12वीं की छात्रा की आत्महत्या मामले में शव के दोबारा पोस्टमॉर्टम के आदेश

Tamil Nadu: Orders for re-postmortem of the dead body in the suicide case of 12th student
12वीं की छात्रा की आत्महत्या मामले में शव के दोबारा पोस्टमॉर्टम के आदेश
तमिलनाडु 12वीं की छात्रा की आत्महत्या मामले में शव के दोबारा पोस्टमॉर्टम के आदेश

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने 13 जुलाई को एक निजी स्कूल के छात्रावास की तीसरी मंजिल से कूदकर कथित तौर पर आत्महत्या करने वाली 12वीं कक्षा की छात्रा के पिता की शिकायत के बाद सोमवार को दोबारा पोस्टमॉर्टम का आदेश दिया। न्यायमूर्ति सतीश कुमार ने डॉक्टरों की एक टीम से शव का दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने का आदेश दिया और याचिकाकर्ता व उनके वकील के. केशवन को कार्यवाही के दौरान मौजूद रहने को कहा।

जज ने लड़की को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर हिंसा भड़काने वाले प्रदर्शनकारियों पर जमकर निशाना साधा और कहा कि रविवार को प्रदर्शनकारियों की कार्रवाई से यह विश्वास पैदा हुआ कि तमिलनाडु एक कानूनविहीन राज्य है।

उन्होंने पुलिस से इसे एक परीक्षण मामले के रूप में मानने और हिंसा के सभी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की हिंसा में शामिल होने की संभावना वाले सभी लोगों को संकेत देने के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि भविष्य में यदि शैक्षणिक संस्थानों में कोई आत्महत्या होती है, तो मामले को सीबी-सीआईडी द्वारा लिया जाना चाहिए और तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा पोस्टमॉर्टम किया जाना चाहिए।

न्यायाधीश ने राज्य के लोक अभियोजक का बयान भी दर्ज किया। रविवार को सीबी-सीआईडी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया। न्यायमूर्ति सतीश कुमार ने लड़की के माता-पिता को मीडिया को साक्षात्कार देने से रोक दिया। उन्होंने माता-पिता को फिर से पोस्टमॉर्टम के बाद लड़की के शव को स्वीकार करने और शांति से अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया और यह छिटपुट नहीं था और संगठित अपराध की तरह दिखाई दिया।

उन्होंने पुलिस से शरारती तत्वों की पहचान करने और उन्हें कानून के सामने लाने के लिए विशेष टीम गठित करने को कहा। अदालत ने पुलिस को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो लड़की की मौत पर सोशल मीडिया पर समानांतर जांच और परीक्षण कर रहे थे और पूछा कि अगर लोग कानून अपने हाथ में ले सकते हैं और गुंडागर्दी कर सकते हैं तो पुलिस और अदालतें क्यों हैं।

सोर्स: आईएएनएस

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Created On :   18 July 2022 5:00 PM IST

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