पुरुषोत्तम मास : गुरू 'बृहस्पति' के घर में कम होगा सूर्य का प्रभाव

Purushottam Month or Purushottam Maas 2017-2018, Adhik mass Malmaas
पुरुषोत्तम मास : गुरू 'बृहस्पति' के घर में कम होगा सूर्य का प्रभाव
पुरुषोत्तम मास : गुरू 'बृहस्पति' के घर में कम होगा सूर्य का प्रभाव


 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। खरमास 16 दिसंबर 2017 से शुरू हो रहा है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है लगभग एक माह वह धनु राशि में ही रहता है तो उसे खरमास कहते हैं। यह वह काल या समय कहलाता है जब सभी मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। इस माह के नाम भी अलग-अलग हैं। अधिकमास, मलमास जबकि पुराणों में इसे पुरुषोत्तम मास कहा गया है। पुराणों में अलग-अलग तरीके से इस माह की महिमा का बखान मिलता है। 

 

इस माह का कोई स्वामी नही था

यह भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय माह है कहा जाता है कि इस माह का कोई स्वामी नही था तो श्रीकृष्ण ने इसे अपने चरणों में स्थान दिया। साथ ही कहा कि जिस गोलोक को पाने के लिए ऋषि मुनि युगों तक तप करते हैं उस धाम की प्राप्ति इस माह में ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करने से प्राप्त होगा। स्वयं कृष्ण का माह होने के कारण ही इसे मलमास से पुरुषोत्तम माह कहा जाने लगा। 

 

गुरू का स्थान राजा से श्रेष्ठ

सूर्य हर एक राशि में तीस दिन भ्रमण करता है। फिलहाल वह वृश्चिक राशि में है और 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजे धनु में प्रवेश करेगा। इस दिन को धनु संक्रांति भी कहा जाता है। ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है और बृहस्पति देवताओं के गुरू हैं। धनु और मीन ये दोनों ही राशियां बृहस्पति की हैं। राजा भौतिक शक्ति का स्वामी होता और राजा आध्यात्मिक शक्ति का। गुरू का स्थान राजा से श्रेष्ठ है अतः गुरू के घर में जाने से राजा का प्रभाव कम हो जाता है। 

 

साल के उन श्रेष्ठ मास में गिना गया है खरमास 

गुरू के घर केवल ज्ञान की बातें ही हो सकती हैं। वह उत्सव और परंपराओं से विलग हैं इसलिए भी मलमास में कोई मांगलिक कार्य नही होते।  खरमास को साल के उन श्रेष्ठ मास में गिना गया है जब हम भगवान के समीप जाने का प्रयास करते हैं। पुरुषोत्तम मास में भगवान श्रीकृष्ण एवं उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा विशेष पुण्यफलदायी बतायी गई है।

Created On :   15 Dec 2017 2:52 AM GMT

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