@अमरीश पुरी, उनके इस किरदार के लिए हाॅलीवुड भी आया मुंबई
टीम डिजिटल, मुंबई. "टेंपल ऑफ डूम्स’ मूवी में उन्हें नरबलि देने वाले तांत्रिक मोलाराम के रोल में कास्ट करने के लिए स्पीलबर्ग को अच्छे खासे पापड़ बेलने पड़े थे. स्पीलबर्ग अमरीश को ऑडीशन देने अमेरिका बुलाना चाहते थे. अमरीश का कहना था कि जिसे ऑडिशन करना हो वो मुंबई आए. इसके बाद भी अमरीश सपीलबर्ग की फिल्म करने के इच्छुक नहीं थे. ‘गांधी’ फिल्म के डायरेक्टर रिचर्ड एडनबरो की सिफारिश पर पुरी साहब ने ये फिल्म की थी. 22 जून 1932 को ब्रिटिश भारत के जालंधर पंजाब में जन्मे अमरीश को आज एक बार फिर उनके जन्मदिन पर याद किया जा रहा है.
शाहरुख खान की ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, सनी देओल की घातक, घायल, दामिनी. सलमान शाहरुख की ‘करण-अर्जुन’ इन सब से आप अमरीश पुरी को निकाल दीजिए. सिमरन के बाबूजी और काशी के बाप के बिना ये सारी फिल्में अपने दौर की बाकी फिल्मों जैसी ही लगेंगी.
डीडीएलजे के नाम पर हमें दो ही डायलॉग सबसे पहले याद आते हैं. एक शाहरुख खान का कहा, ‘बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती है सेनोरीटा’ और दूसरा कालजयी डायलॉग, ‘जा, सिमरन जा... जी ले अपनी जिंदगी’. मोगेंबो खुश हुआ, इस डायलाॅग को भुला पाना तो शायद ही किसी किसी के लिए संभव होगा. ऐसे ही नहीं दुनिया के सबसे महान निर्देशकों में से एक स्टीवन स्पीलबर्ग ने उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ विलेन’ कहा था.
दरअसल 39 साल की उम्र में ग्रेड ‘ए’ की सरकारी नौकरी छोड़कर फिल्मों में आए अमरीश अपने हुनर की कीमत जानते थे. फिल्म इंडस्ट्री ने उनको वो सम्मान कतई नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिए था. मगर उनके जैसा दमदार विलेन भी मसाला फिल्मों की मूलभूत आवश्यकता बन गया था. उन्हें पता था कि उनकी आवाज और पत्थर जैसा चेहरा फिल्म इंडस्ट्री की जरूरत है. इसीलिए वो इंडस्ट्री के सबसे महंगे विलेन बन गए थे.
अमरीश पुरी ने हातिमताई, नागिन से लेकर करीना कपूर के साथ फिल्माई गई आखिरी फिल्म हलचल में अपने बेहतर किरदार को दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया. बाॅलीवुड के इस फेवरेट विलन ने निगेटिव रोल में जितनी धूम मचाई उतना ही दादा, चाचा, पिता और भाई का रोल निभाकर लोकप्रियता बटोरी. अमरीश का पूरा अमरीश लाल पुरी था. इनके परिवार में एक बेटा राजीव व एक बेटी नम्रता है.
Created On :   22 Jun 2017 2:34 PM IST