एक ही दिन बॉलीवुड के दो दोस्तों ने दुनिया को कहा अलविदा

death anniversary: know about actor firoz khan and vinod khanna
एक ही दिन बॉलीवुड के दो दोस्तों ने दुनिया को कहा अलविदा
एक ही दिन बॉलीवुड के दो दोस्तों ने दुनिया को कहा अलविदा


डिजिटल डेस्क, मुंबई । मशहूर सितारे फिरोज खान और विनोद खन्ना उस वक्त फिल्म इडस्ट्री का हिस्सा बने जब बॉलीवुड हिंदी सिनेमा के नाम से जाना जाता था। ये वो दौर था जब हीरो की बॉडी से ज्यादा उसकी एक्टिंग पर ध्यान दिया जाता है। हीरो के डायलॉग इस कदर दमदार हुआ करते थे कि थियटर में बैठे लोगों को सीटियां और तालियां बजाने पर मजबूर कर देते थे। उस वक्त के हीरो एक दूसरे को अपना कॉम्पीटिटर नहीं बल्की दोस्त मानते थे और पार्टी, अवॉर्ड फंक्शन या शूटिंग लोकेशन ही क्यों ना हो अगर ये सितारे कहीं भी मिलते थे तो बड़ी ही गर्मजोशी से मिलते थे। यही वो दौर था तब फिरोज खान और विनोद खन्ना ने अपनी फिल्मी पारी शुरू की थी। दोनों हीरो अपने लुक्स से कई लड़कियों को घायल कर देते थे। दोनों ही एक्टर जितनी अपनी एक्टिंग के लिए मशहूर थे उतनी ही उनकी दोस्ती भी मशहूर थी। 

 

संबंधित इमेज

 

दोनों दोस्तों ने दोस्ती कुछ इस कदर निभाई की इस दुनिया से जाने के लिए भी एक तारीख चुनी। बता दें, आज 27 अप्रैल को 2017 को विनोद खन्ना ने तो 27 अप्रैल 2009 को फिरोज खान ने इस दुनिया को अलविदा कहा। फिरोज खान ने अपने दोस्त विनोद खन्ना के साथ "दयावान’" और "कुर्बानी" जैसी हिट फिल्में भी दी हैं।

 

vinod khanna and feroz khan के लिए इमेज परिणाम

 

विनोद खन्ना ने विलेन के रोल से की शुरूआत 

विलेन की भूमिका से सिनेमाजगत में कदम रखने वाले विनोद खन्ना कब हीरो बनकर लोगों के दिल में बस गये पता नहीं चला। आज विनोद खन्ना की पहली पुण्यतिथि है। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन कैंसर से हो गया था। निधन के वक्त उनकी उम्र 70 वर्ष थी। मरनोपरांत विनोद खन्ना को  दादा साहब फाल्के अवार्ड मिला।

 

संबंधित इमेज

 

राजनीति में भी विनोद को मिली सफलता

 

ना सिर्फ फिल्मों में बल्कि राजनीति में भी विनोद खन्ना ने ऊंचा मुकाम हासिल किया। जिस वक्त उनकी मृत्यु हुई उस वक्त वह पंजाब के गुरुदासपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद थे। विनोद खन्ना वाजपेयी की राजग सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने थे। उनके काम को काफी सराहा गया था।

 

vinod khanna in politics के लिए इमेज परिणाम

 

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था। विनोद  खन्ना के पिता टेक्सटाइल, डाई और केमिकल का कारोबार करते थे। विनोद खन्ना पांच भाई बहन ( 2 भाई, 3 बहनें) थे। बटवारे के बाद  उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आ गया। पिता नहीं चाहते थे कि बेटा फिल्मों में काम करे। विनोद खन्ना जिद कर बैठे तो पिता ने सिर्फ दो सालों का वक्त दिया। इन दो सालों में उन्होंने फिल्म में अपनी पहचान बना ली।

 

vinod khanna family sister and brothers के लिए इमेज परिणाम

 

विनोद खन्ना साल 2015 में शाहरुख खान की फिल्म दिलवाले में नजर आए थे इसके बाद फिल्म "एक थी रानी" रिलीज हुई। ये उनकी आखिरी फिल्म थी। फिल्म राजमाता विजय राजे सिंधिया पर बनी थी जिसे गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने लिखा था। 

 

vinod khanna in ek thi rani के लिए इमेज परिणाम

 

