पितृसत्ता का उत्पाद है माचो हीरो : दिबाकर बनर्जी

Macho Hero is the product of patriarchy: Dibakar Banerjee
पितृसत्ता का उत्पाद है माचो हीरो : दिबाकर बनर्जी
पितृसत्ता का उत्पाद है माचो हीरो : दिबाकर बनर्जी

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस) ओए लकी! लकी ओए!, खोसला का घोसला, लव सेक्स और धोखा और शंघाई जैसी फिल्मों के साथ आम लोगों की असाधारण कहानियों को पर्दे पर लाने वाले फिल्मकार दिबाकर बनर्जी ने बॉलीवुड में अपने लिए एक खास जगह बनाई है। उनका कहना है कि साधारण आम आदमी हमारे सिनेमा में हमेशा से था, और माचो हीरो मूल रूप से पितृसत्ता का एक उत्पाद है।

हमारी फिल्मों में सर्वोत्कृष्ट मदार्ना पुरुषों की तुलना में अब आम आदमी को नायक बनते देखना उन्हें कैसा लगता है? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि आम आदमी हमेशा से वहां रहा है। माचो हीरो आम तौर पर पितृसत्ता का उत्पाद है और बीते पांच छह सालो में हम पितृसत्ता पर एक बहुत महत्वपूर्ण प्रहार देख रहे हैं। शायद इसलिए हम इस तरह के नए नायकों को देख रहे हैं, जिन्हें हम वास्तव में देखते हैं, और मुझे बहुत खुशी है कि एक बार फिर से दर्शकों को संदीप और पिंकी फरार का क्लाइमेक्स देखने के बाद एक नया हीरो मिलेगा।

साल 2006 में आई फिल्म खोसला का घोसला से निर्देशक के रूप में शुरूआत करने के बाद से बनर्जी की फिल्मों में हमेशा यथार्थवाद की झलक रही है।

उन्होंने कहा, बॉलीवुड के पास साल 2006 में यथार्थवाद की पर्याप्त सीमाएं थी और आज भी यथार्थवाद की पर्याप्त सीमा है, 2000 के दशक की शुरुआत में शायद इसीलिए हमारी तरह के फिल्मकारों ने बनी बनाई परिपाटी से हटते हुए नया कंटेंट पेश करने की कोशिश। इससे नई पीढ़ी के फिल्मकारों में उत्साह बढ़ा, ठीक उसी तरह जिस तरह से हमें राम गोपाल वर्मा, केतन मेहता और श्याम बेनेगल जैसे फिल्मकारों ने उत्साहित।

दिबाकर का कहना है कि नई पीढ़ी के निर्देशक अच्छा काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, आज फिल्मकारों की नई पीढ़ी आई है, जो बहुत अच्छा कर रही है।

Created On :   19 April 2020 12:00 PM IST

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