भगवान की तरह पूजे जाने वाले रजनीकांत 68 के हुए
डिजिटल डेस्क, मुंबई । साउथ इंडियन फिल्म और बॉलीवुड फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत भले ही कद, काठी, रंग-रूप से आम नजर आते हों, लेकिन जो उन्हें जानते हैं वो यही कहते हैं कि उनमें आम लोगों जैसे गुण नहीं है। रजनीकांत साधारण लाइफस्टाइल जरूर जीते हैं लेकिन उन्में आम स्टार वाली कोई बात नहीं है। शायद यही वजह है कि वो जो भी करते हैं वो दुनिया भर में चर्चा का कारण बन जाता है। उनकी फिल्म रिलीज होने से पहले ही हाउफुल बुकिंग हो जाती है और फैंस उनके लिए पागल हो जाते हैं। शायद इसलिए उन्हें थलाईवा कहा जाता है। आज रजनीकांत 68 साल के हो चुके हैं, इस उम्र में भी वो 20-22 साल लड़कियों के साथ रोमांस करते नजर आते हैं। आखिर ऐसा क्या है जादू है थलाईवा में... आइए जानते हैं।
इस फिल्म का जलवा ऐसा था कि अमेरिका में भी बीते 4 दिनों में इस फिल्म ने 25 करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया। भारत में इस फिल्म के हिंदी वर्जन को 122 करोड़ की कमाई हुई जो शाहरुख और सलमान की कुछ फिल्मों की कमाई से ज्यादा है। आखिर इस इंसान में ऐसा क्या जादू है कि हर बार तमिल लोग इस सितारे की फिल्म को देखने के लिए आसमान हिला देते हैं? इस बात को समझने के लिए कई कोशिशें हुई हैं। उन पर समय समय पर किताबें लिखी गईं, डॉक्यूमेंट्री बनती रहीं और इसके अलावा कुछ निजी शोध भी हुए लेकिन काफी पैसे खर्च करने के बाद भी ये समझना मुश्किल ही रहा कि इस हीरो के साथ लोगों का जुड़ाव कैसे हो पाया है।
रजनीकांत को 1978 में फिल्म भैरवी में पहली बार लीड रोल दिया गया और फिल्म सुपरहिट हो गई। साल 1983 में अंधा कानून के साथ उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री ली। रजनीकांत की भारत सहित चीन और जापान में भी तगड़ी फैन फालोविंग है। रजनीकांत की हर नई फिल्म खर्चे के मामले में काफी आगे होती है। हर साल उनकी फिल्मों के मेगाबजट की चर्चा होती है और इस बार तो शंकर की 2.0 के साथ रजनीकांत भारत की सबसे महंगी फिल्म के हीरो बन चुके हैं, लेकिन ये भी सच है कि हर साल उनकी फिल्में कमाई के नए कीर्तीमान रचती हैं और इस बार भी 550 करोड़ की लागत से बनी ये फिल्म अपने पहले ही हफ्ते में अपने निर्माता को मुनाफा कमा कर दे चुकी है।
रजनीकांत को दक्षिण भारत में भगवान की तरह पूजा जाता है। दरअसल पूरी दुनिया में रजनीकांत की फैन फॉलोइंग बहुत है। हाल के वर्षों में रजनीकांत ने दक्षिण की राजनीति में जो आवाज बुलंद की उसे तमिलनाडु की सरकार भी हिल चुकी हैं। परदे पर उनका करिश्मा बीते 43 सालों में दीवानगी की तरह देखा गया है। बंगलूर में एक मराठा परिवार में जन्मे शिवाजीराव गायकवाड़ के बस कंडक्टर बनने से लेकर भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार बनने की कहानी बड़ी ही रोचक है। चार बहन-भाइयों में सबसे छोटे शिवाजी का परिवार गरीब था इसलिए बचपन से ही कुली, कारपेंटर और बस कंडक्टर की नौकरी कर परिवार का खर्च चलाया । 25 साल की उम्र में 1975 में तमिल फिल्म अपूर्व रागांगल' से ब्रेक मिला। उस फिल्म में कमल हसन लीड रोल में थे।
Created On :   12 Dec 2018 10:15 AM IST