बॉलीवुड में क्लिंट ईस्टवुड की छवि रखते थे फिरोज खान

फिरोज खान की बात करें तो उनका नाम सुनते ही एक आकर्षक, छरहरे और जांबाज जवान का चेहरा रूपहले पर्दे पर चलता-फिरता दिखाई पड़ने लगता है। बूट, हैट, हाथ में रिवॉल्वर, गले में लाकेट, कमीज के बटन खुले हुए, ऊपर से जैकेट और शब्दों को चबा-चबा कर संवाद बोलते फिरोज खान को हिंदी फ़िल्मों का "काउ ब्वाय" कहा जाता था। हॉलीवुड में क्लिंट ईस्टवुड की जो छवि थी, उसका देसी रूपांतरण थे फिरोज खान ।

 

संबंधित इमेज

 

स्टाइलिश और बिंदास के कारण जीता दर्शकों का दिल

अभिनेता फिरोज खान ने बॉलीवुड में स्टाइलिश और बिंदास होने के जो पैमाने रखे उस तक आज भी कोई नहीं पहुंच पाया है। राजसी अंदाज में उन्होंने एक अर्से तक दर्शकों के दिलों पर राज किया है। फिरोज खान का जन्म 25 सितंबर, 1939 को बेंगलूर में हुआ था। अफगानी पिता और ईरानी मां के बेटे फिरोज बेंगलूर से हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे। उनके तीन भाई संजय खान (अभिनेता-निर्माता), अकबर खान और समीर खान (कारोबारी) हैं। उनकी एक बहन हैं, जिनका नाम दिलशाद बीबी है।

 

संबंधित इमेज

 

बॉलीवुड में फिरोज ने अपने कैरियर की शुरूआत 1960 में बनी फिल्म"दीदी" से की। शुरुआती कुछ फिल्मों में अभिनेता का किरदार निभाने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए खलनायकों की भी भूमिका अदा की खास तौर पर गांव के गुंडों की। वर्ष 1962 में उन्होंने अंग्रेजी भाषा की एक फिल्म "टार्जन गोज टू इंडिया" में काम किया। इस फिल्म में उनकी नायिका सिमी ग्रेवाल थीं। 1965 में उनकी पहली हिट फिल्म "ऊंचे लोग" आई जिसने उन्हें सफलता का स्वाद चखाया। अभिनय के लिहाज से फ़िरोज़ ख़ान के लिए 70 का दशक खास रहा। फिल्म "आदमी और इंसान" (1970) में अभिनय के लिए उन्हें फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का पुरस्कार मिला।

 

संबंधित इमेज

 

70 के दशक में उन्होंने ‘आदमी और इंसान’, ‘मेला’, ‘धर्मात्मा’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में दीं। इसी दशक में उन्होंने निर्माता-निर्देशक के रूप में अपना सफर शुरू किया। उनके इस सफर की शुरुआत ‘धर्मात्मा’ से हुई। वर्ष 1980 की ‘कुर्बानी’ से उन्होंने एक सफल निर्माता-निर्देशक के रूप में सभी को अपना कूव्वत का लोहा मनवाया। ‘कुर्बानी’ उनके कैरियर की सबसे सफल फिल्म रही। इसमें उनके साथ विनोद खन्ना भी प्रमुख भूमिका में थे। ‘कुर्बानी’ ने हिंदी सिनेमा को एक नया रूप दिया। ‘कुर्बानी’ ने ही हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को भी हॉट एंड बोल्ड होने का अवसर दिया। फिल्म में फिरोज और जीनत अमान की बिंदास जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। 

 

bollywood actor feroz khan in qurbani के लिए इमेज परिणाम

 

1998 में फिल्म ‘प्रेम अगन’ से उन्होंने अपने बेटे को फ़िल्मों में लॉन्च किया लेकिन, उनके बेटे फरदीन ख़ान उनकी तरह शोहरत बटोरने में विफल रहे। 2003 में उन्होंने अपने बेटे और स्पो‌र्ट्स प्यार के लिए फिल्म‘जानशी’ बनाई पर फिल्म में अभिनय करने के बाद भी वह अपने बेटे को हिट नहीं करवा सके।

 

feroz khan with son fardeen khan के लिए इमेज परिणाम

 

फिरोज खान ने आखिरी बार ‘वेलकम’ में काम किया। ‘वेलकम’ में भी उनका वही बिंदास स्टाइल नजर आया जिसके लिए वह जाने जाते हैं। साल 2010 में उन्हें मरणोपरांत फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट का खिताब दिया गया था। फरोज खान कैंसर से पीड़ित थे और मुंबई में उनका लंबे समय तक इलाज चला। 27 अप्रैल, 2009 को उन्होंने बेंगलूर स्थित अपने फार्म हाउस में अंतिम सांस ली।

 

feroz khan in welcome के लिए इमेज परिणाम

Created On :   27 April 2018 11:28 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story