चंडीगढ़ में चाइनीज लोन एप रैकेट का भंडाफोड़, दबोचे गए चीनी सरगना समेत 20 आरोपी
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ। चंडीगढ़ पुलिस और साइबर सेल को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जहां लंबे ऑपरेशन के बाद एक चीनी सरगना के लोन एप रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस अधीक्षक केतन बंसल ने शुक्रवार को कहा कि, पुलिस ने लोन एप के चीनी मास्टरमाइंड वान चेंगुआ को अरेस्ट किया है जो 60 लोगों के साथ रैकेट चला रहा था। पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने 5 राज्यों में 10 दिनों के लंबे ऑपरेशन के दौरान एक चीनी सरगना के लोन एप रैकेट का भंडाफोड़ कर 20 लोगों की गिऱफ्तारी करके बड़ी सफलता हासिल की है।
पुलिस ने लोन एप के चीनी सरगना वान चेंगुआ समेत 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच के मुताबिक आरोपी ऑनलाइन लोन एप्लीकेशन यानी हूगो लोन, कॉइन कैश, एए लोन, एके लोन, विन क्रेडिट पर काम कर रहे थे। पुलिस ने प्ले स्टोर से ऐप्स को हटाने के लिए गूगल से अनुरोध किया है।
आरोपी लोगों से संपर्क के लिए वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि, हम इन वर्चुअल नंबरों के साथ-साथ अन्य संदिग्धों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। आरोपी एक-दूसरे से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया एप्लिकेशन- डिंगटॉक, वीचैट और जीबी व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे थे। आरोपियों के सोशल मीडिया खातों के बारे में जानकारी के लिए भी अनुरोध भेजा गया है।
गिरफ्तार किए गए लोगों में से अधिकांश गुरुग्राम के पीसी फाइनेंस के कर्मचारी थे, जिनमें कुछ चीनी नागरिक भी थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि, हमने पीसी फाइनेंस की जांच की तो पाया कि, पीटर, ट्रे और निकोल्सन कंपनी में ऊंचे पदों पर काम कर रहे थे और यह कंपनी 2020 में बंद हो गई थी। जिसके बाद इन्होंने अपने काम करने का तरीका बदल दिया और वे चीन से अपना सिंडिकेट चला रहे हैं। इन्होंने परवेज आलम उर्फ जीतू और उर्फ सोनू भड़ाना को ऑनलाइन लोन सिंडिकेट का बॉस बना दिया, जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है।
सिंडिकेट में शामिल चीन से जेफरी झू, जिसने 2020 में भारत छोड़ दिया, वह इस पूरे घोटाले के वित्त का प्रबंधन कर रहा था। गिरफ्तार आरोपी अंशुल कुमार भारत में झू का मुख्य सहयोगी है और वह करीब 100 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। जो अभी गिरफ्तार चीनी आरोपी वान चेंगुआ जेफरी के साथ काम कर रहा था और उसने कुमार को लगभग 35-40 लाख रुपये दिए, जिसने आगे पैसे परवेज आलम को सौंप दिए। चेंगुआ का वीजा और पासपोर्ट 2020 में खत्म हो गया था।
जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी व्हाट्सएप, फेसबुक या इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करने के बजाय जीबी व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी तरह, धोखेबाजों ने धोखाधड़ी करने के लिए डिंगटॉक और वीचैट का इस्तेमाल किया। सभी ऑनलाइन ऋण आवेदन यूपीआई आईडी के माध्यम से पैसे की धोखाधड़ी कर रहे थे और वे बैंक खातों से जुड़े थे। जांच के दौरान इनमें से कुछ खातों का सत्यापन किया गया और पाया गया कि, इन खातों में भारी मात्रा में लेन-देन किया जाता है। 50 लाख रुपये वाले 20 खातों को फ्रीज कर दिया गया है।
यह भी माना जा सकता है कि ये संदिग्ध खाते मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि, हमने इस बारे में प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय खुफिया एजेंसी और सीबीआई को लिखा है। ये खाते कंपनियों और उद्यमों के नाम पर खोले गए हैं। सत्यापन पर, उनमें से कुछ शेल कंपनियां पाए गए और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके पंजीकरण किया गया है। सभी आरोपियों को शुक्रवार को स्थानीय अदालत में पेश किया गया और उनमें से 18 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
डीजीपी परवीर रंजन ने पुलिस अधीक्षक केतन बंसल और डीएसपी (साइबर) ए वेंकटेश से मुलाकात की और दोनों अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने इंस्पेक्टर रंजीत सिंह, सब-इंस्पेक्टर के.डी. सिंह और परमिंदर सिंह, सहायक उपनिरीक्षक बलवान सिंह, प्रधान आरक्षक राजेंद्र सिंह, बहादुर लाल, बलविंदर सिंह, सुनीत, रामपाल, गुरमीत सिंह और विकास बस्तर, वरिष्ठ सिपाही सचिन, सिपाही प्रमजीत, विकास दहिया, सोनित, बलजीत, सरविंद, वीर दविंदर, अशोक, दिनेश, ओमबीर, मनप्रीत और कविता को 75,000 रुपये नकद और अच्छे काम के लिए प्रथम श्रेणी प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया।
सोर्सः आईएएनएस
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Created On :   17 Sept 2022 12:00 AM IST