गूगल ने डूडल बनाकर भारतीय सिनेमा के महानायक के एल सहगल को किया याद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय सिनेमा के पहले महानायक कहे जाने वाले कुंदन लाल सहगल की 114वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। केएल सहगल का जन्म 11 अप्रैल 1904 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। उन्हें भारतीय हिन्दी सिनेमा जगत का पहला सुपरस्टार माना जाता है। केएल सहगल अपने खास अंदाज में गाना गाने के लिए काफी प्रसिद्ध थे, लोगों को उनकी आवाज बेहद पसंद थी।
सहगल के जमाने की याद दिला रहा डूडल
गूगल ने डूडल के जरिए केएल सहगल को खास अंदाज में याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की है। डूडल का बैकग्राउंड आपको सहगल के जामने की याद दिलाएगा। डूडल में सहगल को माइक के सामने गाना गाते हुए दिखाया गया है। सहगल ने अपने पूरे करियर में 200 से ज्यादा गाने गाए हैं और 36 फिल्मों में अभिनय किया है। सहगल 43 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह गए मगर बुलंदियां हासिल कर वो इतने मशहूर हुए कि भारतीय सिनेमा के पहले महानायक बन गए। इस गूगल डूडल को विद्या नागराजन ने डिजाइन किया है।
मां को देख संगीत प्रेमी बनें सहगल
केएल सहगल के पिता अमरचंद जम्मू कश्मीर के राजा के तहसीलदार थे। उनकी मां केसर बाई बेहद धार्मिक और संगीत प्रेमी थीं और मां को देख सहगल भी संगीत प्रेमी बन गए। इसके बाद वो अपनी मां के साथ संगीत के सुर में रम गए। अपनी मां के साथ वो शास्त्रीय संगीत पर आधारित भजन कीर्तनों के आयोजन में जाने लगे। इसके अलावा सहगल बचपन से ही रामलीला में भी हिस्सा लिया करते थे।
सहगल ने छोड़ दिया था स्कूल
प्रारंभिक शिक्षा के बाद केएल सहगल ने स्कूल छोड़ दिया था। इसके बाद वो मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर टाइमकीपर की नौकरी करते लगे थे। मुरादाबाद से वो कानपुर पहुंच गए और वहां चमड़े के कारोबारियों के यहां नौकरी की। वहां पर गजल की महफिलें लगाने वाले सहगल चमड़ा बाबू के नाम से मशहूर हो गए। सहगल ने कानपुर में ही संगीत सीखा था। टाइपराइटर सेल्समैन के रूप में काम करने के दौरान उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने का मौका भी मिला।
ऐसे हुई सहगल के फिल्मी सफर की शुरुआत
1930 मे कोलकाता के न्यू थियेटर के बीएन. सरकार ने सहगल को 200 रुपये के मासिक वेतन पर अपने यहां काम पर रखा था। यहां पर सहगल संगीतकार आरसी बोराल से मिले।
1932 में एक उर्दू फिल्म मोहब्बत के आंसू में सहगल ने अभिनेता के रूप में काम किया।
1932 में ही सुबह का सितारा और जिंदा लाश दो फिल्में आईं लेकिन सहगल इन फिल्मों में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
1933 में प्रदर्शित फिल्म पुराण भगत काफी सफल रही। इस फिल्म की कामयाबी के बाद सहगल ने बतौर गायक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई ।
1937 में बांग्ला फिल्म दीदी से केएल सहगल को सबसे ज्यादा सफलता मिली।
बड़े गायकों के प्रेरणा स्त्रोत बन गए थे सहगल
सिनेमा जगत में कदम रखने के बाद केएल सहगल काफी लोकप्रिय गायक और अभिनेता बने। उन्होंने 36 फिल्मों में काम किया। इनमें 28 हिन्दी फिल्में थीं जबकि 7 बंगाली और एक तमिल फिल्म भी थी। उनकी बेहद लोकप्रिय फिल्मों में प्रेसीडेंट, माई सिस्टर, भक्त सूरदास, जिंदगी, चांदीदास, तानसेन फिल्में शामिल हैं। गायक और अभिनेता के बाद सहगल कई लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बन गए थे। लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी और मुकेश जैसे तमाम बड़े गायक सहगल से प्रेरणा लिया करते थे।
43 साल का था सहगल की जिंदगी का सफर
केएल सहगल की जिंदगी का सफर महज 43 साल का रहा। यानि 43 साल की उम्र में ही सहगल का निधन हो गया। शराब का अत्यधिक सेवन करने की वजह से 1946 में वो बीमार हो गए। जिसके बाद वो जालंधर चले गए। 18 जनवरी 1947 को लीवर की बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। बताया जाता है कि सहगल को इस कदर शराब की लत थी कि उन्होंने अपने सारे गाने शराब के नशे में ही गाए हैं।
Created On :   11 April 2018 8:44 AM IST