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लोकसभा चुनाव: इस विकास के दम पर मांगे जा रहे हैं वोट, देखना होगा किस करवट बैठेगा आंध्र प्रदेश का सियासी ऊंठ
- राजधानी घोषित होते ही जमीन के दाम करोड़ों में जा पहुंचे
- नरा चंद्रबाबू नायडू ने राजधानी के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था
- अमरावती राजधानी क्षेत्र की हजार करोड़ों की योजना
डिजिटल डेस्क, अमरावती, प्रकाश दुबे। कृष्णा नदी गुंटूर और विजयवाड़ा शहरों को दो अलग-अलग जिलों में बांट देती है। गुंटूर जिले की सीमा में कृष्णा पार करते ही अमरावती है। वर्तमान आंध्र प्रदेश की राजधानी घोषित होते ही जमीन के दाम करोड़ों में जा पहुंचे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरा चंद्रबाबू नायडू ने राजधानी के लिए जमीन का अधिग्रहण किया। आधे से अधिक काम हुआ। इसी बूते 2019 में सत्ता में वापसी की उम्मीद थी, परंतु जगनमोहन रेड्डी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की।
शपथ ग्रहण के बाद रेड्डी ने अमरावती परियोजना कचरे की पेटी में डालते हुए ऐलान कर दिया कि आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां होंगी। के मोहन का दावा है कि जगन सरकार काम शुरू नहीं करेगी। कुर्नूल में उच्च न्यायालय, विशाखापत्तनम में सचिवालय देने से विकेंद्रीकरण का नारा दिया। अमरावती में सिर्फ विधानसभा होगी। अमरावती राजधानी क्षेत्र की हजार करोड़ों की योजना है। अंजनी का कहना है कि केंद्र सरकार ने जगन की इस मद में कोई मदद नहीं की। इसलिए मुख्यमंत्री को बहाना मिल गया।
2024 के चुनाव में तेलुगुदेशम पार्टी और वाइएसआर पार्टी के बीच अमरावती बड़ा मुद्दा है। पूरे क्षेत्र में जमीनें खरीदी गईं। बहुमंजिला इमारतें बन चुकी हैं। न तो परिवहन ठीक है और न सड़कों को जोड़ने वाले पहुंच मार्ग। जिस मार्ग से एक साथ आधा दर्जन वाहन आसानी से आ जा सकते हैं, वह बंद है। उस पर दिन में मिर्ची सुखाई जाती है और बाकी समय प्रदेश में उपलब्ध बोतलें खाली की जाती हैं।
पेडाकोरापाडु से तेदेपा के विधानसभा उम्मीदवार का दावा है कि अमरावती प्रदेश का केंद्र बिंदु है। हर छोर पांच सौ किलोमीटर से कम है। सड़कें बनने लगीं। भूमिगत नालियां बन रही थीं। यहां राजधानी बनने से प्रदेश भर को आसानी होगी। विकास होगा।
वाईएसआर के उम्मीदवार नंबूरी शंकरराव की दलील अलग है। मुख्यमंत्री जगन ने जिलों की संख्या 13 से 25 कर दी है। हर लोकसभा क्षेत्र का अपना जिला है। गुंटूर से अलग कर पलनाडु जिला बनाया गया जिसमें अमरावती शामिल है। अमरावती के 13 हजार गांवों में तेजी से सुविधाएं दी गई हैं।
दोनों उम्मीदवार एक दूसरे के चचेरे भाई हैं। विचार एकदम विपरीत। एक दूसरे के नेता को फटाक से भ्रष्टाचार सम्राट जैसा अलंकरण देते हैं। जगन सरकार ने अल्पसंख्यक कोटे से मुसलमानों को आरक्षण दिया। चंद्रबाबू का भी यही वादा है। बहरहाल वाजिद खान का सवाल है बालू नहीं मिलने से कारीगर बेकार हैं। उनके पड़ोसी ने धीरे से कहा-नदी तट के विधायकों को 20 करोड़ रुपया टैक्स देना पड़ता है, जिसके भराेसे वर्तमान सरकार मुफ्त रियायतें देने वाली कल्याण योजनाएं चलाती है।
इससे गंभीर आरोप यह है कि वर्तमान सरकार के पास कर्मचारियों को देने के लिए कोष नहीं है। सरकारी इमारतें बैंकों को रेहन हैं। तुरंत इस नतीजे पर मत कूदिये कि जगन सरकार के पैरों तले जमीन खिसक चुकी है। मुख्यमंत्री के बचपन के दोस्त अमर देवलापल्ली कहते हैं-प्रचार पर मत जाइए। इस सरकार ने हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ किया है। मतदाता बहकावे में नहीं आएंगे। खास तौर पर महिलाएं पूरी तरह सरकार को लाने की पक्षधर हैं। अमरावती पहुंचने से पहले ताड़ेपल्ली गांव है। वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री की कोठियां इसी इलाके में हैं।
सार्वजनिक और निजी विकास का ध्यान रखते हुए वोट मिलता है। हर वोट कीमती है। एक विधानसभा क्षेत्र में एक करोड़ रुपए तक चुनाव खर्च होता है। इस पर लोग भरोसा कर लेंगे। इस बात पर भी विश्वास करिए कि आंध्र प्रदेश के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में यह राशि पचास करोड़ से एक अरब तक जा सकती है? एक उम्मीदवार के रिश्तेदार ने बताया-लक्ष्मी का प्रसाद उन तक भी पहुंचता है, जिनके बारे में पता है कि वे दूसरे उम्मीदवार के पास हैं। तभी तो नाम अमरावती है। फिल्म वालों का तेलुगुभाषियों पर खासा दबदबा है। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव लड़ रहे एक कलाकार के बारे में चर्चा है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में हर परिवार को जो रकम बांटी है, उसमें पांच शून्यों का पुछल्ला है। पक्की जानकारी चाहिए? उम्मीदवार से संपर्क करें या फिर चुनाव आयोग से पूछें।
Created On :   12 May 2024 3:13 PM GMT