- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- पुणे
- /
- स्वतंत्र पालिका बनी, फिर भी विकास...
Pune News: स्वतंत्र पालिका बनी, फिर भी विकास ठप्प

- समस्याओं के हल के लिए पुणे मनपा पर निर्भर फुरसुंगी - उरुली देवाची
- डंपिंग ग्राउंड बना दोनों गावों के लिए समस्या
भास्कर न्यूज, हड़पसर। पुणे महानगरपालिका में शामिल किए गए 23 गांवों में से फुरसुंगी और उरुली देवाची इन दो गांवों को ग्राम पंचायत से हटाकर महापालिका में लेने के बाद, यहां के निवासियों ने महापालिका के अवास्तव ज्यादा टैक्स का विरोध किया था। इसके बाद, केवल कर को एकमात्र कारण मानते हुए, इन गांवों को महापालिका से अलग कर स्वतंत्र नगर पालिका बनाई गई।
यह नगर पालिका 11 सितंबर 2024 को अस्तित्व में आई, लेकिन यहां की समस्याओं को हल करने के लिए यह क्षेत्र अभी भी महापालिका पर निर्भर है। इस नगर पालिका के लिए अब तक कोई बड़ा फंड नहीं आया है, जिसके कारण यहां का विकास रुका हुआ है। अब, फुरसुंगी और उरुली देवाची इन दो गांवों से मिलकर बनी इस नगर पालिका का चुनाव होने वाला है।
चुनाव के लिए कुल 16 वार्ड बनाए गए हैं। द्वि-स्तरीय वार्ड संरचना के कारण 32 उम्मीदवार चुनावी मैदान में रहेंगे। फुरसुंगी गांव के 14 वार्ड हैं। उरुली देवाची के 2 वार्ड हैं। नागरिकों द्वारा सीधे नगराध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा, जिसके लिए अनुसूचित जाति का आरक्षण तय किया गया है।
इस प्रकार है आरक्षण
अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित (वार्ड 3, 5, 16) और पुरुष के लिए आरक्षित (वार्ड 4, 7) हैं। ओबीसी महिला महिला के लिए आरक्षित (वार्ड 2, 8, 9, 11, 14) और पुरुष के लिए आरक्षित (वार्ड 1, 6, 12, 13) हैं।। नगर पालिका में कुल मतदाता संख्या 75,465 है। इसमें अनुसूचित जाति के 11,384 और अनुसूचित जनजाति के 874 मतदाता शामिल हैं।
डंपिंग ग्राउंड बना दोनों गावों के लिए समस्या
इस नगर पालिका को भेकराईनगर जैसे क्षेत्रों से भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। फुरसुंगी और उरुली देवाची के कुछ नागरिक नगर पालिका के विरोध में थे, जबकि कुछ चाहते थे कि नगर पालिका बने। पुणे महानगरपालिका से ये दो गांव अलग होकर नगर पालिका बन गए हैं, फिर भी पुणे महापालिका की कचरा डिपो की जमीन महापालिका के ही कब्जे में रखी गई है। इस कारण, यहां डंप होने वाले कचरे की समस्या इन दोनों गांवों के लिए अभी भी कष्टदायक है।
अभी भी नहीं पहुंचा पानी
कचरा डिपो के कारण यहां के पानी के स्रोत दूषित हो गए हैं और कुओं का पानी खराब हो गया है। पीने के पानी के लिए अभी भी महापालिका के टैंकरों और नलकूपों पर निर्भर रहना पड़ता है। कुछ हिस्सों में अभी भी पानी की पाइपलाइन नहीं डाली गई है। महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने तुकाई टेकड़ी पर टंकी बनाई है, लेकिन इन दोनों गांवों के कई इलाकों तक अभी भी पानी नहीं पहुंचा है। इसलिए, मुख्य पानी की समस्या का समाधान होना जरूरी है। आंतरिक सड़कों की खराब स्थिति जैसी समस्याएं खड़ी हैं। शहरीकरण बढ़ने से पुरानी ड्रेनेज लाइन पर दबाव पड़ रहा है, जिससे बार-बार पानी बाहर आता है और बदबू फैलती है। कई सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। नगर पालिका के पास मानव संसाधन और फंड की कमी होने के कारण, यहां की स्वास्थ्य समस्या को हल करना मुश्किल है।
Created On :   14 Nov 2025 4:43 PM IST












