प्रकृति पर चर्चा अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है : राजेश तैलंग
मुंबई, 10 मई (आईएएनएस)। वन्यजीवों के संरक्षण और प्रकृति की महत्ता को संबोधित करने वाली नई शॉर्ट फिल्म जोया में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता राजेश तैलंग का कहना है कि यह एक अहम समय है, जब प्रकृति पर बातचीत को हमें गंभीरता से लेनी चाहिए।
साहिर सेठी द्वारा निर्देशित, लिखित व निर्मित इस फिल्म को साल 2015 में फिल्माया गया है और साल 2016 में पाम स्प्रिंग्स इंटरनेशनल शॉर्टफेस्ट में इसे प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ ही कई और अन्य लघु फिल्म महोत्सवों में भी यह फिल्म दिखाई जा चुकी है।
इसका हिस्सा बनने के लिए इस फिल्म की कौन सी बात आपको सबसे खास लगी? इसके जवाब में राजेश ने आईएएनएस को बताया, एक्टिंग मेरा पहला और वाइल्डलाइफ मेरा दूसरा प्यार है। मैं जंगलों की सैर पर जाता हूं, वाइल्डलाइफ पर खूब सारी डॉक्यूमेंट्री फिल्में देखता हूं, प्रकृति के संरक्षण वगैरह के बारे में भी काफी कुछ पढ़ता हूं। अभिनय के अलावा यह उन विषयों में से है, जो मुझे निरंतर सम्मोहित करते रहे हैं। इसलिए जब साहिर मेरे पास इसकी कहानी लेकर आए और मुझे बताया कि वह मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व में इसे फिल्माने की योजना बना रहे हैं, तो मैं पहले से कहीं अधिक रोमांचित हो गया। इसके अलावा यह एक महत्वपूर्ण कहानी भी थी, जो प्रकृति संरक्षण के बारे में संभावित रूप से जागरूकता पैदा कर सकता था।
वह आगे कहते हैं, हमने इस फिल्म को साल 2015 में बनाया है और हमने अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोचा था कि दुनिया एक ऐसे भी दौर से होकर गुजरेगी, जो इस वक्त माहौल है। हम साफ तौर पर यह देख सकते हैं कि धरती किस तरह से ठीक हो रही है, किस तरह से पेड़-पौधे, नदियां, पशु-पक्षी खुशी-खुशी रह रहे हैं। हम देख सकते हैं कि किस तरह से प्रदूषण का स्तर नीचे चला गया है, आसमान पहले से साफ दिखने लगी है। यह वह समय है जब हमें समझना चाहिए और कुदरत को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाना चाहिए। मुझे लगता है कि प्रकृति पर बातचीत करना अभी पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है।
इस शॉर्ट फिल्म में मंजोत सिंह और गीता अग्रवाल शर्मा भी हैं। इसकी कहानी जंगल में से एक बाघ के गुम हो जाने के इर्द-गिर्द घूमती है और किस तरह से प्राणी शास्त्री जोया नामक इस बाघ को ढूढ़ने के सफर पर निकलते हैं।
Created On :   10 May 2020 1:30 PM IST