आतंकवाद रोधी अभियान का नेतृत्व करेगा विशेष सुरक्षा समूह

Kashmir civilian killings: Special security group to lead counter-insurgency operation
आतंकवाद रोधी अभियान का नेतृत्व करेगा विशेष सुरक्षा समूह
कश्मीर नागरिक हत्याएं आतंकवाद रोधी अभियान का नेतृत्व करेगा विशेष सुरक्षा समूह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर में नागरिकों पर हो रहे हमलों को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए, केंद्रीय पुलिस एजेंसियों का एक विशेष समूह अब भारतीय सेना और राज्य पुलिस के साथ समन्वय में आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व करेगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस समूह में खुफिया एजेंसी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी और केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी शामिल होंगे, जिन्होंने पिछले 16 दिनों में 11 नागरिकों की हत्या करने वाले आतंकवादियों को पकड़ने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक, यह टीम स्थानीय युवकों के खिलाफ पहले दर्ज की गई सभी एफआईआर की जांच करेगी। विशेष सुरक्षा समूह में शामिल अधिकारी पथराव करने वाले, जमीनी कार्यकर्ताओं या स्थानीय कश्मीरियों के उन समूहों की भी निगारनी करेंगे, जिनके आतंकी कैडरों या उनके प्रति सहानुभूति रखने वालों के साथ संबंध हैं।

इन हत्याओं की खुफिया जानकारी और प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि इन घटनाओं को लोन वुल्फ हमले (भेड़िए की तरह अकेले ही छिपकर हमला करने की रणनीति) के तरीके से अंजाम दिया गया है। इसलिए, टीम उन युवकों के विवरण को स्कैन करेगी, जिन्हें अतीत में पथराव की घटनाओं में माफ कर दिया गया था। 2014-2018 के दौरान, 4,000 से अधिक युवाओं, जो पथराव के मामलों में पहली बार अपराधी थे, को जम्मू-कश्मीर सरकार ने माफ कर दिया था। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी अब उनके ठिकाने का ब्योरा मांग रहे हैं और पिछले छह हफ्तों के दौरान उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।

गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से कश्मीर में हालिया नागरिक हत्याओं की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने की सबसे अधिक संभावना है क्योंकि अब तक की जांच एक निश्चित पैटर्न को इंगित करती है, जो आतंकी कोण की ओर इशारा कर रही है। सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में घाटी में नागरिकों की हत्या पर भी चर्चा हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के सभी सुरक्षा हितधारकों के साथ मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

कश्मीर में नागरिकों की हत्याओं ने घाटी में गलत संदेश दिया है और अधिकांश प्रवासी मजदूर और गैर-कश्मीरी घाटी छोड़ रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में भी भय की सामान्य भावना पैदा हो गई है। इन आतंकी हमलों ने उन कश्मीरी पंडितों में भी डर फैला दिया है, जो सरकार की पहल के बाद कश्मीर लौटने को तैयार थे।

अधिकारियों ने आगे कहा, एनआईए कश्मीरी पंडित और फार्मास्युटिकल डीलर माखन लाल बिंदरू, बिहार के रहने वाले स्ट्रीट वेंडर वीरेंद्र पासवान और अन्य मजदूरों के मामलों की जांच अपने हाथ में लेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सुरक्षा और विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए 23 से 25 अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर जाने की संभावना है और स्थानीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ उनकी प्रस्तावित बैठक के दौरान निर्दोष नागरिकों की हत्याओं का मामला भी प्रमुखता से उठाया जाएगा।

आईएएनएस

Created On :   19 Oct 2021 4:30 PM IST

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