लता का गाना सुन रो दिए थे पं. नेहरू, जानिए जिंदगी से जुड़े रोचक Facts
डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। उन्हें लता दीदी के नाम से भी पुकारते हैं। लाता दीदी आज 88 साल की हो गई हैं और अपने 74 साल के करियर में उन्होंने कुल 25,000 से ज्यादा गाने गाए हैं। लता जी के गाने आज भी उतने ही पॉपुलर हैं जितने पहले हुआ करते थे। पुरानी जनरेशन के साथ-साथ नई जेनरेशन भी उनके गाने सुनती है। देश के बड़े-बड़े गायक उन्हें अपने आप में एक स्कूल मानते हैं और उन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। अब भले ही उनकी आवाज कम ही सुनने मिलती हो लेकिन आज भी उनकी आवाज का जादू लोगों को दिलों-दिमाग में छाया हुआ है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी बधाई
लता मंगेशकर को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी लोगों ने गुरुवार को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया है, भारत की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनकी आवाज देश के संगीत की आत्मा बनी रहे।
भारत की "सुर साम्राज्ञी" लता मंगेशकरजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनकी आवाज देश के संगीत की आत्मा बनी रहे — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 28, 2017
जन्मदिवस पर शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया, सम्माननीय लता मंगेशकर दीदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके कोकिल स्वरों की करोड़ों भारतीय प्रशंसा करते हैं। मैं उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
Birthday wishes to respected @mangeshkarlata Didi. Her melodious voice is admired by crores of Indians. I pray for her long healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2017
आइए जानते हैं लता जी का सफर
लता जी ने अपना पहला गाना 13 साल की उम्र में 1942 में रिकॉर्ड किया था। उन्होंने अपना पहला गाना एक मराठी फिल्म के लिए गाया। उनका फिल्मी गाना आखिरी बार साल 2015 में आया था। अपने पूरे करियर में लता जी 20 से अधिक भाषाओं में गाने गा चुकी हैं।
लता जी का जन्म इंदौर में कलाकारों के परिवार में हुआ। दीनानाथ मंगेश्कर मराठी रंगमंच से जुड़े हुए थे। वहीं मंगेशकर सिस्टर्स संगीत की छांव में पली बढ़ीं। उस दौरान मंगेशकर परिवार के बच्चों को क्लासिकल म्यूजिक से रूबरू करवाया गया।
लता मंगेशकर का मूल नाम हेमा था, पांच वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता के साथ नाटकों मे अभिनय करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही लता संगीत की शिक्षा अपने पिता से लेने लगीं। लता ने वर्ष 1942 में किटी हसाल के लिये अपना पहला गाना गाया। लेकिन उनके पिता को लता का फिल्मों के लिए गाना पसंद नही आया और उन्होंने उस फिल्म से लता के गाए गीत को हटवा दिए।
घर चलाने के लिए शुरू की प्लेबैक सिंगिंग
उसी साल 1942 में तेरह साल की छोटी उम्र में ही लता के सिर से पिता का साया मे उठ गया और परिवार की जिम्मेदारी लता मंगेशकर के ऊपर आ गई। इसके बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। हालांकि लता को फिल्मों में अभिनय करना जरा भी पसंद नहीं था बावजूद इसके परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुए उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया।
यहां उन्होंने मास्टर और मेंटर विनायक के मार्गदर्शन में काम किया। विनायक 1930 के फिल्म मेकर थे और लता मंगेशकर के फैमिली फ्रेंड थे। वहीं उनकी जिंदगी में गुलाम हैदर ने भी अहम किरदार निभाया। गुलाम हैदर ने ही लता मंगेशकर को पहला ब्रेक दिया था। उस वक्त सुरैया, शमशाद बेगम और नूर जहां का जमाना था। इन नामी हस्तियों का संगीत की दुनिया में जादू फैला था। इन सबके बीच लता मंगेशकर बिल्कुल नई थीं।
गुलाम हैदर की जिद ने दिलाई कामयाबी
गुलाम हैदर लता के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। गुलाम हैदर ने फिल्म निर्माता एस मुखर्जी से यह गुजारिश की कि वो लता को अपनी फिल्म शहीद मे गाने का मौका दें। एस मुखर्जी को लता की आवाज पसंद नहीं आई और उन्होने उन्हें अपनी फिल्म मे लेने से मना कर दिया। इस बात को लेकर गुलाम हैदर काफी गुस्सा हुए और उन्होंने कहा ये लड़की आगे इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े-बड़े निर्माता -निर्देशक उसे अपनी फिल्मों मे गाने के लिए गुजारिश करेंगे।
तभी भारत पाक विभाजन के बाद लता मंगेशकर को बेहतरीन मौके मिलने शुरु हुए। ‘आएगा आने वाला’ गाने से सबने अंदाजा लगा लिया की लता मंगेशकर काफी दूर तक जाएंगी। लता बॉलीवुड मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गई। इसके बाद राजकपूर की बरसात के गाने जिया बेकरार है, हवा मे उड़ता जाए जैसे गीत गाने के बाद लता बॉलीवुड मे एक सफल पार्श्वगायिका के रूप मे स्थापित हो गईं।
इस बीच फिल्म 1950 से लेकर 60 के दशक तक लता ने हर तरह के गाने गाए। भजन "अल्लाह तेरो नाम" से लेकर डांस नंबर तक उन्होंने कई सुपरहिट्स गाए। लता जी का गाना "होंठों पे ऐसी बात","लग जा गले" जैसे गानों ने उन्हें पहचान दिलाना शुरू कर दिया था। वहीं लता मंगेशकर के गाए एक देशभक्ति गीत ने लोगों के दिल को ऐसे छुआ कि आज तक लोगों के दिलों से वह दूर नहीं हुआ।
लता का गाना सुन रो दिए थे पं. नेहरू
सी रामचंद्र के संगीत निर्देशन मे लता ने प्रदीप के लिखे गीत पर एक कार्यक्रम के दौरान एक गैर फिल्मी गीत "ए मेरे वतन के लोगो" गाया। इस गीत को सुनकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए। लता के गाये इस गीत से आज भी लोगो की आंखे नम हो उठती हैं।
लता जी को मिले अवॉर्ड्स
लता को उनके सिने करियर में चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लता को उनके गाये गीत के लिए साल 1972 मे फिल्म परिचय साल 1975 में कोरा कागज और साल 1990 में फिल्म लेकिन के लिये नेशनल अवार्ड से सम्मानित की गई। इसके अलावे लता मंगेशकर को साल 1969 में पद्म भूषण, साल 1989 मे दादा साहब फाल्के सम्मान, साल 1999 मे पद्म विभूषण, साल 2001 मे भारत रत्न जैसे कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
Created On :   28 Sept 2017 1:53 PM IST