Remembering Rajesh Khanna : वो सुपर स्टार जिसने दीवानगी को दी नई पहचान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। "बाबूमोशाय... हम सब रंगमंच की कठपुतलियां है जिसकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों से बंधी हुई है कौन कब किसकी डोर खिंच जाए ये कोई नहीं बता सकता..."हिंदी सिनेमा का ऐसा कलाकार जिसने सुपरस्टार क्या होता है, एक सुपरस्टार की खासियत क्या होती है, उसका अंदाज क्या होता है, सुपरस्टार का डांस और डॉयलाग डिलवरी क्या होती है बॉलीवुड को समझाया था। उनका जैसा अंदाज फिर कभी किसी कलाकार में नहीं दिखा। उनके लिए लड़कियों की दीवनगी फिर कहां किसी हीरो के लिए दिखी। आलम ये था कि लड़कियां सुपरस्टार राजेश खन्ना को अपने खून से लिखा लव लेटर देती थीं। आज बॉलीवुड में काका ने नाम से फेमस रहे दिवंगत अभिनेता राजेश खन्ना का जन्मदिन है। उनका असली नाम जतिन खन्ना था। आज के ही दिन 29 दिसंबर 1942 को उनका जन्म अमृतसर पंजाब में हुआ था। यह समय था बंटवारे के पहले का था। पंजाब के अमृतसर में जन्में जतिन खन्ना उर्फ राजेश खन्ना का बचपन के दिनों से ही रुझान फिल्मों की ओर था। वो एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता इस बात के सख्त खिलाफ थे। राजेश खऩ्ना को भारतीय सिनेमा का असली सुपरस्टार कहा जाता है। उन्होंने 1969 से लेकर 1971 के बीच लगातार करीब 15 सुपरहिट फिल्में दी। जिनमें वह सोलो एक्टर रहे।
ऊपर आका और नीचे काका
सेंट सेबेस्टियन गोवा हाई स्कूल से जीतेंद्र के साथ स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद राजेश ने थियेटर का रुख किया। अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने कई नाटकों में अपने अभिनय के दम पर पुरस्कार भी जीते। राजेश की एक खास बात यह भी थी कि वह उन कम लोगों में से थे, जो 1960 के दशक में अपनी नई एमजी स्पोर्ट कार से थियेटर पहुंचते थे। राजेश खन्ना अपने करियर के शुरुआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में युनाइटेड प्रोड्यूसर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में उन्होंने हिस्सा लिया, जिसमें वो फर्स्ट आए। राजेश खन्ना ने 1666 में अपने करियर की शुरुआत फिल्म आखिरी खत से की। राजेश खन्ना की एक्टिंग का सितारा निमार्ता-निदेर्शक शक्ति सामंत की क्लासिकल फिल्म "अराधना" से चमका।
इस फिल्म की गोल्डन जुबली कामयाबी ने राजेश खन्ना को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। फिल्म "अराधना" की सफलता के बाद अभिनेता राजेश खन्ना शक्ति सामंत के प्रिय एक्टर बन गए। बाद में उन्होंने राजेश खन्ना को कई फिल्मों में काम करने का मौका दिया। इनमें "कटी पतंग", "अमर प्रेम", "अनुराग", "अजनबी", "अनुरोध" और "आवाज" आदि शामिल हैं। राजेश खन्ना ने अपने करियर में 168 फीटर फिल्में और 12 शॉर्ट फिल्में भी की। काका का कहना था कि वे अपनी ज़िन्दगी से बेहद खुश हैं और उन्हें दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही गलतियां दोहराएंगे। काका राजेस खन्ना के बारे में कहा जाता है कि वह एक समय इतनी उंचाई पर पहुंच गए थे, कि वह नीचे देखना ही नहीं चाहते थे, मुंबई में उनका ऑफिस सबसे ऊंची इमारत में था। कहते हैं कि काका जब कार से फिल्मों में काम के लिए निर्देशक के पास जाते थे, उस समय न जाने ही कितने स्टार पैदल एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो के चक्कर लगाते थे। राजेश खन्ना कहते थे कि ऊपर आका और नीचे काका।
मुंबई के फैशन को दिया नया ट्रेंड
राजेश खन्ना का हर अंदाज उस समय की जनता कॉपी करती थी, युवा तो जैसे दीवाने हो गए थे, कोई राजेश खन्ना जैसे बाल रखता था तो कोई उनके जैसा कुर्ता सिलवाता था। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर बच्चों के नाम उनके माता-पिताओं ने राजेश ही रख दिए थे। लड़कियों के बीच राजेश खन्ना इतने लोकप्रिय थे कि कई लड़कियों ने तो उनकी फोटो तक से शादी कर ली। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी। स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से उनकी सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।
इन फिल्मों से स्थापित किए कई कीर्तिमान
राजेश खन्ना की "आराधना", "सच्चा झूठा", "कटी पतंग", "हाथी मेरे साथी", "महबूब की मेहंदी", "आनंद", "आन मिलो सजना", "आपकी कसम" जैसी फ़िल्मों ने कमाई के नए कीर्तिमान स्थापित किए। "आराधना" फ़िल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू...’ उनके कैरियर का सबसे बड़ा हिट गीत माना जाता है। "आनंद" राजेश खन्ना के कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म कही जाती है। इस फिल्म में उनका मरने का सीन लोगों को कभी भूल नहीं सकता है। इस फिल्म में उन्होंने कैंसर से ग्रस्त एक ज़िन्दादिल युवक की भूमिका निभाई थी। राजेश खन्ना अपनी फ़िल्मों और निभाए गए किरदारों से हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते रहेंगे। क्योंकि "आनंद" मरा नहीं करते! । राजेश की 15 हिट फिल्मों में "अराधना", "इत्तेफाक", "डोली", "बंधन", "दो रास्ते", "द ट्रेन", "सच्चा झूठा", "सफर", "कटी पतंग", "आन मिलो सजना", "आनंद", "मर्यादा", "हाथी मेरे साथी", "अमर प्रेम", "अंदाज", "दुश्मन" और "अपना देश" शामिल है।
आइये जानते हैं उनकी लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से...
