जन्मदिन विशेष : सिल्वर जुबली से आयरन लेडी बनने तक का सफर
डिजिटल डेस्क,तमिलनाडु। तमिलनाडु की राजनीति में आयरन लेडी के नाम से मशहूर रहीं जे.जयललिता की शनिवार को 70वीं बर्थ एनिवर्सिरी है। अम्मा के नाम से तमिलनाडु की जनता के दिलों पर राज करने वाली जयललिता के लिए लोगों में अजीब सी दीवानगी थी। चाहे अम्मा विपक्ष में रही हों या सत्ता में, फिल्मी पर्दे पर दमकती रही हों या अकेलेपन से जूझती रही हों, हमेशा उनके चाहने वालों के लिए वो खास ही रहीं। अंतिम वक्त में भी जब वो अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही थीं, पूरा देश उनकी सलामती की दुआ कर रहा था।
गौरतलब है कि जयललिता तीन बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। जयललिता का फिल्मी स्टार से लेकर मुख्यमंत्री बनने का सफर बेहद शानदार रहा। 1961 में 13 साल की उम्र में पहली बार जयललिता अंग्रेजी फिल्म एपीसल में एक बाल कलाकार के तौर पर फिल्मी पर्दे पर नजर आईं। इसके बाद महज 15 साल की उम्र में जयललिता ने मुख्य एक्ट्रेस के रूप में कन्नड़ फिल्मों में कदम रखा। इसके बाद वो तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। जयललिता ने अपने फिल्मी सफर के दौरान लोगों के दिलों पर राज किया। जयललिता अपनी डांसिंग के लिए भी बहुत पॉपुलर थीं। उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और हिंदी के 140 फिल्मों में काम किया।
"दबंग" जयललिता
फिल्मी जगत में जयललिता का ओहदा एक दबंग की तरह ही था। दबंग इसलिए क्योंकि जयललिता 11 साल तक सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस थीं। उन्हें 7 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड और 6 बार बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड से नवाजा गया। इतना ही नहीं उन्होंने कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगर के तौर पर भी काम किया।
कन्नड़ फिल्म से शुरुआत
जे.जयललिता ने 1967 में कन्नड़ फिल्म श्री शैला महात्मे से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट डेब्यू किया था। शूटिंग के दौरान वो अपनी मां के साथ ही रहती थी। एक बार फिल्म की शूटिंग के दौरान एक चाइल्ड आर्टिस्ट नहीं आई, इसके बाद डायरेक्टर ने जया से पार्वती का रोल प्ले कराया था। 1962 में वो मनमौजी फिल्म में कृष्ण के किरदार में नजर आईं।
बनीं "सिल्वर जुबली"
बताया जाता है कि इसे जयललिता का रुतबा ही कहेंगे कि उनकी फिल्मों के नाम हिरोइनों के नाम पर रखे जाते थे। 92 तमिल फिल्मों में से जयललिता की 85 फिल्में सिल्वर जुबली हिट रही हैं। इसके साथ ही 28 तेलुगू फिल्में सिल्वर जुबली रही हैं।
हिंदी फिल्म "इज्जत" से डेब्यू
तमिल फिल्म जगत की सिल्वर जुबली कहलाने वाली जयललिता 1968 में हिंदी फिल्म में कदम रखा। उन्होंने फिल्म इज्जत से डेब्यू किया। जिसमें उन्होंने धर्मेंद के साथ बतौर एक्ट्रेस के तौर पर काम किया। उन्होंने सिर्फ एक हिंदी फिल्म में ही काम किया।
एमजीआर ने गोद में उठा लिया
जयललिता अन्नाद्रमुक के संस्थापक और तमिल फिल्म एक्टर एमजी रामचंद्रन उर्फ एमजीआर के बेहद करीब थीं। जयललिता ने एमजीआर के साथ 28 फिल्मों में काम किया। जया तो एमजीआर की दिवानी थी हीं, कहा जाता है कि एमजीआर को भी जया से काफी लगाव था। जयललिता एक बार खुद बता चुकी थी कि एक बार थार रेगिस्तान में शूटिंग के दौरान एमजीआर ने पीछे से आकर उन्हें गोद में उठा लिया था ताकि उनके पैर न जलें। एमजीआर तमिल सिनेमा के सुपरस्टार तो थे ही, साथ ही वे भारतीय राजनीति के सम्मानित नेता भी थे। उनके कहने पर जयललिता ने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह कर राजनीति में एंट्री ले ली।
दो दिनों तक शव के पास खड़ी रहीं
एमजीआर शादी शुदा थे। उनके घर वाले जयललिता से नफरत करते थे। जब एमजीआर का देहांत हो गया तो उनके परिवार वालों ने जयललिता को उनके घर तक में नहीं घुसने दिया। वे रोते बिलखते घर के आसपास दौड़तीं रही। जब उन्हें पता चला कि एमजीआर के पार्थिव शरीर को राजाजी हॉल ले जाया गया है तो वे वहां पहुंच गईं। बताते हैं कि जयललिता की आंखों से उस दिन एक आंसू नहीं निकला। वो दो दिनों तक एमजीआर के पार्थिव शरीर के सिरहाने खड़ी रहीं। वह पहले दिन 13 घंटे और दूसरे दिन 8 घंटे शव के पास खड़ी रहीं।
ऐसे शुरू हुआ जयललिता का राजनीतिक सफर
एमजीआर एक स्टार तो थे ही साथ ही उन्होंने अन्नाद्रुमक(AIADMK) नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी। एमजीआर 1977 से लेकर 1987 तक राजनीति से जुड़े रहे। एम जी रामचंद्रन के नेतृत्व में पहली बार 1982 में जया ने राजनीति में कदम रखा और अन्नाद्रमुक की सदस्यता ग्रहण की। एमजीआर ने जया को अपनी राजनीतिक पार्टी का प्रचार सचिव बनाया।1984 में जया को पार्टी के कई पदों से हटा दिया गया। 1987 में एमजीआर की मौत के बाद अन्नाद्रमुक दो टुकड़ों में बंट गई। एक गुट एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन और दूसरा गुट जयललिता का था। साल 1991 में पहली बार जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर जयललिता ने 234 सीट में से 225 सीटें जीतीं।
..जब जयललिता ने ली शपथ ?
