Pune News: 50-50 फॉर्मूला’ पर तलेगांव में समझौता, लोनावला और वडगांव में सस्पेंस बरकरार

50-50 फॉर्मूला’ पर तलेगांव में समझौता, लोनावला और वडगांव में सस्पेंस बरकरार
  • गठबंधन को लेकर भाजपा-राष्ट्रवादी कांग्रेस में तकरार
  • एकजुट मविआ के लिए अवसर
  • मावल पैटर्न’ पर दरार, आघाड़ी के लिए खुला मौका

भास्कर न्यूज, पिंपरी-चिंचवड़। मावल तहसील की राजनीति में सियासी समीकरण उलझते ही जा रहे हैं। तलेगांव नगर परिषद में भाजपा और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने समझौता कर लिया है, लेकिन लोनावला और वडगांव नगर पंचायतों में “50-50 फॉर्मूला” अब भी उलझा हुआ है। भाजपा ने लोनावला में पहले ढाई साल के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस को नगराध्यक्ष पद देने पर सहमति नहीं जताई है, जबकि वडगांव में दोनों दलों के स्थानीय नेता अपनी-अपनी सियासी जमीन बचाने में जुटे हैं। महायुति की यह अंदरूनी खींचतान महाविकास आघाड़ी के लिए अवसर बन सकती है”, क्योंकि आघाड़ी एकजुट होकर मैदान में उतर रही है।

-तलेगांव नगर परिषद की 28 सीटों में से 17 सीटों पर राकां और 11 पर भाजपा चुनाव लड़ेगी

तलेगांव नगर परिषद की 28 सीटों में से 17 सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) और 11 पर भाजपा चुनाव लड़ेगी। सीटों की संख्या कम होने के बावजूद भाजपा ने पहले ढाई साल के लिए अध्यक्ष पद अपने पास रखा है। भाजपा के संतोष दाभाड़े पहले अध्यक्ष होंगे, जबकि अगले ढाई साल एनसीपी के गणेश काकड़े को पद मिलेगा। यह समझौता राष्ट्रवादी कांग्रेस के स्थानीय विधायक सुनील शेलके की मध्यस्थता से हुआ। राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि यह “संतुलित” फॉर्मूला कम और “समझौते में ताकत दिखाने” की रणनीति ज़्यादा है। हालांकि लोनावला और वड़गांव मावल में तनातनी बरकरार है।

- लोनावला के पदाधिकारी ही करेंगे

लोनावला में स्थिति पूरी तरह उलझी हुई है। भाजपा की पूर्व नगराध्यक्ष सुरेखा जाधव ने विधायक शेलके के फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि, विधायक शेलके को एकतरफा घोषणा नहीं करनी चाहिए। लोनावला का निर्णय लोनावला के पदाधिकारी ही करेंगे। उनके इस बयान ने साफ कर दिया कि भाजपा स्थानीय नेतृत्व को दरकिनार कर किसी “थोपे गए फॉर्मूले” को स्वीकार नहीं करेगी। वडगांव नगर पंचायत में इस बार अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित है। भाजपा के पूर्व सभापति गुलाबराव म्हालसकर की बेटी एड. मृणाल म्हालसकर और एनसीपी नगराध्यक्ष मयूर ढोरे की पत्नी अबोली ढोरे दोनों ही उम्मीदवार की दौड़ में हैं। अब मुकाबला “दल बनाम दल” से आगे बढ़कर “परिवार बनाम परिवार” का रूप ले चुका है। अगर यहां भी फॉर्मूला तय नहीं हुआ, तो महायुति के भीतर नाराजगी बढ़ना तय है।

- ‘मावल पैटर्न’ पर दरार, आघाड़ी के लिए खुला मौका

एक साल पहले विधानसभा चुनावों में चर्चित रहा “मावल पैटर्न” (भाजपा-एनसीपी का तालमेल) अब स्थानीय स्तर पर बिखरता दिख रहा है। महाविकास आघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव ठाकरे गुट, राष्ट्रवादी -शरद पवार गुट और मनसे) चारों दल मिलकर सभी नगर परिषदों में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, जहां महायुति सीट बंटवारे में उलझी है, वहीं महाविकास आघाड़ी संगठित और आक्रामक मोड में है। इससे भाजपा-एनसीपी गठबंधन को नुकसान और आघाड़ी को बढ़त मिल सकती है। अब पूरा ध्यान अगले 3 से 4 दिनों में होने वाली बैठकों पर है, जिनमें लोनावला और वडगांव के लिए अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर समझौता नहीं हुआ, तो महायुति के कई स्थानीय नेता “बागी” रुख अपनाने की तैयारी में हैं, जिससे मैदान और भी दिलचस्प हो सकता है।

Created On :   14 Nov 2025 5:46 PM IST

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