 जिलों में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। संस्था ने शिक्षा विभाग के साथ मिलकर 6 लाख से अधिक बालिकाओं को मुख्यधारा से जोड़ा है।
संस्था 12,000 से अधिक टीम बालिका स्वयंसेवकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाती है। यह नामांकन और लड़कियों का स्कूल में ठहराव सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, संस्था 'ज्ञान का पिटारा' कार्यक्रम के तहत खेल-खेल में पढ़ाई कराकर 4 लाख से अधिक बालिकाओं के सीखने के स्तर में सुधार लाने में भी मदद कर चुकी है।
बालिका शिक्षा देश के विकास और समृद्धि की नींव है। रिया की कहानी और एजुकेट गर्ल्स जैसी संस्थाओं के प्रयास यह बताते हैं कि हर बच्ची को शिक्षित होने का अवसर मिलना चाहिए, ताकि भारत सही मायने में प्रगति कर सके।
Created On :   11 Oct 2025 6:25 PM IST