लॉकडाउन में मोबाइल से शूट शॉर्ट फिल्म ने गाड़े झंडे,  अमेरिका से लेकर यूरोप तक सराही

Blue Quarantine: Short film shot from mobile in lockdown
लॉकडाउन में मोबाइल से शूट शॉर्ट फिल्म ने गाड़े झंडे,  अमेरिका से लेकर यूरोप तक सराही
लॉकडाउन में मोबाइल से शूट शॉर्ट फिल्म ने गाड़े झंडे,  अमेरिका से लेकर यूरोप तक सराही

डिजिटल डेस्क ( भोपाल)। वैसे तो पूरा सिनेमा ही एक्सपेरिमेंट पर चलता है। जो जितना क्रियेटिव है और एक्सपेरिमेंट करता है, वो उतना बेहतर सिनेमा रचता है। लेकिन बिना संसाधन के फिल्म बनाना सरल नहीं होता। टीवी और फिल्मों  के जाने-माने अभिनेता एकलव्य तोमर ने लॉकडाउन में मोबाइल के जरिये प्रयोग करके एक शार्ट मूवी "ब्ल्यू क्वारेंटाइन" (Blue Quarantine) बनाई है। फिल्म लॉकडाउन में काम-धंधा छूटने से परेशान बैठे युवाओं द्वारा अपनी प्रेमिका-पत्नी या घर की किसी अन्य महिला की ब्ल्यू फिल्म बनाकर उसे बेचकर कमाई करने के विषय से जुड़ी है। इस मूवी ने एक्सपेरिमेंटल सिनेमा को एक नई सोच दी है। यह फिल्म नये फिल्म मेकर्स के लिए "वर्कशॉप" की तरह है। यह पूरी फिल्म मोबाइल से बनी। 


बैकग्राउंड और म्यूजिक को छोड़कर पोस्ट प्रोडक्शन के कई काम मोबाइल एप के जरिये ही किए गए। जैसे कलर करेक्शन आदि। इस फिल्म के साथ सबसे बड़ी चुनौती आर्टिस्ट की डबिंग को लेकर थी। ऐसे में डायरेक्टर एकलव्य तोमर ने एक प्रयोग किया। सभी आर्टिस्ट से फिल्म के सीन्स से जुड़े कंटेंट ऑडियो रिकॉर्डिंग में मंगा लिए। इस वाइस ओवर को सीन्स के अनुरूप रखते गए। यानी जब फिल्म चलती है, तो डायलॉग नहीं होते, लेकिन वाइस ओवर से यूं लगता है, जैसे किरदार ही अपनी बात कर रहा है। यह फिल्म बहुत जल्द  OTT प्लेटफॉर्म पर देखने को मिलेगी। यह शॉर्ट फिल्म जर्मनी, कोरिया, साउथ कोरिया, अमेरिका, उज्बेकिस्तान, यूके के अलावा कई भारतीय फिल्म फेस्टिवल में सराही जा चुकी है। आइए जानते हैं, फिल्म के बारे में और भी कुछ बातें...

कंसेप्ट कैसे आया

एकलव्य तोमर ने बताया-"मैं कुछ भी कंसेप्ट सोचता हूं, तो यही दिमाग में रहता है कि आइडिया हटकर हो। उसमें कॉमन जैसा कुछ न हो। सबसे पहली मेरी यह अप्रोच होती है। सेकंड, जब जब मोबाइल से फिल्म बनती है, तो उसमें मोबाइल एक जगह स्थित रहता है। यानी आर्टिस्ट आया और वो अपना डायलॉग बोलकर चला गया, दूसरा आया वो अपना डायलॉग बोलकर चला गया। यह मोबाइल से सिनेमा बनाने का सिंपल आइडिया है। इसमें फोकस या डिफोकस नहीं होता। इसमें मजा नहीं आता। इसलिए मैंने इसमें कुछ नया प्रयोग करने की सोची। चूंकि लॉकडाउन में डबिंग संभव नहीं थी, इसलिए पूरी फिल्म वाइस ओवर पर रेडी की।"

 
 एकलव्य तोमर ने टीवी और थियेटर खूब किया। ब्ल्यू क्वारेंटाइन के जरिये उन्होंने डायरेक्शन में कदम रखा है। यह उनके प्रोडक्शन "एसएच एंटरटेनमेंट एंड एटीएफ"  के बैनर की पहली फिल्म है। एकलव्य कहते हैं कि उन्होंने भी नहीं सोचा था कि यह फिल्म से इस तरह का भी प्रयोग सामने आएगा। वे कहते हैं कि एक एक्टर को लेखन, म्यूजिक आदि की समझ हो सकती है, लेकिन सिनेमाटोग्राफी एक अलग विधा है। लॉकडाउन के कारण फिल्म के कई कलाकार एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते थे, इसलिए कुछ को फोन पर ही गाइड किया गया कि मोबाइल का एंगल कैसा रखना है, उन्हें कैसे एंट्री करना है। इसके बाद सभी फुटेज मंगाकर मोबाइल पर फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन किया गया। बाकी की शूटिंग समय-समय पर कलाकारों के घर जाकर की कई।


इस फिल्म में खुशबू सावन, अमित आनंद राउत, सपना खटाना, राजीव सिंह, सुधांशु अंजना, बलवंत सिंह, तुबा, विपिन कुमार शर्मा और सुमोना दत्ता गुप्ता ने काम किया। ये सभी टीवी या थियेटर का जाना-पहचाना नाम है। फिल्म का बैकग्रांउड म्यूजिक संजय-सुधीर ने दिया। शॉर्ट मूवी में एक इमोशनल सांग भी डाला गया है। इसे गाया है सुधीर रिखारी और जसप्रीत सिंह लक्की ने। गाने को लिखा एकलव्य तोमर ने। एकलव्य तोमर कहते हैं कि इस शॉर्ट मूवी के जरिये उन्होंने यही संदेश देने की कोशिश की है कि आप किसी को जज नहीं कर सकते। अपराध का सबसे बड़ा कारण एजुकेशन की कमी है। हमने गुजरात का कोई केस पढ़ा था कि एक युवक ने अपनी प्रेमिका का अश्लील वीडियो बनाकर बेच दिया। पंजाब में ऐसे ही एक मामले में लड़की ने सुसाइड कर लिया था।


एकलव्य तोमर झांसी की रानी, आपकी अंतरा जैसे सीरियल में डायलॉग लिख चुके हैं। ये सोहित सरकार की अखाड़ा, कूकी गुलाटी के निर्देशन में आ रही फिल्म द बिग बुल(अभिषेक बच्चन) के अलावा 7-8 फिल्मों और वेब सीरिज में नजर आएंगे। बिग बुल को अजय देवगन ने प्रोड्यूस किया है इसके अलावा राम माधवानी के निर्देशन में धमाका(कार्तिक आर्यन), अनुज त्यागी के निर्देशन में बिश्वा(विनय पाठक) में भी दिखेंगे।

Created On :   14 Jan 2021 6:35 AM GMT

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