1-निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे, वे मुंह मांगे दाम चुकाकर उन्हें अपनी फिल्म के लिए साइन कर लेते थे। एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था तो अस्पताल में उनके इर्द-गिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फ़िल्मों की कहानी सुना सके।
2-70 के दशक में राजेश खन्ना पर ये आरोप लगने लगे कि वो केवल रूमानी भूमिका ही निभा सकते हैं। इस छवि से बाहर निकलने के लिए उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी की कॉमेडी फिल्म "बावर्ची" बनाई। इस फिल्म में राजेश खन्ना की कॉमेडी टाइमिंग को काफी सराहा गया।
3-राजेश खन्ना ने 80 के दशक से खुद को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इसमें 1980 में आई फिल्म "रेडरोज" खास तौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म में राजेश खन्ना ने नेगेटिव किरदार निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
4-1985 में प्रदर्शित फिल्म "अलग अलग" के जरिये राजेश खन्ना ने फिल्म निमार्ण के क्षेत्र में भी कदम रखा।
5- राजेश खन्ना के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ काफी पसंद की गई।
6-राजेश खन्ना को उनके सिने करियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
7-राजेश खन्ना समाज सेवा के लिए राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 में कांग्रेस के टिकट पर नई दिल्ली की लोकसभा सीट से चुने गए।
8-राजेश खन्ना ने मुमताज़ के साथ करीब 8 सुपरहिट फ़िल्में दी।
9-राजेश खन्ना लॉटरी खेलने के भी शौकीन थे। फिल्म ‘जय शिव शंकर’ के दौरान अक्षय कुमार एक बार उनसे काम मांगने गए थे, तो काका ने उन्हें घंटों बिठाए रखा। राजेश खन्ना ने बहुत सारा पैसा लॉटरी चलाने वाली एक कंपनी में लगा रखा था जिसके जरिये उन्हें बहुत आमदनी होती थी।
10-काका को मेरठ से बड़ा लगाव था, उन्हें मेरठ की रेवड़ी-गज्जक और सदर में बनने वाले चॉकलेटी बर्फी बड़ी पसंद थी।
राजेश खन्ना ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक संवाद कहे.....जिनमें कुछ फेमस संवाद हम आपके लिए पेश कर रहे हैं। ये संवाद कहावतों और मुहावरों से भी ज्यादा फेमस हुए।
- जिंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ है, उसे ना आप बदल सकते हैं ना मैं -फिल्म आनंद
- बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं- फिल्म आनंद
- किसी बड़ी खुशी के इंतजार में गम ये छोटे-छोटे खुशियों के मौके खो देते हैं- फिल्म बावर्ची
- मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत है-नमक हराम
- मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता -सफर
- पुष्पा, आई हेट टियर्स- अमर प्रेम
- राजेश खन्ना का संगीत से रहा खास कनेक्शन
राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आर.डी बर्मन और गायक किशोर कुमार का भी अहम योगदान रहा। इस तिकड़ी के अधिकांश गीतों पर ही राजेश खन्ना थिरके सभी गाने हिट साबित हुए। किशोर ने 91 फ़िल्मों में राजेश को आवाज दी तो आर डी ने उनकी 40 फ़िल्मों में संगीत दिया। राजेश खन्ना गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे।
अफेयर और शादी
यूं तो रोमांटिक हीरो राजेश खन्ना कई अफेयर रहे। प्यार के मामले राजेश खन्ना जरा दिलफेक थे। अंजू महेन्द्रू से उनके अफेयर के किस्से सरे आम थे। लेकिन, फिर उनसे उनका ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप की वजह दोनों ने कभी नहीं बताई। इसके बाद राजेश खन्ना ने अचानक डिम्पल कपाड़िया से शादी कर करोड़ों लड़कियों के दिल तोड़ दिए। डिम्पल ने "बॉबी" फ़िल्म से सनसनी फैला दी थी। एक दिन समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया, जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।
राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फ़िल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फ़िल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी। आलम ये था कि लोग उनकी शादी की फ़िल्म देखने सिनेमा हॉल में खिंचे चले गए। हालांकि राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। कहा जाता है कि एक जमाने में राजेश खन्ना और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं।
राजेश खन्ना का राजनीतिक सफर
राजेश खन्ना ने फिल्मी पर्दे से हटकर जनता के बीच भी अपना लक आजमाया तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में भी आए। कांग्रेस की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी, लेकिन बाद में उनका राजनीति से मोहभंग हो गया।
जून, 2012 में राजेश की तबीयत बिगडऩी शुरू हो गई। 23 जून को उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया। हालांकि, स्वास्थ्य ठीक होने के बाद उन्हें आठ जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। राजेश को फिर तबीयत बिगडऩे के कारण 14 जुलाई को फिर लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया और 16 जुलाई को घर लाया गया। फिल्मों में अपनी अदाकारी से लोगों को भावुक कर उनके दिलों में छाप छोडऩे वाले इस अभिनेता ने 18 जुलाई, 2012 को अपने घर आशिर्वाद में अंतिम सांस ली और हमेशा के लिए हिंदी फिल्मों का सबसे बड़ा सुपरस्टार हमारे बीच नहीं रहा। जिस दिन राजेश खन्ना का निधन हुआ उस दिन मुंबई की सड़कें उनके चाहने वालों की भीड़ से पट गई थीं।
Created On :   29 Dec 2017 12:38 PM IST