धनतेरस पर चांदी, पीतल खरीदना क्यों माना जाता है शुभ ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नए पीतल के बर्तन और चांद खरीदने का अत्यधिक महत्व है। सर्वार्थसिद्धि योग होने की वजह से ये पूरा दिन मंगलकारी है। सुबह, दोपहर और रात्रि में खरीददारी के लिए शुभ मुहूर्त डेढ़ से तीन घंटे तक का है। वैसे तो पूरा दिन ही शुभ है, किंतु ऐसा माना जाता है इस दिन शुभ मुहूर्त में वस्तु खरीदने से उसमें 13 गुने की वृद्धि होती है। इस दिन चांदी, पीतल खरीदा जाता है। लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है
त्रयोदशी तिथि
मान्यता के अनुसार इस दिन बर्तन और चांदी से बने आभूषण की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। ये परंपरा कब प्रारंभ हुई इसके बारे में कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिलता, किंतु पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धनवंतरी का अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। इन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है। जिसकी वजह से इस दिन का अत्यधिक महत्व है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं।
अमृत कलश
वे आयुर्वेद के जनक और विष्णु अवतार हैं। पीतल को आयुर्वेद में महत्व दिया गया है, जिसकी वजह से इस दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना गया है। ये भी कहा जाता है कि भगवान धनवंतरी के हाथ में पीत (पीला) कलश था। यह पीतल का बना हुआ था क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है। इसलिए दिवाली के पूर्व धनतेरस के दिन लोग अपने घरों में नए पीतल के बर्तन खरीदकर लाते हैं।
चांदी खरीदें
इस दिन चांदी जरूर खरीदी जाती है। अपने सामर्थ्य के अनुसार लोग कुछ न कुछ लेते हैं। दरअसल, चांदी को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और इस दिन चांदी के सिक्के या बर्तन खरीदने से यश और पराक्रम में वृद्धि होती है। लक्ष्मी, धनवंतरी और गणेश प्रतिमा भी यदि चांदी के स्वरूप में खरीदी जाती है तो ये सालभर घर में धन का आगमन बना रहता है।
Created On :   16 Oct 2017 3:48 AM GMT