B’day Spcl: गूगल ने डूडल बनाकर भारतीय सिनेमा के जनक को किया याद

B’day Spcl: गूगल ने डूडल बनाकर भारतीय सिनेमा के जनक को किया याद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इंडियन सिनेमा के फादर कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के की आज 148 वीं जयंती है। इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। दादा साहेब फाल्के फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर थे। उन्होंने भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ भी बनाई थी।  भारतीय सिनेमा के जनक का खिताब हासिल करने वाले दादा साहेब फाल्के ने एक फोटोग्राफर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। उनके जन्मदिन पर जानिए उनकी जिंदगी के उन लम्हों के बारे में जिन्हें शायद अब तक आप नहीं जानते होंगे।

 

 

महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था जन्म

दादासाहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर में हुआ था। उनका असली नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के था। बाद में उन्हें दादासाहेब नाम मिला।  उनके पिता संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित और मुम्बई के एलफिंस्टन कॉलेज के अध्यापक थे। उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद उन्होंने गुजरात के वडोदरा के सयाजिराव विश्वविद्यालय से कलाकृति, इंजीनियरिंग, ड्राइंग, पेंटिंग और फोटोग्राफी की पढ़ाई की। गुजरात के गोधरा में उन्होंने फोटोग्राफी का काम शुरु किया था लेकिन कुछ समय बाद ही पत्नी का निधन हो जाने के कारण उन्हें काम छोड़ना पड़ा। 

 



फाल्के साहब ने प्रिंटिंग का बिजनेस भी किया

इस घटना के कुछ समय बाद ही दादा साहेब फाल्के की मुलाकात जर्मनी के एक जादूगर कार्ल हर्ट्ज़ से हुई और उनके साथ ही वो काम करने लगे। थोड़े दिन बाद उन्हें पुरातत्व सर्वे ऑफ इंडिया के साथ काम करने का अवसर मिल गया लेकिन यहां पर भी काम में उनका मन नहीं लगा तो वो कुछ समय के लिए वापस अपने घर महाराष्ट्र आ गए और प्रिटिंग का बिज़नेस शुरु कर दिया। इसी काम को दौरान उनकी मुलाकात मशहूर पेंटर राजा रवि वर्मा से हुई। उनसे सलाह लेने के बाद दादा साहेब फाल्के ने खुद के प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत कर दी। जिसके बैद नई तकनीक के कैमरे लेने और कई नए तरीके सीखने के लिए वो जर्मनी की यात्रा पर चले गए।

 

 

दादा साहेब फाल्के ने बनाई थी पहली फिल्म

दादा साहेब फाल्के ने 1913 में पहली फिल्म "राजा हरिश्चंद्र" बनाई। जो भारत की फुल लेंथ फीचर फिल्म थी। ये मूक फिल्म थी जिसमें मराठी कलाकारों को कास्ट किया गया था। इस फिल्म को बनाने में 15 हजार रुपये की लागत लगी थी। आज दादा साहेब फाल्के के नाम पर इंडियन सिनेमा का सबसे बड़ा अवॉर्ड भी दिया जाता है।

 



100वीं जयंती पर हुई थी अवार्ड की स्थापना

दादा साहब फाल्के की 100वीं जयंती के अवसर पर दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना 1969 में की गई थी। दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार है। जो भारतीय सिनेमा में आजीवन और उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है। 1969 में पहला पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था। दादा साहेब के नाम पर भारत सरकार ने 1971 में डाक टिकट भी जारी किया था।

 

 

अभिनेत्री की तलाश में वेश्यालय तक पहुंच गए थे दादा साहेब फाल्के

उनके फिल्मी सफर के दौरान एक बार ऐसा भी हुआ था कि उन्हें अपनी फिल्म में तारामति के किरदार के लिए एक्ट्रेस नहीं मिल रही थी। वो अभिनेत्री की तलाश में वेश्यालय तक पहुंच गये। इतना ही नहीं  रेड लाइट एरिया में उन्होंने कई वेश्याओं से बात भी की लेकिन फीस सुनकर उन्होंने फाल्के साहेब से कहा था कि इतना हम एक रात में कमा लेते हैं। 

 

 

हार्ट अटैक से हुआ था निधन

दादा साहेब फाल्के ने अपने जीवनकाल में कई यादगार और हिट फिल्में बनाई। 20 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने 95 फिल्म और 26 शॉर्ट फिल्में बनाईं थी। उनकी फिल्मों की लिस्ट में राजा हरिश्चंद्र, लंका दहन, मोहिनी भष्मासुर और कालिया मर्दन बेहद लोकप्रिय फिल्में हैं। दादा साहेब फिल्मों का डायरेक्शन करने के साथ ही फिल्म का प्रोडक्शन भी करते थे। कभी कभार फिल्मों में अभिनय करते भी नजर आते थे। 16 फरवरी 1944 को ब्रिटिश इंडिया के बॉम्बे प्रेसिडेंसी में हार्ट अटैक से दादा साहेब फाल्के का निधन हो गया था।  

Created On :   30 April 2018 11:37 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story