बताया जाता है कि मार्च 25 1989 को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान जब जयललिता सदन से बाहर निकल रही थीं, तो डीएमके मंत्री दुरई ने जयललिता के कपड़े खींचने तक की कोशिश की। इस पर वहां मौजूद अन्नाद्रमुक के एक सदस्य ने जयललिता की मदद की। बस फिर क्या था जयललिता ने उसी दौरान शपथ ली कि अब सदन में तब ही कदम रखेंगी जब वो मुख्यमंत्री बनेंगी। इसके बाद 1991 में मुख्यमंत्री बनीं।
जयललिता कैसे बनीं तमिलनाडू की अम्मा ?
जयललिता को राजनीति में बहुत ही मजबूत नेता माना जाता था। पूरी पार्टी उनके इशारे पर ही काम करती थी। जयललिता लोगों को मुफ्त में चीजें बांटने के लिए मशहूर थी। हर तबके के लोगों के लिए वो कुछ ना कुछ किया करती थीं। उन्होंने मुफ्त ग्राइंडर, मिक्सी और जरुरी चीजें देकर लोगों के जीवनस्तर को बढ़ा दिया। अम्मा कैंटीन में 2 रुपए की इडली और 10 रुपए में भरपेट खाना उनकी योजनाओं में से एक है। बस इसी कारण से लोगों ने उन्हें अम्मा कहकर बुलाना शुरू कर दिया।
आयरन लेडी का सफरनामा
- जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक "अय्यर ब्राम्हण" परिवार में मैसूर के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था।
- महज 2 साल की उम्र में ही उनके पिता जयराम का निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद उनकी मां उन्हें लेकर बेंगलौर ले आईं।
- उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया, जिसके चलते जयललिता को अपनी मां का प्यार भी कम ही नसीब हुआ।
- उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बेंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। वे अपने स्कूल की टॉपर रहीं।
- जया ने 1961 में 13 साल की उम्र में पहली बार अंग्रेजी फिल्म "एपीसल" में एक बाल कलाकार के तौर पर फिल्मी पर्दे पर कदम रखा।
- जया 15 वर्ष की उम्र में कन्नड़ फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं।
- वे दक्षिण भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में भूमिका निभाई थी।
- जयललिता ने 1965 में एमजी रामचंद्रन के साथ तमिल फिल्म "वेनिरा आदाई" में बतौर अभिनेत्री काम किया।
- जया की अंतिम फिल्म 1980 की "थेड़ी वंधा कादला" थी।
- एम जी रामचंद्रन के नेतृत्व में पहली बार 1982 में जया ने राजनीति में कदम रखा और अन्नाद्रमुक की सदस्यता ग्रहण की।
- 1984 में जया को पार्टी के कई पदों से हटा दिया गया।
- 1987 में एमजीआर की मौत के बाद अन्नाद्रमुक दो टुकड़ों में बंट गई। एक गुट एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन और दूसरा गुट जयललिता का था।
- मार्च 25 1989 को विधानसभा कार्यवाही के दौरान जब जयललिता सदन से बाहर निकल रही थीं, तो डीएमके मंत्री दुरई ने जयललिता के कपड़े खींचने तक की कोशिश की। यह जयललिता के लिए एक सदमे की तरह था। इस घटना के बाद उन्होंने कसम खाई कि वे अब सदन में मुख्यमंत्री के रूप में ही प्रवेश करेंगी।
- साल 1991 में पहली बार जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर जयललिता ने 234 सीट में से 225 सीटें जीतीं।
- साल 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
- साल 2001 के विधानसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी ने जबर्दस्त जीत हासिल की। हालांकि जीत के बाद जयललिता अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं।
- साल 2003 में मंद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें कुछ मामलों में राहत दी। इसके बाद उन्होंने विधायक का चुनाव लड़कर फिर सीएम पद संभाला।
- साल 2006 के विधानसभा चुनाव में डीएमके गंठबंधन ने उन्हें मात दे दी। 2011 तक उन्होंने विपक्षी नेता के तौर पर काम किया।
- साल 2011 में जयललिता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। एआईडीएमके महागंठबंधन ने 203 सीटों पर कब्जा करके शानदार जीत हासिल की। डीएमके गंठबंधन को सिर्फ 31 सीटें मिली।
- साल 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को पांच साल की सजा और 100 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया। एक महीने जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गयी। उन्हें कुछ दिन के लिए सीएम पद गंवाना पड़ा। निर्दोष साबित होने के बाद 22 मई 2015 को फिर से मुख्यमंत्री बन गईं।
- साल 2016 में फिर AIADMK ने राज्य में सरकार बनाई और एक बार फिर जयललिता तमिलनाडु की सीएम बनीं।
- 22 सितंबर 2016 जयललिता की तबीयत अचानक खराब हो गयी जिसके बाद उन्हें चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में भरती कराया गया। अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका 5 दिसंबर 2016 को निधन हो गया।
Created On :   24 Feb 2018 8:15 AM IST