पिछले पांच वर्षों में लगभग 51,000 बाल शोषण की शिकायतें एनसीपीसीआर तक पहुंचीं

Nearly 51,000 child abuse complaints reach NCPCR in last five years
पिछले पांच वर्षों में लगभग 51,000 बाल शोषण की शिकायतें एनसीपीसीआर तक पहुंचीं
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग पिछले पांच वर्षों में लगभग 51,000 बाल शोषण की शिकायतें एनसीपीसीआर तक पहुंचीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), देश में बाल अधिकारों की रक्षा, प्रचार और बचाव के लिए एक वैधानिक निकाय है, जिसे 2016-17 से 2020-21 तक पिछले पांच वर्षों के दौरान 50,857 शिकायतें मिली हैं। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे अधिक 9,572 शिकायतें मध्य प्रदेश से और उसके बाद उत्तर प्रदेश से 5,340 शिकायतें प्राप्त हुईं। ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कीं। पिछले पांच वर्षों में एनसीपीसीआर को क्रमश: 4,276, 3,205 और 4,685 रहा।

आयोग शिकायतों की जांच करता है और बाल अधिकारों के उल्लंघन या वंचित होने के मामलों का स्वत: संज्ञान लेता है, बाल देखभाल संस्थानों का निरीक्षण करता है, बाल अधिकारों के आनंद को बाधित करने वाले कारकों की जांच करता है, बच्चों के लिए मौजूदा कानूनों और नीतियों की समीक्षा करता है, जन जागरूकता को बढ़ावा देता है और मामलों में पूछताछ करता है। बाल अधिकारों से वंचित करने के संबंध में, इसके पास सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत एक सिविल कोर्ट की शक्तियां हैं।

उदाहरण के लिए, राजस्थान के भीलवाड़ा में लड़कियों की कथित नीलामी का संज्ञान लेते हुए, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष पी कानूनगो ने शुक्रवार को कहा कि, मामले की जांच की जाएगी और बाल अधिकार निकाय यह सुनिश्चित करेगा कि सांठगांठ टूट जाए और आरोपियों को दंडित किया जाए। एनसीपीसीआर की एक टीम 7 नवंबर को भीलवाड़ा जाएगी और मामले की जांच के लिए तस्करी से प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेगी।

अध्यक्ष ने कहा, हम चाहते हैं कि बच्चों से जुड़े हर मामले की सूचना दी जाए। इसके लिए हमने हाल ही में सभी राज्यों के जिलों में किशोर पुलिस इकाइयों और उनसे जुड़े अधिकारियों की एक क्षेत्रवार बैठक की है और समस्या जानने की कोशिश की है। इसमें पुलिस संवेदनशीलता समेत नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई है।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके अलावा, हमने पॉक्सो कोर्ट के वकीलों और जजों से भी चर्चा की है। इसका उद्देश्य है कि बच्चों को न्याय दिलाने में शामिल सभी हितधारकों को इन समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए। पॉक्सो कानून जो एक है प्रभावी कानून, अगर इसे ठीक से लागू किया जाए, तो बच्चों से संबंधित अपराधों को रोका जा सकता है।

महिला और बाल कल्याण मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ऐसे अपराधों के खिलाफ बच्चों को सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए कार्रवाई की है और स्कूल में बच्चों की सुरक्षा और सुरक्षा पर एक मैनुअल विकसित किया है, साइबर सुरक्षा पर दिशा निर्देश और बच्चों की सुरक्षा, आवासीय शैक्षणिक संस्थानों के लिए छात्रावासों पर दिशानिर्देश और साइबर सुरक्षा और बाल यौन शोषण पर वेबिनार आयोजित करना।

हाल ही में संसद के एक उत्तर के अनुसार, एनसीपीसीआर ने पोक्सो एक्ट पर क्षेत्रीय बैठकों सहित कई पहल की हैं। आयोग ने पॉक्सो अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन पर व्यापक समझ बनाने के उद्देश्य से देश के विभिन्न क्षेत्रों में पॉक्सो कार्यान्वयन में बाधा डालने वाले कारक और पीड़ितों को सहायता के पहलू पर क्षेत्रीय बैठकें आयोजित कीं। पॉक्सो पीड़ितों को सहायता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करना और एनसीपीसीआर/राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के लिए डिलिवरेबल्स की पहचान करना।

हालांकि, हाल की एक रिपोर्ट में, एक संसदीय स्थायी समिति ने देखा कि बाल अधिकार के मुद्दों को उजागर करने के लिए एनसीपीसीआर की ओर से सक्रिय वकालत और कार्रवाई की आवश्यकता है। समिति का विचार है कि बाल अधिकारों के मुद्दों को उजागर करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सक्रिय वकालत और कार्रवाई की आवश्यकता है।

अवैध गोद लेने वाले रैकेट और उस क्षेत्र में काम कर रहे एनसीपीसीआर के बारे में मंत्रालय द्वारा बयान के दौरान सूचित किए जाने पर, समिति को लगता है कि बाल तस्करी और दुर्व्यवहार के मुद्दों को कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता है, एनसीपीसीआर को खुद को रखने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए। ऐसे किसी भी अवैध दत्तक ग्रहण के बारे में, जिसे संबंधित हितधारकों के साथ उठाया जा सकता है।

सोर्सः आईएएनएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   30 Oct 2022 12:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story