आज धनतेरस पर ज्योतिषीय उपायों से प्राप्त करें धन और आरोग्यता

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आज धनतेरस पर ज्योतिषीय उपायों से प्राप्त करें धन और आरोग्यता
आज धनतेरस पर ज्योतिषीय उपायों से प्राप्त करें धन और आरोग्यता

डिजिटल डेस्क, भोपाल। धन का मतलब समृद्धि और तेरस का मतलब तेरहवां दिन होता है। धनतेरस यानी अपने धन, भाग्य और आरोग्य को तेरह गुणा बनाने और उसमें वृद्धि करने का दिवस। कार्तिक मास में त्रयोदशी धनतेरस का विशेष महत्व है। विशेषत: व्यापार, चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है। धनतेरस वास्तव में धनवंतरी त्रयोदशी ही है। यह एक आरोग्य पर्व है।

 

अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे भगवान धनवंतरी

आज ही के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धनवंतरी वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे, इसलिए धनतेरस को धनवंतरी जयंती भी कहते हैं। वैद्य-हकीम और ब्राह्मण समाज आज धनवंतरी भगवान का पूजन कर धनवंतरी जयंती मनाता है। दिवाली से दो दिन पूर्व धन्वंतरी जयंती मनाई जाती है। महर्षि धन्वंतरी को आयुर्वेद व स्वस्थ जीवन प्रदान करने वाले देवता के रूप में भी पूजनीय हैं। जैसे धन-वैभव के लिए देवीलक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं, उसी प्रकार स्वस्थ जीवन के लिए स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरी की आराधना की जाती है।

 

सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग है "अमृत"

धनवंतरी ईसा से लगभग दस हजार वर्ष पूर्व हुए थे। वह काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र थे। उन्होंने शल्य शास्त्र पर महत्त्वपूर्ण गवेषणाएं की थीं। धनवंतरी के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जरा मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। अमृत निर्माण करने का प्रयोग धनवंतरी ने स्वर्ण पात्र में ही बताया था। सुश्रुत उनके रासायनिक प्रयोग के उल्लेख हैं।

 

पहला सुख निरोगी काया

धनवंतरी जयंती का धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पौराणिक के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है, क्योंकि यह प्राकृतिक वातावरण और पर्यावरण को भी प्रभावित करती है। भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। "पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया"। भगवान धन्वंतरी हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। अत: धनतेरस के दिन किसी भी प्रकार की व्याधि से पीड़ित व्यक्ति को धन्वंतरी स्तोत्र का पूरी श्रद्धा से पाठ करना चाहिए।

 

देवताओं के वैद्य हैं भगवान धनवंतरी

शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।

धनतेरस की सायंकाल को यमदेव निमित्त दीपदान किया जाता है। ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। मान्यता है कि यदि गृहलक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरे परिवार को रोग-मुक्ति मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।

शाम के समय नए दीपक में सरसों का तेल भरकर यमराज का ध्यान करते हुए दीपक जलाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इस दिन यमराज और भगवान धनवंतरी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के स्वामी कुबेर की पूजा का बड़ा महत्त्व है।

 

धनतेरस दीपदान का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस की पूजा शाम के समय यमदेव को दीपदान के माध्यम से की जाती है। जिससे घर के लोग रोग, विपदाओं और दरिद्रताओं के अलावा यमराज के कोप से भी बचे रहते है। ऐसा करने से पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस त्योहार की सबसे बड़ी मान्यता यह है कि इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति यम के द्वारा दी जानें वाली यातनाओं से मुक्त हो जाता है। 

धनवंतरी जी की पूजा-विधि

भगवान धनवंतरी का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

*सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।*
*गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरी  च सततं प्रणमामि नित्यं।।*

भगवान धनवंतरी के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवेद्य लगाएं। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी अर्पित करें।
रोगनाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-

*ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।*

 

*कुबेर जी की पूजा*

कुबेर की कृपा हो जाये तो जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहती है | कुबेर की पूजा से मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है और धन अर्जन का मार्ग प्रशस्त होता है। धन-सम्पति की प्राप्ति हेतु घर के पूजास्थल में एक दीया जलाएं। समस्त धन सम्पदा और ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर के लिए धनतेरस के दिन शाम को 13 दीप समर्पित किए जाते हैं। मंत्रौच्चार के द्वारा कुबेर को प्रसन्न करे | यह उपासना धनतेरस से लेकर दीवाली तक की जाने पर जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दरिद्रता का नाश होता है और व्यापार में वृद्धि होती है। कुबेर भूगर्भ के स्वामी हैं।

*ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यादिपतये धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।।*

 

यम भगवान की पूजा*

माना जाता है कि धनतेरस की शाम जो व्यक्ति यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं और उनकी पूजा करके प्रार्थना करते हैं कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।

 

लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए

लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए अष्टदल कमल बनाकर कुबेर, लक्ष्मी एवं गणेश जी की स्थापना कर उपासना की जाती है। इस अनुष्ठान में पांच घी के दीपक जलाकर और कमल, गुलाब आदि पुष्पों से उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना लाभप्रद होता है। इसके अलाव *ओम् श्रीं श्रीयै नम:*  मंत्र का जाप करना चाहिए।

 

धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय

धनतेरस के दिन धनवन्तरी, धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है। अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है। धनतेरस के दिन नीचे लिखे उपाय किए जाएं एवम मेहनत ज्यादा की जाये तो सफलता प्राप्त होने की संभावनाएं ज्यादा हो जाती है और धन-संपत्ति आदि का लाभ होता है।

 

  • ये उपाय इस प्रकार हैं

- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक में दो काली गुंजा डाल दें, तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा।
- यदि आपके संचित धन का लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें।

- बरगद से पांच फल लाकर उसे लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें।
- यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं।
-यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को रोज चारा डालने का नियम लें।

 

  • पूजा व खरीदी के शुभ मुहूर्त

सुबह 10.30 से दोपहर 1.30 बजे तक लाभ-अमृत
दोपहर 3.00 से 4.30 बजे तक शुभ
रात्रि 7.30 से 9.00 बजे तक लाभ

स्थिर लग्न

वृश्चिक सुबह 8.38 से 10.55
कुंभ दोपहर 2.47 से 4.21
वृषभ शाम 7.31 से रात 9.29

क्या कब खरीदें

काल- सुबह 7:33 बजे खाद्यान्न खरीदने के लिए शुभ
शुभ- सुबह 9: 13 का समय गाड़ी, मशीन, कपड़ा और शेयर खरीदने के लिए शुभ
चर- दोपहर 2: 12 बजे का समय गाड़ी और गैजेट खरीदने के लिए शुभ
लाभ-  दोपहर 3-51 का समय लाभ कमाने वाली मशीन और कम्‍प्यूटर खरीदने के लिए शुभ
अमृत- शाम 5: 31 बजे का समय जेवर और बर्तन खरीदने के लिए शुभ
काल-  7: 11 बजे का समय घरेलू सामान खरीदने के लिए शुभ

Created On :   16 Oct 2017 6:45 PM GMT

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