एक शख्स ने अपने भाई के नाम पर 34 साल भारतीय सेना की सेवा की

A man served in the Indian Army for 34 years in the name of his brother
एक शख्स ने अपने भाई के नाम पर 34 साल भारतीय सेना की सेवा की
धोखाधड़ी एक शख्स ने अपने भाई के नाम पर 34 साल भारतीय सेना की सेवा की

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) की क्षेत्रीय पीठ ने उत्तराखंड पुलिस को एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है, जिसने 34 साल अपने भाई का रूप धारण कर भारतीय सेना की सेवा की। इस धोखाधड़ी का पदार्फाश तब हुआ जब उसने अपने पैन को पेंशन से जोड़ने के लिए आवेदन किया और उसके भाई ने भी, जो सेना से सेवानिवृत्त हो गया था।

यह मामला नारायण सिंह से संबंधित है, जिसने 30 नवंबर, 1982 को खुद को श्याम सिंह के रूप में सेना में भर्ती कराया था। वह एक सैनिक के रूप में 13 गार्ड बटालियन में शामिल हुए। सिंह 30 जून 2001 को नाइक के पद से सेवानिवृत्त हुए। बाद में उन्होंने 3 मार्च, 2002 को रक्षा सुरक्षा कोर (डीएससी) में फिर से नामांकन किया और 16 साल से अधिक की सेवा प्रदान करने के बाद 1 जुलाई 2018 को उन्हें छुट्टी दे दी गई।

दो सेवानिवृत्ति के साथ, वह दो पेंशन के लिए पात्र थे। उन्होंने डीएससी सेवा में रहते हुए अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) और आधार को अपने बैंक खाते से जोड़ा था। हालांकि, मई 2017 में, बैंक को एक ही नाम (श्याम सिंह), एक ही पिता के नाम (मदन सिंह) और एक ही जन्म तिथि (11 जुलाई, 1963) के साथ दो स्थायी खाता संख्या (पैन) कार्ड मिलने लेकिन दो अलग-अलग तस्वीरों के साथ के बाद उनकी सेना की पेंशन रोक दी गई थी।

बाद में उनकी डीएससी पेंशन भी रोक दी गई। जांच के दौरान पता चला कि आरोपी के छोटे भाई का नाम श्याम सिंह है, जिसने भी 6 मैकेनाइज्ड पैदल सेना के साथ सेना की सेवा की थी। वह 15 मार्च, 1982 को शामिल हुए और 31 जनवरी, 2002 को हवलदार के रूप में सेवानिवृत्त होने से पहले 20 वर्षों तक सेवा की।

अप्रैल 2017 में, एसबीआई की काशीपुर शाखा (उधम सिंह नगर जिला) ने असली श्याम सिंह को अपने पैन को बैंक से जोड़ने के लिए कहा, जिसके बाद यह पाया गया कि धोखेबाज श्याम सिंह ने पहले ही अल्मोड़ा जिले की एसबीआई की रामपुर शाखा के साथ पैन को लिंक कर दिया था।

इसके बाद बैंक अधिकारियों ने दोनों भाई की पेंशन रोक दी। चार साल के लंबे मुकदमे के बाद, एएफटी लखनऊ पीठ ने उत्तराखंड पुलिस को आरोपी नारायण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि आरोपी नारायण सिंह ने भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए अपने छोटे भाई की पांचवीं कक्षा की मार्कशीट का इस्तेमाल किया था।

हालांकि, कृषि भूमि रिकॉर्ड और राशन कार्ड प्रविष्टियों में उनका नाम नारायण सिंह था। उन्होंने अपने भाई के पैन कार्ड के विवरण का इस्तेमाल पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) से जोड़ने के लिए किया। एएफटी लखनऊ के संयुक्त रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) सीमात कुमार ने कहा, प्रतिरूपण का मामला कभी सामने में नहीं आता, अगर पैन कार्ड बैंक और पीपीओ से जुड़ा नहीं होता। इस मामले में फैसला बुधवार को आया और गुरुवार को आदेश की एक प्रति जारी की गई।

आईएएनएस

Created On :   8 Oct 2021 12:30 PM IST

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